सदस्य:Rashidhilla/प्रयोगपृष्ठ
गोवर्धनराम त्रिपाठी
गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी | |
---|---|
गोवर्धनराम त्रिपाठी | |
जन्म |
20 अक्टूबर 1855 नडियाद |
मौत |
1 अप्रैल 1907 मुंबई | (उम्र 51 वर्ष)
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | उपन्यासकार, वकील |
प्रसिद्धि का कारण | सरस्वतीच्ंद्र |
गोवर्धनराम त्रिपाठी | |
---|---|
गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी (गुजराती: ગોવર્ધનરામ માધવરામ ત્રિપાઠી) एक भारतीय गुजराती भाषा के उपन्यासकार थे। त्रिपाठी पिछले १९वीं शाताब्दी और पूर्व २०वीं शताब्दी के लेखक थे। वे "सरस्वतीचन्द्र (उपन्यास)" नामक उपन्यास के लिए प्रतिष्ठित थे जो चार हिस्सो मे लिखा गया था।
जीवन
संपादित करेंगोवर्धनराम त्रिपाठी का जन्म २० अक्टूबर १८५५ मे दशहरा त्योहार के दिन हुआ था।
उन्होने सन् १८७५ मे अपनी बी.ए की उपाधि प्राप्त की और सन् १८८३ मे एल.एल.बी की उपाधि प्राप्त की। त्रिपाठी ने सन् १८८४ मे मुंबई शहर मे वकीली शुरु की थी। त्रिपाठी ने ४३ की उम्र मे अपने जन्मस्थल नडियाद मे जल्दी अवकाश ग्रहण कर लिया था।
उनकी जल्दी निवृत्ति का उद्देश्य गुजराती साहित्य के योगदान और प्रगति था और साथ ही साथ अपना जीवन जन-सेवा मे बिताया। गोवर्धनराम त्रिपाठी का स्वर्गवास ४ जनवरी १९०७ मे मुंबई मे हुआ।
साहित्य
संपादित करें१८८७ मे, सरस्वतीचंद्र का पहला भाग प्रकाशित हुआ था, जिसके बाद दूसरा भाग १८९२ मे, तीसरा भाग १८९८ मे और चौथा और अंतिम भाग १९०१ मे प्रकाशित हुआ था। वे अंग्रेज़ी भाषा मे धाराप्रवाअह थे और 'स्क्रॅप बुक' नामक अंग्रेज़ी उपन्यास लिखा।
उन्होने १९०२ मे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस मे भी सक्रिय भाग लिया, और १९०५ मे गुजराती साहित्य परिषद के पहले राष्ट्रपति बने। उन्होने कई लेख और निबंध भी लिखे जो "वसन्त" और "समलोचक" नामक पत्रिकाओ मे प्रकाशित हुए। कुछ सालो के बाद यह पुस्तक के रूप मे भी प्रकाशित हुए।
गोवर्धनराम त्रिपाठी की रचनाएँ
संपादित करेंलेखक | गोवर्धन त्रिपाठी |
---|---|
मूल शीर्षक | સરસ્વતીચંદ્ર |
अनुवादक | विनोद मेघाणी |
भाषा | गुजराती |
प्रकाशन स्थान | भारत |
आई.एस.बी.एन | 81-260-2346-5 |
891.473 |
गोवर्धनराम त्रिपाठी की रचनाओ ने १९वी और २०वी सदियो मे अपने मध्यवर्गीय वाचको पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव किया था। उनके रचनाओ मे अंग्रेज़ो के सांस्कृतिक आक्रमण के बारे मे लिखा जिससे तब के युवा और उसके परिवार के लिए वे आदर्शो का पथ दिखाते थे। उनके ज़्यादातर नायक पुरुष ही थे, और विशेष रूप से स्न्रातक या ग्रेजुएट थे। उनके नारी पात्र अधिकतर अशिक्शित थी चाहे वह फिर धनी एवं प्रतिष्ठित परिवार से हो या संस्कारी परिवार से हो।
उनकी रचनाओ मे स्त्री का चरित्र हमेशा ऐसा था जो घर को अच्छे से चला सके और तकलीफ के समय मे भी अपना शांत बनाए रखे। गोवर्धनराम त्रिपाठी की सोच उस समय के हिसाब से पारंपरिक थी और इसलिए अपनी रचनाओ मे स्त्री पात्रो को भी पारंपरिक तौर मे दिखाया था। उनकी रचनाओ मे उस समय के और उनके खुद के विचारो का प्रतिबिंब झलक पडता है।
उनकी कुछ रचनाए -
- स्नेहमुद्रा
- सरस्वतीचंद्र (भाग १, २, ३ और ४) - सरस्वतीचंद्र एक प्रेम कथा है। यह उपन्यास चार भागो मे प्रकाशित किया गया था और १५ साल के अवधि मे लिखा गया था। यह उपन्यास १९वी सदी के सामंतवाद भारत मे स्थित है। यह कहानी सरस्वतीचंद्र नामक एक युवक और कुमुदसुंदरी नामक एक युवती की प्रेम कहानी है। इस कहानी मे वे दोनो कई बार बिछड जाते है और अंत मे मिलकर एक हो जाते है। इस कहानी को चलचित्र के रूप मे उपन्यास के आधार पर १९६८ मे बनाया गया और २०१३-१४ मे दूरदर्शन श्रृंखला के रूप मे भी बनाया गया था।
- लीलावती जीवनकला
- साक्शर जीवन्
- नवलराम नु कवि जीवन
- दयाराम नो अक्शरदेह
- समलोचक
- सदावस्तु विचार
- क्लासिकल पोयेट्स ऑफ गुजरात
- स्क्रॅप बुक
विरासत
संपादित करेंसन् ११८५ से सन् १९१५ के समय को गुजराती साहित्य मे "गोवर्धन युग" के नाम से जाना जाता है। २७ अप्रैल २०१६ मे गोवर्धनराम त्रिपाठी के सम्मान मे एक स्मरणीय स्टेम्प जारी किया गया था। यह डाक टिकट गाँधीनगर शहर मे गुजरात के मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने किया।
संदर्भ
संपादित करें१) Sonal Shukla. “Govardhanram's Women.” Economic and Political Weekly, vol. 22, no. 44, 1987, pp. WS63–WS69. www.jstor.org/stable/4377664। http://www.jstor.org/stable/4377664
२) http://www.govardhanramtripathi.com/about.html
३) http://anandibenpatel.com/en/gujarat-cm-launches-postal-stamp-memory-shri-govardhanram-tripathi/
५) http://gujaratonline.com/arts/sahitya.htm
६) https://www.britannica.com/biography/Govardhanram-Tripathi