॥ जय देव, जय वेद ॥


चित्र इद राजा राजका इदन्यके यके सरस्वतीमनु ।
पर्जन्य इव ततनद धि वर्ष्ट्या सहस्रमयुता ददत ॥ ऋग्वेद ८/२१/१८