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किशन प्रणय
किशन 'प्रणय'
किशन प्रणय
जन्मकिशन सिंह डोडिया
03 मार्च 1992
कोटा, राजस्थान, भारत
पेशाकवि एवं उपन्यासकार
भाषाहिन्दी राजस्थानी
राष्ट्रीयताभारतीय
विधाकविता एवं उपन्यास
विषयहिन्दी

किशन प्रणय राजस्थानी एवं हिन्दी के चर्चित युवा कवि एवं उपन्यासकार है।

जीवन परिचय

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इनका जन्म कोटा राजस्थान में १९९२ में हुआ।[1] बाल्यकाल से ही वे कबीर एवं रबीन्द्रनाथ ठाकुर की कविताओं से प्रभावित थे। इनकी रचनाएँ अध्यात्म से परिपूर्ण हैं।

किशन प्रणय ने 19 साल की उम्र में अपनी शिक्षण यात्रा शुरू की। वह एक लेखक भी हैं, जिनके खाते में सात किताबें हैं। किशन की कविता समाज के मुद्दों में झाँकती है और पाठकों के उत्तर के लिए एक प्रश्न प्रस्तुत करती है।[2]

साहित्य शैली

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इनकी राजस्थानी कृति "पञ्चभूत" संवेदना और संस्कृति की ऐसी रचनाधर्मिता की बानगी प्रस्तुत करती है जिसमें दार्शनिक भाव के कई आध्यात्मिक स्वरूप उजागर होते हैं। इसमें कुल 81 रचनाएं सृष्टि में व्याप्त पञ्च महाभूत पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु के लौकिक भाव का दर्शन कराती है।

प्रादेशिक भाषा के “तत् पुरुष” में 'दुख', 'मरबो', 'आम आदमी', ‘गिरबो’, ‘उड़ान’, ‘कवि’ जैसी कविताओं में राजनीतिक व्यंग्य, सामाजिक कटाक्ष, गहरी प्रेरणा, आत्मनिरीक्षण और रोमांटिक स्वर से कवि की गहरी अंतर्दृष्टि झलकती है। , ‘तलाक’, ‘प्रेम को रंग’ ‘गुरुजी’ वगैरह। कविताएँ विद्वतापूर्ण पठन और शोध का भी काम करती है।

नवोदित कवि की कविताएं साफ – सपाट और उच्च कोटि की साहित्यिक रचनाएं हैं जो संवेदना के स्तर पर और शिल्प की दृष्टि से एक नए कैनवास की रचना करती हैं। ‘कठपुतली’,’रंगों में उलझन है’,’मैंने जीवन देखा है’,’ असली बुढ़ापा’,’ हँसता अंधियारा’,’मजदूर’,’भाँती-भाँती का जीवन देखा’,’ एक दुनिया ऐसी भी’,’मैं,टिंकू और लोकतंत्र’,’सारा किस्सा रोटी का’,’ख़्वाब में रोटी’, ‘मैं एक रास्ता हूँ’,’मुखौटे’,’डर’,’क्रोध’ आदि ऐसी ही रचनाएँ हैं जिनमें सामाजिक यथार्थ को शिद्दत से उकेरा गया है। साहित्यकार और कथाकार विजय जोशी कहते हैं कि कवि ने अपने अनुभवों को शब्दायित करते हुए सामाजिक सरोकारों से सन्दर्भित रचनाओं को उकेरा है जो समाज और उसके परिवेश की गहन पड़ताल करती है। ये अब तक लगभग 200 कविताओं का सृजन कर चुके हैं।

कृतियां : शांत और स्वांतसुखाय काव्य रचने वाले इस कवि की कुल छह कृतियां प्रकाशित हुई हैं। प्रथम कृति हिंदी काव्य संग्रह के रूप में ; बहुत हुआ अवकाश मेरे मन 2020 में प्रकाशित हुई और एक साल बाद दूसरी कृति’ बरगद में भूत ‘ 2021 में सामने आई। सिलसिला चलता रहा और बीते वर्ष 2022 में पोथी काव्य संग्रह (राजस्थानी): तत् पुरुस एवं पंचभूत से पाठक रूबरू हुए। इसी साल राजस्थानी उपन्यास ‘अबखाया का रींगटां भी प्रकाशित हुआ। कवि की हाल ही में नई कृति प्रणय की प्रेयसी राजस्थान साहित्य अकादमी के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित हुई है जो दीर्घ काव्य संग्रह के रूप में पाठकों के सामने है। [3]

कविता संग्रह

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[4]

  1. बहुत हुआ अवकाश मेरे मन (२०२०) [5]

ISBN 978-81-947561-2-5

  1. बरगद में भूत (२०२१)

[6] ISBN 978-81-947561-9-4

  1. प्रणय की प्रेयसी (२०२३)

[7] ISBN 978-93-91607-08-1

राजस्थानी काव्य संग्रह

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  1. तत् पुरुस (२०२२) [8]

[9] ISBN 978-93-91607-01-2

  1. पंचभूत (२०२२)

[10] ISBN 978-93-91607-05-0

  1. अंतरदस (२०२३)

[11] ISBN 978-93-91607-09-8

राजस्थानी उपन्यास

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  1. अबखाया का रींगटां (२०२३)

[12] ISBN 978-93-91607-07-4

बाहरी कड़ियाँ

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  1. "Kishan Pranay, 1992".
  2. "kishan-pranay-arts-entertainment".
  3. "the-poetic-creativity-of-kishan-pranay-is-inspired-by-spirituality".
  4. "ghanshyam-nath-kachhawa-spoke-literature".
  5. "बहुत हुआ अवकाश मेरे मन".
  6. "बरगद में भूत".
  7. "प्रणय की प्रेयसी".
  8. "the-book-tatpuras-by-young-poet-kishan-pranay-released".
  9. "तत् पुरुस".
  10. "पंचभूत".
  11. "अंतरदस".
  12. "अबखाया का रींगटां".