मुकेश वर्मा रंगनिर्देशक,[1]पत्रकार ,फ़िल्म निर्देशक mukesh verma playwriter,director & journalist lucknow uttar pradesh लखनऊ मुकेश वर्मा ज्वलंत विषयों एवं सामाजिक मुद्दों को मंच पर लाने वाले देश के चर्चित नाटककार और निर्देशक युवा रंगनिर्देशक पेशे से पत्रकार हिंदी सप्ताहिक अखबार भाषा संवाद के संपादक है.आप ज्वलंत विषय को मंच के माध्यम से जन मुद्दों की आवाज बन चुके है । मुकेश वर्मा ने रंगमंच में कई स्थापित मानक तोड़े और कई मानक स्थापित किये , विगत कई वर्षो से सक्रिय बतौर नाटककार एवं नाट्य निर्देशक मुकेश वर्मा ने कई मूल नाटक लिखे एवं उनका मंचन देश भर में मंचन किया और नई प्रतिभाओं को मौका दिया साथ ही प्रतिभाओं को अवसर देने के लिए सत्यपथ स्थापना की जिसका उद्देश्य रंगमंच को बढ़ावा मिल सके। उसी मंशा के चलते सदैव नए नाटक मंचित किये जिसमे से कुछ नाटक अपने विषय को लेकर चर्चा में रहे भ्रस्टाचार पर चोट करता नाटक 'माई सैंडिल '2011 में तात्कालीन सरकार ने उसकी विषय वस्तु को लेकर उस पर रोक लगा दी थी। इसी तरह रंगकर्मियो की समस्याओं पर आधारित 'अन्ना मेरा बाप' था नाटक मंचन के बाद प्रेक्षागृह के हालात बदले और उसमे सुधार हुआ। 'अयोध्या में रावण, 'सत्याग्रह 2' गंगा व्यथा नाटक प्रदूषित होती गंगा के था जिसके मंचन लगातार हुए। भ्रूण हत्या के विरुद्ध'चुनमुन की अदालत 'आधारित था वही अन्य नाटक रैगिंग ,'भूंख' ,'हड़ताल' ,दामिनी हत्या कांड पर आधारित 'दामिनी अब कुछ शेष नही' आज़ादी तुझे सलाम, तीन चाय, हे ! ट्रम्प ,'सिंघासन मेरे बाप का, 'कचरा हाउस'मदर इंडिया कस्तूरबा,बंद खिड़की ,चिल्लर, जेल,द ग्रेट सुदामा,गाथा,मधुशाला (नाट्य रूपांतरण ) एक थी पारुल ( कहानी मंचन ) मिसेज श्रीकांत,यशोदाबेन, बन्नो, वह मर्दानी, इन्द्राणी ,मथुरा ,सोनम जी बेवफा ,भगत,जैसे नाटक देश के विभिन्न स्थानों पर मंचित किए साथ पुलिस और जनता को जोड़ते मुद्दे पर आधारित नाटक चौकी नंबर 100, चुप्पी तोड़ खुलकर बोल 1090 जो अब इसका स्लोगन बना हुआ है आपको कई सम्मान से अलंकृत किया गया जिसमें " यूथ आइकन 2012, अवध रत्न , नाट्य श्री, सलाम लखनऊ, कौमी एकता, लखनऊ महोत्सव नाट्य समिति द्वारा पंडित आनंद मिश्र अवार्ड , अदाकार- ए -अवध , पैगाम 2014, रंगमंच में योगदान के लिए भरत श्री ,साथ ही देश में होने वाली नाट्य मंचन प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय अंत्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेते हुए कई अवार्ड जीते और शहर प्रदेश का नाम रौशन किया नाटक के साथ अपने तमाम लघु फिल्मे,लिखी एवं निर्देशित की आपके द्वारा लिखी गयी फिल्म तलब बनी जिसको उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सब्सिडी प्रदान की गयी।और इसी कड़ी में अब अपनी धरोहर से परिचय कराने के लिए आपने राष्ट्रीय एकता की परिचायक वीरांगना 'बेगम हज़रत ' (लाईट और साउंड ) के मंचन की तैयारी है जिसका उद्देश्य उनसे जुड़ी संस्कृति से भावी पीढ़ी को परिचय कराया जा सके , हमे विश्वास है यह मंचन एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति को जोड़ने के लिए एक नया अध्याय साबित होगा। आपको बता दें एक सर्वेक्षण के अनुसार दुनिया के सर्वश्रेष्ठ युवा नाटककार मुकेश वर्मा की गिनती होती है। मुकेश वर्मा ने 150 से ऊपर व्यंग रचनाएं की एव हिंदी में लगभग 50 पचास से ऊपर नाटक लिखे और निर्देशित भी किये । आप ने हिंदी फिल्म मल्लाह का लेखन,निर्देशन भी किया जो जल्द भारत सहित कई देशों में प्रदर्शित होने की योजना पर कार्य चल रहा है। फ़िल्म का निर्माण द श्री विश्वनाथ फ़िल्म के बैनर तले किया गया है । फ़िल्म का संगीतकार मोंटी शर्मा द्वारा किया गया है। तो फ़िल्म के प्रमुख कलाकार पुनीत वशिष्ठ, विंदया तिवारी,यजुर मारवाह ,सपन कृष्णा ,श्रद्धा है। सिनेमेटोग्राफी विवेक शर्मा एवं क्रिएटिव करन वर्मा हैं।

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