मायादेवी

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मायादेवी की मूर्ती.

मायादेवी गौतम बुद्ध की माता थीं। संस्कृत में उनके नाम का अर्थ मोह माया है। उनके पिता अन्नजना थे और माता यसोधरा थी। उनकी एक बहन थी। उनका जन्म देवदहा में हुआ था जो साकया वंश में(अब नेपाल में) हुआ करता था। वह महापजापती गौतमी की बहन थी जो बौद्ध धर्म की भक्ति से विहित की गयी थी और जिसने गौतम बुद्ध को पाला-पोसा था।मायादेवी का विवाह शाका के कपिलावस्तु का शासक, सुद्धोदना से हुइ थी। बीस साल के विवाह के बाद भी उनका जन्माना नही हुआ था। वह सुधोधना की पहली श्रीमती थी। प्रभोत पाकर, गौतम बुद्ध ने अपने माता के दर्शन करने के लिये तुशिता स्वर्ग गये थे। बौद्ध परंपरा के अनुकूल गौतम बुद्ध के जन्म के बाद मायादेवी की मृत्यु हो गयी थी और उनका जन्म बौद्ध धर्म में,तवातिमसा स्वर्ग में, सात दिन बाद हुआ था जिसके अनुसरण, बाकी सारे बुद्ध का जन्म हुआ था। एक और बौद्ध परंपरा के मुताबिक गौतम बुद्ध का खयाल रखने के लिये ३२ नर्स नियुक्त किये गये जो बुद्ध को संभालने में व्यस्त थी। प्रारंभिक बौद्ध ग्रंथो में मायादेवी की महानता २५०० सालों से जीवित रही है और यह उल्लेखनीय से कम नही है। गर्भावस्था में दर्द के बजये उन्होंने शुद्ध दृष्टि महसूस की जिसमें वह अपने दाहिने हाथ में पेड़ की डाली पकड़े हुए, भगवान इन्द्र और भग्वान ब्रह्मा ने बच्चे को व्यथाहीनता से, उसके दाहिने हाथ के नीचे से बच्चे को(गौतम बुद्ध को) जन्म दिया था।[1]

 
गौतम बुद्ध का जन्म।.


गौतम बुद्ध का जन्म

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किंवदंती के अनुसार, मायादेवी को पूर्णिमा की रात को सपने में अपने-आपको चार देवतओं के प्रति, अनोटाटा की झील ले जा रहे थे। मायादेवी, महक और फूल में आवरण होने के बाद, एक सफेद हाथी अपनी सूँढ में एक कमल का फूल पकड़े, मायादेवी के तीन चक्कर काटने के बाद उनकी कोख के भीतर जाकर गायब हो गया। जागने पर, मायादेवी जानती थी की उनको एक महत्वपूण संदेश दिया गया था क्योंकि हाथी महानता का प्रतीक है। परंपरा के मुताबिक, सपने में वह कपिलवस्तु गयी थी जहां साल के पेड़ के नीचे बौद्ध को जन्म दिया था जिसकी वजह से गर्बावस्था के दौराण उनके हाथ में साल के पेड़ की डाली हाथ में थी। लेकिन सात दिन बाद उनकी मृत्यु हो गयी थी। उनकी मृत्यु कपिलावस्तु में, शाकया राज्य में हुआ था। उनके मृत्यु का कारण अज्ञात है। [2]


पार संस्कृतिक विशलेशण

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जेड पी थुन्डी ने सर्वेक्षण कर, गौतम बुद्ध और यीशु(ईसा मसीह) के जन्म की समानता और अंतर के बारे में खोज कर, यह पता चला कि उन दोनो के जन्मों में बहुत समानता थी। उन्में समानता होने के बावजूद यह अंतर था कि मायादेवी गौतम बुद्ध को जन्म देने के बाद ही मायादेवी की मृत्यु हो गयी थी(जैसे सारी मातायं बौद्ध परंपरा में) लेकिन यीशु के जन्म के बाद के बाद भी मैरी जीवित रही। थुन्डी ने इस बात पर ज़ोर नही डाला कि एतिहासिक प्रमाण यह बात केहता है कि यीशु की, ईसाई की जन्म की कहानियां बौद्ध परंपरा से प्राप्त की गयी है लेकिन शायद यह सुझाव देती है कि ईसाई विद्वानों ने बौद्ध परंपरा को स्रोत बनाकर, ईसाई के बारे में सोचा होगा।

 
मायादेवी।.


मूर्ति विज्ञा

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मायादेवी गौतम बुद्ध की माता ही नही, वह हम सबकी माता है। बौद्ध साहित्य और कला में ललितविस्तर सूत्र में लिखा गया है कि उनकी सुंदरता शुध सोने की डला की तरह निखर उठता है। चाहे वह माहामाया हो, मायादेवी हो या गयुत्रुलमा हो(तिब्बिति में) वह इस दुनिया के चमत्कार को जीवित करने में और लोगों के जीवन को प्रबुद्ध करने में सफल रही है और यह उत्तमता हमें बुद्ध की उपासना करते हुए ध्यान में रखनी चाहिये। मायादेवी के गुण और प्रतिभा उनके विशिष्ट लक्षण थें जिसकी वजह से वह सर्वोच्च बुद्धि से प्रतिभाशाली थीं। बौद्ध विद्वान मिरांडा शॉ ने कहा था कि मायादेवी के जन्म दृश्य में उनका चित्रण पहले के बौद्ध धर्म में वो पैटर्न से मिलत झुल्ता है जो यकशिनि से मिलता झुल्ता है। माहामाया बुद्ध की जननी होने के सारे सदगुण प्राप्त कर चुकी थी क्योंकि उन्होंने पंचशील की धार्मिक प्रथा की और परामी की प्रथा का अनुसरण किया था।

  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Maya_(mother_of_the_Buddha)
  2. http://bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BE_%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%80_%E0%A4%B6%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%AA%E0%A5%80%E0%A4%A0