अजमेर सिंह संपादित करें

 
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Basketball dunk in India

परिचय संपादित करें

जो ठान लो तो जीत है जो मान लो तो हार है| यह कहानी है भारत के एक ऐसे बास्केटबॉल खिलाड़ी की जिन्हें खेल जगत का सर्वोच्च सम्मान अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया| हरियाणा के करनाल जिले के रुकन पुर गांव के श्री मनसा राम जी चोपड़ा जी के घर 12 दिसंबर 1953 श्री अजमेर सिंह जी का जन्म हुआ | बचपन से ही पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में इनकी विशेष रूचि रही | शारीरिक रूप से स्वस्थ एवं लंबे चौड़े व्यक्तित्व के धनी श्री अजमेर सिंह जी ने हरियाणा पुलिस में अपनी भर्ती दर्ज कराई |

बास्केटबाल की ओर झुकाव संपादित करें

खेल में रुचि होने के कारण बॉलीबॉल खेला करते थे | 6 फीट 5 इंच की लंबाई के कारण वह वॉलीबॉल बहुत अच्छा खेला करते थे | लेकिन कहते हैं ना आप अगर ईमानदार हैं और आपकी अगर लगन सच्ची हैं तो अपने आप रास्ते खुलते जाते हैं | अजमेर जी का भविष्य बास्केटबॉल के लिए था इसीलिए हरियाणा के बास्केटबॉल के कोच की नजर जब उन पर पड़ी तो उन्होंने अजमेर जी को बास्केटबॉल खेलने की राय दी | अजमेर सिंह जी ने उनकी राय पर ध्यान दिया और बास्केटबॉल खेलना शुरु कर दिया | हरियाणा में बास्केटबॉल बहुत अच्छा नहीं खेल पा रहे थे इसीलिए राजस्थान के कोटा शहर में चले गए और उनकी किस्मत का दरवाजा खुल गया | जब बास्केटबॉल उन्होंने बहुत अच्छा खेलना शुरु कर दिया तो उन्होंने राजस्थान राज्य की तरफ से खेलना शुरु कर दिया | अपने रास्ते को तय करते हुए इन्होने राजस्थान रेलवे के बास्केटबॉल टीम की सदस्यता ली |

कठिनाइयां संपादित करें

अजमेर सिंह जी आगे बढ़ रहे थे लेकिन उनकी मंजिल किसी प्रदेश की नहीं थी बल्कि वह अपने देश का प्रतिनिधित्व करना चाहते थे | भारत में बास्केटबॉल के लिए मीडिया का ध्यान हमेशा दुर्लभ रहा | जिस तरह महाभारत में अर्जुन की नजर मछली की आंख पर थी उसी प्रकार अजमेर सिंह जी का सपना भारत की तरफ से एशिया ही नहीं बल्कि ओलंपिक में खेलने का था | हौसला सही हो तो मंजिल मिल ही जाती है | इसी को चरितार्थ करते हुए सन 1980 में अजमेर सिंह जी को यह स्वर्णिम मौका मिला जब हिंदुस्तान पहली बार बास्केटबॉल खेलने ओलंपिक का हिस्सा बना | ग्रुप ए में मेजबान टीम के साथ जहां ब्राजील चेकोस्लोवाकिया जैसे देश हिस्सा ले रहे थे वहां हिंदुस्तान भी अपना हिस्सा लिए हुए था |

 
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ओलंपिक खेल 1980 संपादित करें

भारत 1980 में ओलंपिक में आखिरी 12 बास्केटबाल टीमों में से एक था, लेकिन वे दुनिया की शीर्ष 12 बास्केटबाल टीमों में से एक थे। वे एशिया की सर्वश्रेष्ठ टीम भी नहीं थे। 1980 के टूर्नामेंट के लिए योग्य अन्य टीम सोवियत संघ (मेजबान), युगोस्लाविया (एफआईबीए वर्ल्ड चैंपियंस), सेनेगल (अफ्रीकी चैम्पियनशिप विजेता), चीन (एशियाई चैम्पियनशिप विजेता) और ऑस्ट्रेलिया (ओशिनिया चैंपियनशिप विजेता) थीं। शेष छह बर्थ का निर्णय प्री-ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट के माध्यम से किया गया था, जो प्यूर्तो रिको, कनाडा , अर्जेंटीना , इटली , चेकोस्लोवाकिया और स्पेन में गया था। अप्रत्याशित, तैयार नहीं, और अंडरगॉग, लेकिन यहां भारत था - एक दल जो एशिया में चौथे स्थान से अधिक नहीं हुआ था - सोवियत संघ, युगोस्लाविया, इटली, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, ब्राजील, क्यूबा, चेकोस्लोवाकिया, स्वीडन, और ओलंपिक में सेनेगल। 60 के दशक और 70 के दशक के अंत में भारतीय बास्केटबॉल के लिए एक अच्छा समय रहा - इतिहास में आज का सबसे बड़ा समय - और उनकी अजीब यात्रा, युद्ध और राजनीति के माध्यम से, इस तरह के महान युग के खिलाड़ियों को ओलंपिक में एक जगह मिली। कप्तान परमजीत सिंह ने टीम का नेतृत्व किया, एक रोस्टर जिसमें 6'5 "सुपरस्टार अजमेर सिंह, प्रतिभाशाली श्याम राधे, अमरनाथ नगरजन, बलदेव सिंह, हनुमान राठौर, दीनारर, परवेज ईरानी, तारलोक सिंह संधू, परमदीप सिंह, दिलीप गुरुमूर्ति, जोरवरा सिंह, और हरभजन सिंह जैसे शानदार खिलाड़ी टीम में शामिल थे | यह टूर्नामेंट 20-30 जुलाई , 1980 से मॉस्को में आयोजित किया गया था। भारत को मेजबानों के साथ समूह ए में रखा गया था और अब टूर्नामेंट में सबसे आत्मविश्वास टीम, सोवियत संघ, ब्राजील, जिसमें ऑस्कर श्मिट जैसे प्रतिष्ठित खिलाडी शामिल थे, और चेकोस्लोवाकिया शामिल थे । ग्रुप बी में युगोस्लाविया, स्पेन, पोलैंड और सेनेगल शामिल थे, और ग्रुप सी गोल इटली, क्यूबा, ऑस्ट्रेलिया और स्वीडन के साथ घिरा हुआ था। हालांकि किसी भी देश ने बहुत दिल से स्वागत नहीं किया परंतु अजमेर सिंह जी के खेल को देखकर सभी नतमस्तक हो गए इस खेल में भारत ने कांटे की टक्कर दी | 20 से 30 जुलाई तक चलने वाला यह खेल ब्राजील ने जीता परंतु भारत का स्थान भी अच्छा रहा 32 पॉइंट बनाया जिसमें 21 अजमेर सिंह जी के थे और उस साल ओलंपिक खेलों में श्री अजमेर जी का स्थान 10 बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक था |यह भारत के लिए बास्केटबॉल में एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी इस घटना को स्वर्णिम घटना कहें तो गलत नहीं होगा क्योंकि यह भारत के लिए ओलंपिक में आज तक की बास्केटबॉल में पहली और आखरी भागीदारी रही |कैसा डर है की दिन निकल गया अभी तो पूरी रात बाकि है , यही ही हिम्मत नही हार सकता में अभी तो कामयाबी से मुलाकात बाकि है।

एशियाई खेल संपादित करें

अजमेर सिंह जी आगे बढ़ रहे थे उनका यह सिलसिला चलता ही रहा भले ही ओलंपिक नहीं परंतु एशियाई खेलों में उन्होंने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया | 1981 में कोलकाता, 1983 में हांगकांग जब यह अपनी टीम के कप्तान भी थे, 1985 में क्वालालंपुर, 1987 में बैंकॉक, सन 1989 में चाइना के बीजिंग में गई और यह सफर 1991 में जापान तक चलता ही रहा |

अर्जुन पुरस्कार संपादित करें

अजमेर सिंह जी को 1982 में तात्कालिक राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह जी द्वारा भारत का सर्वोच्च खेल पुरस्कार अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया | यह कहना गलत नहीं होगा भारत में बास्केटबॉल का दूसरा नाम श्री अजमेर सिंह जी चोपड़ा है |

संदर्भ संपादित करें

https://en.wikipedia.org/wiki/Ajmer_Singh_(basketball)