Rasvihari mishra 1234
मां विंध्यवासिनी तूमैंन,
मंदिर काफी प्राचीन माता जी का मंदिर है। जो की मध्यप्रदेश,जिला अशोकनगर से दूरी 9km. दक्षिण दिशा पर स्थित हैं। मंदिर हजारों वर्ष पूर्व निर्मित जिसमे मुगलकालीन समय पर मंदिर के खंभों दीवारों की मूर्तियों को खंडित किया गया है मंदिर जिसमें भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का चित्रण मंदिर के खंभों, दीवारों पर अंकित है।। देवी ↵विंध्यवासिनी भगवान कृष्ण की बहन हुईं हैं। कंस जब बहन को विवाह के बाद बिदा कर जाता है तो अकस्मात आकाश बाड़ी सुनता है वसुदेव देवकी की अष्टम संतान तेरा काल होगी जैसे ही आकाश बाड़ी सुनता तो दोनो को कालग्रह में बंद कर देता है। जो योग माया हुई जो नंद यशोदा के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था। वसुदेव, देवकी के यहां भगवान कृष्ण अवतरित हुए थे कंस जिसे कालग्रह में मारना च रहा था। उसी रात कालग्रह से वसुदेव भगवान कृष्ण को नंद के घर ले जाते है बहा से यशोदा के घर जन्मी पुत्री योग माया दुर्गा जैसे कंस को पता चलता बह मारना चाहता है तो कन्या आकाश में चली जाती दुर्गा रूप धारण कर लेती तू मुझे क्या मारना चाह रहा है। तुझे मारने बाला जन्म ले चुका है । और बही आगे चलकर मां विंध्यवासिनी के नाम से जानी जाती हैं।