कान्स्टण्टैन ३ का पत्नी का नाम प्लसीदा है। उनके दो बेटे है कान्स्टन्स और माग्ना मेजर। उनका राज्य ४०७ ए ड से ४०९ ए ड तक था।

 
कान्स्ट्ण्टैन का सिक्का

कान्स्टण्टैन ३ पक्ष्चिमी रोमन सम्राट थे । उनकी म्रतयु १८ सितंबर ४११ में हुआ। उनहोनें खुद को पक्ष्चिमी रोमन सम्राट घोषित किया। लेकिन इस सम्राट को पकडा और उनकी फांसी हुइ।

कान्स्टण्टैन ३ का पूरा नाम 'फ्लावियस क्लोढियस कान्स्टिनस' है। ब्रिटैन ,गौल और स्पैन का शासक था। आधूनिक विध्वानों का मानना है कि कान्स्टण्टैन ३ रोमन ह्डपनेवाला मागनस क्लेम्नस माक्सिमस का एकमात्र पुत्र है। रोमन सैनिकों ने कान्स्टण्टैन ३ को सम्राट के जगह पे लेके चला। यह तब हुआ जब मारक्स और गरेशिय्न का ह्त्या हुआ। कान्स्टण्टैन ३ ने गौल पार करके , एरीस को अपना राजधानी बनाया। ४०८ में उनहोनें अपने राज्य को स्पैन तक पेश किया। होनोरियस ने कान्स्टण्टैन ३ को ओग्स्त्स नाम से पहचाना। जेरोन्शियस कान्स्टण्टैन ३ का मुख्य सेनापति था। लेकिन जेरोन्शियस भरोसेमंद नहीं था। उनहोनें दो बार अपना पक्षों को बदल दिया। स्पैन के सम्राट के मदद से इनहोनें गौल के बोहत सारे जगहों को कब्ज़ा किया। अंत मे कान्स्टण्टैन ३ को एरीस में घेर लिया और उनहोनें आत्मसर्मपन किया । इसके बाद इनको मार डाला गया।

प्रारंबिक जीवन

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कान्स्टण्टैन ३ के पूर्ववर्ती ग्राशियन है और उत्तराधिकारी होनोरियस था। उसकी पत्नी का नाम के बारे में कोइ भी जानकारी नहीं है। कान्स्टण्टैन का धर्म नायसिन ईसाइ था। उनहे सह-सम्राट माना गया था। सन ४०८ मे इताल्वी बलों एकजुट होकर हमला करने चाहा लेकिन कान्स्टण्टैन के पास कोइ और योजनाऍ था। हमले होने के डर में कान्स्टण्टैन ने अपने बडे बेटे कान्स्टण्स को बुलावा दिया। कान्स्टण्स ने पिता के पुकारनें से मठ चोडकर आया। पिता कान्स्टण्टैन ने बेटे को सीसर नाम दिया और उसे सह-सम्राट बनाया। सीसर को सेनापति के साथ हिसपेनिया बेजा जया। होनोरस के चचेरे भाई को पकडा गया

ओरोसियस ने कहा है कि 'अपने प्रतिद्वंद्वियो के खिलाफ लडने के लिए कान्स्टणटैन ३ ने अपने बेटे कान्स्टान्स को स्पैन बेजते है, लेकिन कान्स्टान्स साधू बन गया।'

सत्तारूढ अवधि

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कान्स्टण्टैन ३ ने अपने बेटे को तलब दिया था। वह चाहा कि कान्स्टान्स के साथ स्पैन राज्य का परामर्श करे। इस वजह से कान्स्टान्स ने अपने कोर्ट को चोडकर स्पैन चला गया। पत्नी को सारगोस्सा में हि चोडा। जेरोनशियस के राज्य पर शासन किया। डिडिमस और वेरानियस को पकडा गया और लगोडियस और थियोडोलफस ने गायब हो गाया। कानस्टण्टैन के बेटे कान्स्टण्स ने अपनी पतनी और ग्रहस्थी चोडकर अरलेस के यात्रा में चले गये। उसी समय कुलीन सटिलेको कि म्रत्यू हुइ। पश्चिमी सेनापति सरस ने सेना को परित्यक्त किया और बिना सैन्य-शक्थि अपने सम्राट होनोरियस को रवेन्ना में चोडा। उसी वक्त कान्स्टणटैन के दूत रवेन्ना में था और डर से बरा हुआ होनोरियस ने कान्स्टणटैन को सह-सम्राट माना। दोनों एक साथ मिलकर ४०४ वर्श तक कॅसूल थे।


इन सब होनें के बाद यह पता चला कि एक नए सेनापति होनोरियस कि मदद कर रहे थे । कान्स्टण्टैन आशा कर रहे थे कि उसके सेनापति एडोबेकस वापस आए। एडोबेकस उत्तरी गॉल में फ्रान्क्स के बीच में सैनिकोंका परवरिश कर रहा था। लेकिन एडोबेकस को एक सरल रणनीति से हराया गया। यह सब होने के बावजूद भी कान्स्टण्टैन ने हिम्मत नहीं हारे।

उनहोनें सदा जीतने की कोशिश की । लेकिन उनके अंदर जितने भी आत्मविश्वास बाकी था वो सब चूर-चूर हो गया जब अंतिम सैनिकों जो राइन की रक्षा कर रहे थे , कान्स्टण्टैन को चोडकर जोविनस की मदद करने चले। सुरक्षित यात्रा का वादा और लिपिक कार्यालयों के बावजूद कान्स्टानट्न्स ने पूर्व सैनिक को कैद कर लिया और म्रत्यू की सजा दी। कान्स्टणटैन ३ एक वीरता से बरा हुआ सम्राट था । लेकिन अपने सह-आद्मियों कि वजह से वे अपना राज्य की रक्षा नहिं कर पाया। उनके पूरे परिवार के बारे में अधिक जानकारी नहीं। सबसे अधिक हमें उनके बेटे के बारे मे पता हें । इसके साथ-साथ कान्स्टणटैन ३ के चित्र रोमन सिक्कों में देखने को मिलती हें।

कानस्टण्टैन ३ जेरोनशियस के खिलाफ लडाया। जेरोनशियस का विद्रोह स्पैन में हुआ। इतिहास में माना गया है कि जेरोनशियस ब्रिटिश है। यह इसलिए माना गया है क्योंकि जेरोनशियस लैटिन नाम है। आज भी यह नाम वेल्स में रखा जाता है। जेरोनशियस ने कानस्टण्टैन ३ के खिलाफ क्यों लडाया नही पता था। द्रोह करने के लिए शायद दो कारण हो सकते है। यह हो सकता है कि जब कानस्टण्टैन ३ ने अपने बेटे कान्स्टन्स को सह-सम्राट माना। जेरोनशियस को इस चीज़ से जुस्सा हुआ। यह भी हो सकता है कि कान्स्टन्स को तब नियुक्त किया जब जेरोनशियस ने द्रोह किया। यह भी हो सकता है कि ये दोनों आयोजनों के बीच कोइ संबंध नहीं है। यह सारे जानकार जो हमें मिला है सिर्फ तथ्यों है । मानव प्रवृत्ति इन सारे तथ्यों को जुडाकर एक कहानी बनाए । जेरोनशियस भी अनेक कारणों के लिए खुद को राजा नही माना और माक्सिमस नामक आदमी को राजा माना। जेरोनशियस को भी शाही सेनकों ने पकडा और स्पैन में एक घर के अंदर बंद रखा। निराशा में जेरोनशियस ने पहले उनके पिछले समर्थकों और पत्नी को मारा।फिर उसने कटार से खुद को मारा। माक्सीम्स मारने के लायक भी नही था।

साम्राजय के पतन

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गेरोनशियस ने बाद में आत्मह्त्या किया। कान्स्टण्टैन के म्रत्यु के बाद कबी भी रोमन साम्राज ब्रटैन में नही हुआ।

कान्स्टण्टैन ३ को ब्रटैन में कान्स्टण्टैन २ माना जाता था। उसे ' किंग आफ ब्रिटन्स ' नाम से स्मरण किया जाता है।

कान्स्टण्टैन ३ के सिर नदी मिनिको में काटा गया। होनोरियस के सैनिकों ने बहुत सारे रईसों को क्रूरता से मारा है। ट्रैर शहर का सर्वनाश हुआ।

होनोरियस के राज्य का युग सचमुच इतिहास में सबसे ज्यादा असफल था। रोमन राज्य का पश्चिम देशों में इतना असफल राज्य पहली बार हुआ।

कान्स्टण्टैन ३ ने अधिक से ज्यादा प्रयास किया लेकिन उन्हे रेवेना की अदालत में मार डाला गया।

होनोरियस ने रोमन साम्राज्य का पतन किया।

कान्स्टण्टैन के बारे में उतना जानकारी नही है।

[1] [2] [3] [4]

  1. http://www.roman-empire.net/collapse/constantine-III.html
  2. https://en.wikipedia.org/wiki/Constantine_III_(Western_Roman_Emperor)
  3. https://www.geni.com/people/Constantine-III-Western-Roman-Emperor/6000000002188327480
  4. http://www.forumancientcoins.com/catalog/roman-and-greek-coins.asp?vpar=491