विद्यालय की ओर मोड़े

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शिक्षा ही एक ऐसा हथियार है जिसके बलबूते सामाजिक आर्थिक और मानसिक स्थिति में बदलाव लाया जासकता है।

जब मानसिक आर्थिक और सामाजिक स्थितियां बदलेंगे तो सामाजिक पहचान भी बदल जाएगी इसलिए हमें सबसे पहले समाज में बदलाव लाने के लिए शिक्षा पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करना होगा और रूढ़िवादी परंपराओं को छोड़कर नशे से दूर रहकर मंदिरों को छोड़ विद्यालय की ओर हमारी नई पीढ़ी को मोड़ना होगा।
महापुरुषो के विचारों पर चल कर  भी समाज में बदलाव लाया जा सकता है।बाकी लोगों के विचार भी आने चाहिए ताकि जिनके विचार सबसे उत्तम हो उन्हें अपनाकर आगे बढ़ा जा सके और समाज को अग्रिम पंक्ति मे लाया जा सके।
  बसन्त सिवानी

@सिन्धु फंडेशन सूरतगढ़

कौम के आगे बढ़ने का सूत्र

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अगर किसी कौम को आगे बढ़ना है तो उसमें जन जागरण करना जरूरी है। जन जागरण के बाद उसकी समीक्षा। समीक्षा के बाद उसमें स्थाई व्यवस्था निर्माण करना होता है। जब तक बात स्थाई व्यवस्था की बात ठीक से समझ में नही आती तब तक जन जागरण अधूरा है।। आप स्वंय समीक्षा कर ले कि हमारी क्या स्थिति है। हमने कितना काम कर लिया।अगर किसी कौम को आगे बढ़ना है तो उसमें जन जागरण करना जरूरी है। जन जागरण के बाद उसकी समीक्षा। समीक्षा के बाद उसमें स्थाई व्यवस्था निर्माण करना होता है। जब तक बात स्थाई व्यवस्था की बात ठीक से समझ में नही आती तब तक जन जागरण अधूरा है।। आप स्वंय समीक्षा कर ले कि हमारी क्या स्थिति है। हमने कितना काम कर लिया। @सिन्धु फाउंडेशन सूरतगढ़

नायक समाज :- पिछड़ापन क्यो और समाधान??

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देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। यह आजादी इस देश के हर एक जाति धर्म समुदाय वर्ग के लोगों के लिए एक समान थी 26 जनवरी 1950 को परम पूज्य बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर द्वारा लिखित भारत का संविधान लागू हुआ और भारत एक गणराज्य बना। इस नए भारत में सभी लोगों के लिए उन्नति के समान रास्ते खोले गए जो जातियां अति पिछड़ी आदिवासी और दबी हुई थी उनको एससी एसटी और ओबीसी के रूप में वर्गीकृत किया गया । यह वर्गीकरण उनकी तरक्की और बेहतरी के लिए था ताकि वह अपने आर्थिक सामाजिक धार्मिक राजनीतिक ढांचे में सुधार करते हुए आगे बढ़े भारत के संविधान ने सभी के लिए समान अवसर खोल दिए। इन्हीं समान अवसरों का लाभ उठाकर के अनुसूचित जाति जनजाति एव पिछड़े वर्ग ने आगे बढ़ने के अवसर को नहीं चूका। यानी संविधान प्रदत्त समस्त अधिकारों का उपयोग बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलते हुए किया। बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर का मार्ग इतना सरल और सीधा है कि जो कोई इस पथ पर दो कदम भी चलेगा उसको अपने सुनहरे भविष्य की उड़ान स्वतः ही दिखाई दे जाती है। इस कारण अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़े वर्ग के लोगों ने बाबासाहेब डॉक्टर आंबेडकर को अपना आदर्श मानते हुए उनके बताए मार्ग पर चलते हुए समाज को एकीकृत किया समाज को जागरूक किया और उनको आगे बढ़ाने का काम किया मगर नायक समाज में विडंबना रही की बाबा साहब अंबेडकर को न तो समझ पाए नहीं उनकी विचारधारा को उनके आदर्शों को अंगीकार कर पाए अगर नायक समाज बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर के मार्ग पर अग्रसर हो जाता तो निश्चित रूप से किसके प्रगति के रास्ते खुल जाते हैं और यह अपने सर्वंगीक विकास की ओर बढ़ जाते। मगर नायक समाज बापू बापू करता रहा मगर उस बापू ने इनके लिए कोई तरक्की का रास्ता नही निकाला । आज भी अगर नायक समाज को आगे बढ़ना है और तरक्की के रास्ते अपनाने हैं तो अन्य जातियों समुदायों की तरह बाबा साहब अंबेडकर के विचार को बनाकर के उनके बताए हुए मार्ग पर दो कदम बढ़ा कर अपने सुनहरे भविष्य की उड़ान को देख सकते हैं , अपने पिछड़ेपन को दूर कर सकते है। जिन लोगों को मेरे इस से कोई परेशानी है या मेरा यह विचार उनको किसी प्रकार से विरोधाभासी लगता है तो मेरे प्रश्न का उत्तर दें कि देश की आजादी से अब तक नायक समाज के हालातों में सुधार क्यों नहीं आया ।देश की आजादी के बाद अब तक समाज में शिक्षा के क्षेत्र में राजनीतिक क्षेत्र में आर्थिक क्षेत्र में धार्मिक क्षेत्र में कितने आयाम स्थापित किए हैं। इस प्रश्न का उत्तर नहीं ही आएगा और अगर हां भी है भी तो बहुत कम प्रतिशत नाम मात्र। इसलिए अभी भी समय है समाज के बुद्धिजीवी उठा उखड़ा हो अपने समाज की समीक्षा करें अपने काम की समीक्षा करें और जाति समुदाय के लोगों की बेहतरी की समीक्षा करें । बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर को आदर्श के रूप में स्थापित करके आगे बढ़ने का प्रयास करें आगे बढ़ने का काम करें वरना आने वाली नस्लें आने वाली पीढ़ी समाज के नेताओं को कभी माफ नहीं करेंगे और यह कि आरोपित करेंगे कि जब पूरी देश दुनिया और जाति समुदाय के लोग बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर को सिंबल ऑफ नॉलेज मान करके उनके विचारों में अपनी बेहतरी के रास्ते खोज रहे थे तब हमारे समाज के नेता कहाँ सो रहे थे।

अगर आज भी समाज परम पूज्य बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर को अपने आदर्श के रूप में स्वीकार नहीं करता है तो आने वाली पीढ़ियों अपने पिछड़ेपन के रूप में को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और इसके जिम्मेदार आज के बुद्धिजीवी विद्वान और नेतागण होंगे इसलिए बढ़ाओ कदम नायक समाज की बेहतरी के लिए उनके विकास के लिए उन के सर्वांगीण विकास के लिए।।
बहुत-बहुत धन्यवाद।।

@सिन्धु फाउंडेशन सूरतगढ़

नायक समाज :- बाबा साहब के विचार

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नायक समाज अगर बाबा साहब डॉ अम्बेडकर के इन विचारों को जीवन मे उतार लें तो उनका कल्याण होगा।


स्वाभिमानी लोग ही संघर्ष की परिभाषा समझते हैं,जिनका स्वाभिमान मरा होता है वह गुलाम होते हैं I – बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर मेरी जय जय कार करने से अच्छा है, मेरे बताए हुए मार्ग पर चलें I -बाबा साहब डॉ आंबेडकर राजनीति में हिस्सा ना लेने का सबसे बड़ा दंड यह है कि अयोग्य व्यक्ति आप पर शासन करने लगते हैं I -बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर जो कौम अपना इतिहास भूल जाती है,वह कौम कभी अपने इतिहास का निर्माण नहीं कर सकती I -बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो पिएगा वह दहाड़ेगा I – बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर

हमारा यह आंदोलन तब तक सफलता की चोटी पर नहीं पहुंच सकता जब तक हमारी महिलाएं भी इसमें सक्रिय रूप से हिस्सा नहीं लेंगी – बाबा साहब डॉ आंबेडकर

जिस समाज में हमारा जन्म हुआ है,उस समाज का उद्धार करना हमारा मुख्य कर्तव्य है I – बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर

मैं उसे ही शिक्षित मानता हूं,जो अपने दुश्मन को पहचानता है I – बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर राजनीतिक सत्ता के बिना हमारे लोगों को उद्धार संभव नहीं – बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर आपका उत्थान समाज के उत्थान में ही निहित है I – बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर


जिस घर में महिला शिक्षित हो जाती है उस घर में सारा परिवार शिक्षित हो जाता है I – राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले @सिन्धु फाउंडेशन सूरतगढ़