सदस्य:Ishukutty/प्रयोगपृष्ठ
कुछ डिप्रेशन शारीरिक कारकों की वजह से होतें हैं नाकी मनोवैज्ञानिक। डिप्रेशन एक बहुत आम मानसिक कारक है। यह उदासी से बढकर होता है। मनोविज्ञान में डिप्रेशन एक ऐसी भावना है जिस्मे जीवन का आनंद लेने की क्षमता इनसान मे नही होती। डिप्रेशन के कई कारण होतें हैं, जैसे बहुत चिंता,जीवन मे कोई बुरी घटना, खुद के बारे में नकारात्त्मक वीचार, आदि।
डिप्रेशन के दो महत्वपूर्ण कारण
संपादित करेंआत्म दया
संपादित करेंअगर आप बार बार अपने आप को कोसते रेह्ते हो,या आप अपने से नफरत करते हो या फिर ये सोचते हो कि आप इस दुनिया के सबसे खराब इन्सान हो तो आप पक्का डिप्रेशन से गुज़र रहे हो। और इस बरताव को आत्म दोष कहा जाता है। यह डिप्रेशन का पहला कारण है। इसका एक बहुत अच्छा उपाय है जिस्मे सारी तकलीफों को लेके आराम से उन सब को मिलाकर एक सही और ऐसा निष्कर्ष निकालना जिस से उस इन्सान को भी तसल्ली मिले की वह गलत नही है। डिप्रेशन का दूसरा महत्वपूर्ण कारण है आत्म दया । यह तब होता है जब कोई व्यक्ति खुद के लिए खेद मेहसूस करता हो। आत्म दया तब भी देखी जा सकती है जब एक व्यक्ति उसके साथ होने वाली परिस्थिति को मानता नही और ना ही उसमे उस स्थिति का सामना करने की शक्ति होती है। और तो और कहा जाता है कि आत्म दया अपने आप पे ध्यान देने का भी एक तरीका होता है।
आत्म दोष
संपादित करेंनकारात्मक बयान एक व्यक्ति या उसके कार्य के प्रति जो कि इस समाज मे स्वीकारा नही जाएगा--इसे दोष माना जाता है। जब किसी का बर्ताव नैतिक रूप से गलत हो तो उनका कार्य कसूरवार बताया जा सकता है। आत्म दोष दो प्रकार के होते हैं-- एक कार्यों के आधार पर दोष एवं चरित्र के आधार पर। दोष ना करने के अत्यधिक कारण होतें हैं। इन में से कुछ कारण इस प्रकार हैं। मूर्खता-- मूर्खता का अर्थ है बुद्धी की कमी। इस शब्द के अनेक अर्थ है जैसे कि, दिमाग की धीमी गति, दिलच्सपी कि कमी आदि। इस परिस्तिथि में एक व्यक्ति अपना शत प्रतिशत नही दे पाता है। अज्ञान-- अज्ञान का यह अर्थ है कि आप पूरी तरह से कौशल नही हो। परंतु अज्ञान एवं मूर्खता में यह अंतर है कि अज्ञान मे एक व्यक्ति नए नए कार्य सीख सकता है परंतु मूर्खता मे एक इनसान कभी भी कुछ नया नही सीख सकता।
आत्म दोष न करने के भी कई कारण हैं। सबसे पहले तो यह कि दोष अपने आप के खिलाफ एक हिंसक कृत्य है। आत्म दोषी लोग हमेशा अपने आप का दूसरों से अलग उपचार करते हैं। उन्हे लगता है कि उनके अलावा बाकी सभी सही हैं, बस वही एक हैं जो सब कुछ गलत करते हैं। दूसरा करण यह है कि दोष सदा खतरनाक होता है। दोष खतरनाक सिर्फ तब ही नही होता जब वह खुद पर डाला गया हो बल्कि तब भी खतरनाक होता है जब दूसरों पर डाला जा रहा हो क्योंकि बाद में यही दोष नफरत, गुस्सा और हिंसा में बदल जाता है।
आत्म दोषी लोग डरपोक भी कहलाते हैं। दोष एक बहुत ही लाभदायक तरीका है जिस से लोगो को अपराध करने से रोका जा सकता है। उदाहरण के लिए, किसी कि हत्या करने से लोग डरेंगे इसलिए नही क्योंकि उनहें जेल कि सज़ा मिलेगी बल्कि इसलिए क्योंकि उनहें उस ध्ब्बे के साथ जीवन भर जीना पडेगा। इस से इनसान का आत्म सम्मान भी कम हो जाता है।
आत्म दया
संपादित करेंअगर आप कभी भी अपने आप के लिए कभी भी खेद महसूस किया हो तो आप डिप्रेशन के दूसरी वजह से वाखिफ हो--आत्म दया। यह भावना सिर्फ तभी महसूस होती है जब दोष की भावना अपने चरम सीमा पर हो। उदहरण के लिए कोई व्यक्ति अपने आप को इतना दोषित माने कि वह इस हद तक अपने आप को सज़ा दे कि वह अपनी कलाई काटे या धूम्रपान की आदत सीख ले आदि। कई बार तो अगर आत्म दया झूठे आरोपों की वजह से हो तो इसका असर उनके आत्म सम्मान एवं बर्ताव में दिखाई देता है। आत्म दया की एक महत्व्पूर्ण बात यह है कि इसमे एक व्यक्ति के लिए सबसे पहले वह खुद आता है और बाद मै किसी और के बारे में सोचता है।