गोआ
दिलीप सरदेसाई
व्यक्तिगत जानकारी
जन्म ८ अगस्त १९४०
मडगाँव, पुर्तगाली भारत
( वर्तमान में गोआ, भारत)
मृत्यु 2 जुलाई २००७(२००७-07-02) (उम्र 66 वर्ष)
मुम्बई, भारत
बल्लेबाजी की शैली दाहिने हाथ बल्लेबाज़
गेंदबाजी की शैली दायां हाथ गेंदबाज़
परिवार राजदीप सरदेसाई (बेटा)
अंतर्राष्ट्रीय जानकारी
राष्ट्रीय पक्ष
टेस्ट में पदार्पण (कैप १०३)१ दिसंबर १९६१ बनाम इंगलैंड़
अंतिम टेस्ट२० दिसंबर १९७२ बनाम इंगलैड़
घरेलू टीम की जानकारी
वर्षटीम
१९६१-१९७३ बॉम्बे
१९६१-१९६५ एसोसिएटेड सीमेंट कंपनी
कैरियर के आँकड़े
प्रतियोगिता टेस्टस् प्रथम-श्रेणी
मैच ३० १७९
रन बनाये २००१ १०२३०
औसत बल्लेबाजी ३९.२३ ४१.७५
शतक/अर्धशतक ५/९ २५/५६
उच्च स्कोर २१२ २२२
गेंदे की ५९ ७९१
विकेट
औसत गेंदबाजी ६९.००
एक पारी में ५ विकेट
मैच में १० विकेट
श्रेष्ठ गेंदबाजी २/१५
कैच/स्टम्प ४/- ८५/-
स्रोत : ESPNcricinfo

दिलीप नारायण सरदेसाई (८ अगस्त १९४०, मडगाँव, गोआ- २ जुलाई २००७, मुम्बई)एक भारतीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर थे। वे भारत के लिए खेलने वाले एकमात्र क्रिकेटर थे जो गोआ में पैदा हुए थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय टीम के लिए बल्लेबाज़ के रुप में टेस्ट क्रिकेट खेला। उन्हें अकसर स्पिन गेंदबाज़ी के विरुद्ध खेलने के लिए भारत का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ माना जाता था।

रणजी ट्रॉफी

शुरुआती ज़िंदगी और पेशा

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सरदेसाई पूर्व पुर्तगाली भारत (वर्तमान में गोआ) के शहर मडगाँव में बड़े हुए। उन्होंने वहां के न्यू एरा हाईस्कूल में अध्ययन किया। अपने बड़ते दिनों के दौरान इस क्षेत्र में १९५० के दशक के आरंभ में कोई क्रिकेट आधारभूत संरचना नहीं थी। १९५७ में उनका परिवार बॉम्बे (अब मुम्बई) चला गया, जब सरदेसाई १७ वर्ष के थे। उन्होंने शहर के विल्सन कॉलेज में भाग लिया जहाँ उनकी क्रिकेट प्रतिभा को कोच मन्या नायक ने देखा था।

सरदेसाई ने क्रिकेट में अपनी पहली निशानी १९५९-६० में इंटर- यूनिवर्सिटी रोहिंटन बरिया ट्रॉफी में बनाया, जहाँ उन्होंने ८७ रन के औसतन पर ४३५ रन बनाए। उन्होंने १९६०-६१ में पुणे में भारतीय विश्वविद्दालय के लिए पाकिस्तान टीम के विरुद्ध अपनी प्रथम-श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने १९४ मिनट में ८७ रन बनाए। उनकी तत्काल सफलता ने उनको बैंगलौर में उसी टीम के खिलाफ बोर्ड अध्यक्ष के लिए नेतृत्व करने का मौका दिया, जहाँ उन्होंने १०६ रन बनाया और फिर टेस्ट सीरिज़ के अंतिम मैच में स्टैंडबै के रुप में स्कोर किया। उसी दौरान उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय के विरुद्ध २०२ रन बनाया और फिर रणजी ट्रॉफी में बॉम्बे का प्रतिनिधित्व करने के लिये चुने गए। वें १९६०-६१ साल के भारतीय क्रिकेट टीम के पाँच खिलाड़ियों में से एक थे।

टेस्ट मैच में कैरियर

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१९६१-६२ के विश्वविद्दालय मैच में गुजरात के विरुद्ध २८१ रनों के अलावा सरदेसाई को प्रथम-श्रेणी क्रिकेट में दिखाने के लिए कुछ नहीं था। दिसंबर १९६१ में कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में इंग्लैंड के भारत दौरे के दूसरे टेस्ट के लिए उन्हें भारत टीम में शामिल किया गया था। टेस्ट में आगे तक पहुँचने के लिए,उन्हें "आक्रामक स्ट्रोकप्लेयर" के रुप में वर्णित किया गया था। अपनी पहली पारी में सरदेसाई ने स्पिनर टोनी लॉक को तीसरे व्यक्ति की सीमा तक खाली स्लिप क्षेत्र के माध्यम से देर से कटौती करने की कोशिश करते हुए २८ रन बनाये। उनकी पारी १०८ मिनट तक चली। बाद में उन्होंने वेस्ट इंडीज़ का दौर भी किया जहाँ उन्होंने पाँच में से तीन टेस्ट मैच खेला। जब बारबाडोस क्रिकेट टीम के विरुद्ध एक मैच में चार्ली ग्रिफिथ के द्वारा नरी कांट्रेक्टर गंभीर रुप से घायल हुए थे, तब सरदेसाई ने दूसरे छोर पर बल्लेबाज़ी की थी। कॉन्ट्रैक्टर की चोट ने सरदेसाई को टीम में जगह बनाने का मौका दिया था। उन्होंने ब्रिजटाउन में टेस्ट मैच में बल्लेबाज़ी खोलते हुए ३१ और ६० रन बनाए, लेकिन अगले मैच में उन्हें हटा दिया गया था। सरदेसाई ने १९६३-६४ में इंग्लैंड़ के विरुद्ध पाँच टेस्ट सीरिज़ में ४४९ रन बनाए जिसके पाँचवें और अंतिम टेस्ट में ७९ और ८७ रन बनाते हुए उन्होंने अपना सबसे उल्लेखनीय प्रदर्शन किया और भारत को आगे बढ़ाते हुए मैच को ड्रॉ करने में मदद की।

१९६४-६५ में सरदेसाई ने बॉम्बे में न्यूज़ीलैंड क्रिकेट टीम के विरुद्ध दोहरा शतक बनाया और एक बहुत तेज़ शतक बनाया जिससे दिल्ली में जीत दर्ज हुई। न्यूज़ीलैंड़ ने बॉम्बे में भारत को पीछे करने के लिए कई प्रयत्न किये, किन्तु सरदेसाई के २०० रन ने लगभग भारत को मैच जिता ही दिया था। उन्होंने १९६६-७ में वेस्टइंडीज़ क्रिकेट टीम के विरुद्ध खेला और फिर १९६७ में इंग्लैड़ का दौरा किया, जहाँ उन्होंने लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में इमारत की सीढ़ियों पर खुद को घायल कर दिया और हेडिंग्ले में अपना पहला टेस्ट गवाँ दिया। जब दूसरे टेस्ट के लिए तैयार हुए तब उनकी एक टुटी हुई उंगली ने उनको रोक लिया और दौरा समाप्त हो गया। १९६७-६८ में ऑस्ट्रेलिया में चोट और लगातार असफलताओं के कारण उन्हें दो टेस्ट मैच के बाद हटा दिया गया था।

सरदेसाई का करियर तब खतम होता हुआ दिख रहा था जब १९७०-७१ में उनको वेस्ट इंडीज़ के भारतीय दौरे के लिए चुना गया था। किंग्सटन में पहले टेस्ट मैच में भारत ने ७५ रनों में पाँच विकेट गंवाए जिसके बाद सरदेसाई ने २१२ रन बनाकर भारत का कुल रन ३८७ किया। पोर्ट ऑफ स्पेन में अगले टेस्ट मैच में उनके ११२ रन ने भारत को वेस्ट इंडीज़ पर पहली जीत दिया। भारत के चौथे टेस्ट मैच में उन्होंने एक और बार १५० रन बनाया था जिसमें भारत ने ७० रनों में छ्ः विकेट गंवाया था। उनके सीरिज़ का ६४२ रन भारत टेस्ट क्रिकेट का पहला रिकॉर्ड था। सीरिज़ मैच में भारत की वेस्ट इंडीज़ पर पहली जीत थी। चयनकर्ताओं के अध्यक्ष विजय मर्चेंट ने सरदेसाई को "भारतीय क्रिकेट के पुनर्जागृत व्यक्ति" कहा है। उन्होंने १९७१ में इंग्लैंड़ के विरुद्ध ५४ और ४० रन बनाए जिसके परिणाम अनुसार एक और सीरिज़ में भारत की जीत हुई। एक और टेस्ट मैच के बाद उन्होंने अपना करियर समाप्त किया, और १९७२-३ के अंत तक वे क्रिकेट से सेवानिवृत्त हुए।

सरदेसाई ने रणजी ट्रॉफी में १३ सत्रों में बॉम्बे के लिए खेला, जिसमें १० फाइनल मैच भी शामिल थे, और हारने वाले पक्ष में वें कभी खत्म नहीं हुए। उन्होंने १९६७ के फाइनल में राजस्थान के खिलाफ़ १९९ रन बनाए। दो साल बाद उसी टीम के खिलाफ़ सेमिफाइनल में, वह कैलाश गट्टानी द्वारा रन ऑउट हुए थे। सरदेसाई का अंतिम प्रथम श्रेणी का मैच १९७२-७३ में मद्रास के विरुद्ध प्रसिद्ध रणजी ट्रॉफी का फाइनल था, जो तीसरे दिन की पहली गेंद पर समाप्त हुआ। उन्होंने १९६४-६५ में १४२९ रनों का सर्वश्रेष्ठ कैरियर बनाने के साथ-साथ देशीय सत्रों में १००० से अधिक प्रथम श्रेणी के रन बनाए, जिसमें मोइन-उद-डॉउला गोल्ड कप टूर्नामेंट के फाइनल में इंडियन स्टार्लेट्स के खिलाफ़ एसोसिएटेड सीमेंट कंपनी के लिए खेला हुआ उनका उच्चतम प्रथम श्रेणी का २२२ स्कोर भी शामिल था।

 
राजदीप सरदेसाई

सरदेसाई पहली बार मुम्बई की बेरी रेस्टॉरंट में नंदिनी पंत (जन्म १९४५) से मिले, जो अपनी परीक्षा के बाद शहर में अपनी छुट्टियाँ बिता रही थी। उस समय के दौरान सरदेसाई एक विश्वविद्यालय क्रिकेटर थे। १९६१-६२ में भारतीय टीम के साथ सरदेसाई का कॅरिबियन दौर के दौरान दोनों संपर्क में रहे, जिसके दो साल बाद उनकी शादी हो गयी। नंदिनी ने ३५ वर्षों तक समाजशास्त्र के प्रोफेसर के रुप में काम किया और बाद में २०१५ तक केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड में सदस्य के रुप में काम किया। वर्तमान में वें मुम्बई की कुछ प्रमुख कॉलेज कि एक विज़िटिंग फैकल्टी है। सरदेसाई के चचेरे भाई सोपांदेव भी एक क्रिकेटर थे, जिन्होंने राजस्थान क्रिकेट टीम के लिये प्रथम श्रेणी के स्तर में विकेटकीपर के रुप में खेला था। सरदेसाई के तीन बच्चे हैं: बेटा राजदीप और दो बेटियाँ। उनके बेटे राजदीप सरदेसाई एक टेलिविशन पत्रकार और पुर्व क्रिकेटर है। एक क्रिकेटर के रूप में, उन्होंने पत्रकारिता में करियर शुरू करने से पहले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ब्लू अर्जित किया। वे आईबीएन १८ नेटवर्क के मुख्य संपादक थे, जिसमें सीएनएन-आईबीएन, आईबीएन ७ और आईबीएन-लोकमत शामिल थे, जहाँ से वे जुलाई २०१४ को निकल चुके थे। सरदेसाई जी की बेटी शोनाली, वाशिंगटन डीसी में विश्व बैंक में एक वरिष्ठ सामाजिक वैज्ञानिक है। उनके दामाद ताइमूर बेग, सिंगापुर में मौद्रिक प्राधिकरण के प्रधान अर्थशास्त्री हैं। उनकी बहू सागरिका घोष, एक पत्रकार और लेखिका है। उनके पोते-पोती इशान, तारिनी और अमन हैं।

क्रिकेट के बाद का जीवन

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सरदेसाई अपने बॉम्बे के फ्लेट और गोआ के घर के बीच अपना समय बाँटा करते थे। छाती के रोग के कारण वे २३ जून २००७ को बॉम्बे अस्पताल में भर्ती हुए।उस समय गुर्दे की बीमारी से पीड़ित,वे डायलिसिस पर थे। २ जूलाई २००७ को शाम ९:१५ बजे कई अंगो कि विफलता से उनकी मृत्यु हो गई। अगले दिन मुंबई के चंदनवाडी श्मशान पर राजदीप ने उनका अंतिम संस्कार किया था।

उपलब्धियाँ

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सरदेसाई को 'सरडी-सिंह' के रुप में भी जाना जाता था। १९७०-७१ के अपने सफल दौरे के दौरान, हवाई अड्डे पर सरदेसाई से पूछा गया कि क्या उनके पास घोषणा करने के कुछ भी है। उन्होंने कहा,'मैं यहाँ रनों के साथ आया हूँ, और अधिक रनों के साथ वापिस जाउंगा'। क्रिकेट के लिए उन्हें १९७० में 'अर्जुन पुरस्कार'से सम्मानित किया गया था।

गोआ सरकार के "खेल और युवा प्रसंग" के निदेशालय ने २००९ में "दिलीप सरदेसाई खेल उत्कृष्टता पुरस्कार" की स्थापना की, जिसे हर साल राष्ट्रीय खेल दिवस (२९ अगस्त) के अवसर पर दिया जाता है। इस पुरस्कार में सरदेसाई का कांस्य पट्टिका, एक उद्धरण और रु.2,00,000 का एक पर्स शामिल है। यह गोआ खिलाड़ियों के बीच प्राप्तकर्ताओं को प्रस्तुत किया जाता है जिन्होंने पिछले वर्ष के दौरान किसी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

[1]

  1. http://news.bbc.co.uk/sport2/hi/cricket/other_international/india/6263002.stm