सदस्य:Gopikastk/वल्लातोल नारायणा मेनन
वल्लथोल नारायनणा मेनन |
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वल्लथोल नारायनणा मेनन एक प्रसिद्ध कवि थे जो केरला क स्थानीय भाषा है। वह महाकवि के नाम से प्रसिद्ध हुए थे।
प्रारंभिक जीवन
संपादित करेंवह केरला के मलप्पुरम के चेन्नरा मे अपना पूरा बचपन गुज़ारे थे। उनका जन्म सन १८७८ में हुआ था और मरज सन १९५८ में हुआ था। वह बचपन से कवितारों लिखते आये ह्ँ। पूरे २७ साल बाद उन्होने चेन्नरा से, थ्रिशूर जिला के छेरुतुरुथी अपना घर बदल लिया। उस नगर को अभी वल्लथोल नगर के नाम से जाना जाता है।
कथकली
संपादित करेंवल्लथोल पारंपरिक केरल नृत्य कथकली के रूप में जाना प्रपत्र पुन: जीवित करने का श्रेय जाता है। उन्होंने चेरुथुरुथी पर केरल कलामंडलम की स्थापना,भरतपुजा नदी के तट के पास में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। आधुनिक केरल में कथकली की कला के पुनरुद्धार के लिए मुख्य रूप से वल्लथोल और केरल कलामंडलम के प्रयासों की वजह से था। उन्होंने कहा कि 1950 और 1953 के बीच विदेशों में अपने दौरे के दौरान इस कला में दुनिया के हित को प्रेरित किया।
केरला कलाम्ंडलम
संपादित करेंकविता के अल्लावा वल्लथोल केरला कलाम्ंडलम के तरफ योगदान के प्रति भी प्रसिद्ध है। उनके इन हार्दिक योगदान के वजह से छेरुतुरुथी को वल्लथोल नगर के नाम से नामकरण किया गया। कथकलि को ऊचाँइयों थक पहूँचने में वल्लथोल बहुत सहायक थे। कथकलि के बारे उन्होने दूसरे कलाऔं प्र ध्यान दिया। वह मोहिनी आट्ट्म से बहत आकर्षित थे। हालांकि सयह पुराने दिनों में एक उच्च सम्मनित नृत्य रूप था, यह यह धीरे धीरे एक बूरा प्रतिष्ट प्राप्त करना शुरू कर दिया था, जब महिलाओं इसक अपने घरों पर लाना शुरू किया। तब वल्लथोल ने ज़िम्मेदारी से ऊँच शिक्ष्क के महत्व से उस क्ला को प्रसिद्ध किया था। केरल कलामंडलम वास्तव में केरल की कला और संस्कृति को बढ़ावा देने और प्रचार करने के लिए एक केंद्र है। एक शैक्षणिक संस्थान जो ललित कलाएँ सिखाता है, यह एक आवासीय परिसर है जो इसके संरक्षकों को उनकी कला के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता की अनुमति देने के उद्देश्य से बनाया गया है।वल्लथोल नारायण मेनन द्वारा १९३० में स्थापित कलामंडलम कला सीखने के केंद्र से भी अधिक कुछ है। उत्सुकों और रूचि रखने वालों के लिए अपने द्वार खोलने वाले कलामंडलम ने केरल पर्यटन के साथ मिलकर एक मिलनसार भावना का विकास किया है। इस परिसर मे आप केरल की जीवित और मरने वाली संस्कृतियों को पुन:निर्मित होते हुए देख सकते हैं। यहाँ की मुख्य विशेषताएँ वल्लातोल संग्रहालय है जो महान कवियों और प्रवर्तकों के कार्य प्रदर्शित करता है, एक चित्रों की गैलरी जहाँ कई कलाकारों के कार्यों का संग्रह है जिन्होंने कलामंडलम को लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पुराने कलामंडलम परिसर में वल्लातोल की समाधि में उनकी आत्मा आराम कर रही है। वल्लथोल मेनन को अग्रेज़ी क कोई ञान नही है.
कविता
संपादित करेंवल्लथोल मलयालम के मुख्य लेखक थे, कुमारन आशान और उल्लूर अय्यर के साथ वल्लथोल मलयालम साहित्य के मुख्य समय के विशेष भाग थे। वल्लथोल की कविता राष्ट्रवादी राष्ट्रवादी की अभिव्यक्ति और मोते तौर पर समाजवादी भावना को बढाने के लिये प्रसिद्ध था। वह संस्क्रत और अनेक लिपि में भी लिखते थे। महाकाव्य , छित्रयोगम (१९१४), और अनेक कविता के लेखक प्रक्रति , सामान्य लोगों का जीवन जैसे विषय पर लिखते थे। वे जातीय व्यवस्था के प्रति अपने मनोभावना को सप्षद क रते हुए भी अनेक कविताएं लिख चुके हैं। अपने ज़िन्दगी में बहरापन के साथ उनका स्ंघरष भी कही लेखनाओ में चित्रित किया हैं। उसके साथ उन्होने रामायण रिगवेदा और पुराणों को भी मलयालम मे अनुवाद किया है|उनके भारत के सरकार ने सन १९५५ में पदमाभूषन पदमा भूषन से पुरस्कारित किया था।
संदर्भ
संपादित करें1."Vallathol Narayana Menon". Kerala Sahitya Akademi. Retrieved April 18, 2014. ऊपर जायें
2.↑ Sisir Kumar Das (1 जनवरी 1995) (अँग्रेजी में). History of Indian Literature: 1911-1956, struggle for freedom : triumph and tragedy [भारतीय साहित्य का इतिहास: 1911-1956, स्वतंत्रता के लिए संघर्ष: विजय और त्रासदी]. Sahitya Akademi. प॰ 206. ऊपर जायें
3. ↑ Zarrilli, Phillip (2004) (अँग्रेजी में). Kathakali Dance-Drama: Where Gods and Demons Come to Play [कथकली नृत्य नाटक: देवतागण और दानव यहाँ खेलने आते हैं]. Routledge. pp. 30-31. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780203197660.