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मुक्ति संग्राम की बेला में , मां गंगे तुम आ जाओ

गंगा सफाई का संदेश दे गया हिंदी नाटक गंगा व्यथा .…………………………………

संस्कृति मंत्रालय (CFGS)भारत सरकार नई दिल्ली, के सहयोग से शक्ति मिश्रा प्रस्तुत एवं निर्देशित हिंदी नाटक गंगा व्यथा का मंचन राय उमानाथ ,बली प्रेक्षागृह में हुआ नाटक के लेखक चर्चित नाटककार मुकेश वर्मा है ।

नाटक ' गंगा व्यथा' स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत की कल्पना को साकार करता है नाटक गंगा व्यथा में गंगा की सफाई के प्रति लोगो को आगाह करता है बल्कि जनमानस के उन सवालों की भी गंभीरता के साथ पड़ताल करता है ,जो लोगों के मन में उठते रहते हैं नाटक में आंकड़ो के साथ सफाई में खर्च की भी पड़ताल की गयी है और लोगो को आगाह भी किया गया है कि सरकार के साथ लोगों की भी ज़िम्मेदारी बनती है कि वह सफ़ाई का ध्यान रखे कचरा गंगा में प्रवाहित करना न करना हम आपके ऊपर निर्भर करता है।

नाटक मंचन का उद्देश्य जन मानस को जागरूक करना है जिसे निर्मल जल को मैला होने से बचाया जा सके नाटक की कहानी का मुख्य आधार भगीरथ के पृथ्वी पर आने से आरम्भ है भगीरथ माँ गंगा के दर्शन के लिए पृथ्वी पर आते है लेकिन माँ गंगा की स्थिति देखकर भगीरथ काफी दुःखी होते हैं ,वह अपने पूर्वजो के उद्धार की बाते करते है तभी नाटक के मध्य सूत्राधार का प्रवेश होता है वह भगीरथ को मानसिक विक्षिप्त बता कर मंच से भगाने का प्रयास करता है और लोगो को बताता है की वह यहाँ से चला जाये सूत्राधार और भगीरथ के बीच युद्ध की नौबत आ जाती है भगीरथ के पूर्वजो के रुप में बुत भगीरथ को मारने का प्रयास करते है जिसमें वह सफल होता है नाटक रोचकता के साथ आगे बढ़ता है घायल भगीरथ को बचाने के लिए मृत बुत माँ गंगा को आवाज देते है ,आवाज सुन कर माँ गंगा आती है और उनसे साफ जल पिलाने का आग्रह लोगो से करती है लेकिन साफ जल कहीं नहीं मिलता अंत में माँ गंगा स्वयं  गंगा जल लेकर आती है ।भगीरथ बने युवक के प्राणो की रक्षा करती है और नाटक अपने इसी सन्देश यदि समय रहते हमने इस जल की रक्षा नहीं की तो सब समाप्त हो जायेगा

नाटक में सूत्रधार - सिद्धार्थ श्रीवास्तव , गंगा का किरदार अनन्या ठाकुर,भगीरथी -देवेंद्र देवराम ठाकुर,-विष्णु-पूर्वज ,बुत- सागर मंधानी, मो. शारुख ,प्रशांत मिश्र ,विनीत बाजपेई ,. ..... ... . भक्त - सुशील गौतम अमरनाथ ,विश्वकर्मा ,प्रखर देवेदी , देव दत्त - शक्ति मिश्रा, अर्पण- अक्षत मिश्र संगीत - ज्योति पाप रूप सज्जा - राजकिशोर। वेश भूषा - अंतिमा ठाकुर प्रचार प्रसार - कैलाश नारायण क्रिएटिव निर्देशक - रितेश सिंह मुख्य सहायक निर्देशक अक्षत मिश्रा नाट्यालेख मुकेश वर्मा नाट्यनिर्देशन शक्ति मिश्रा