सधुक्कड़ी
सधुक्कड़ी हिंदी / हिंदुस्तानी की एक स्थानीय बोली है, जो मध्ययुगीन उत्तर भारत की एक लोकप्रिय भाषा हुआ करती थी। यह हिंदी (खड़ी बोली, हरियाणवी, ब्रज भाषा, अवधी, भोजपुरी, मारवाड़ी) और पंजाबी के मिश्रण से बनी है, इसलिए इसे आमतौर पर पंचमेल खिचड़ी भी कहा जाता है। [1][2] चूंकि यह सरल है, इसका उपयोग वयस्क साक्षरता पुस्तकों या शुरुआती साक्षरता पुस्तकों में किया जाता है। [3]
यह हिंदी का आम रूप है और मौखिक परंपरा और जैसे कबीर और गुरु नानक जैसे मध्यकालीन संत-कवियों के हिंदी साहित्य को इसके साथ जोड़ा जाता है। [4]मीराबाई, बाबा फ़रीद और शाह लतीफ़ जैसे अन्य संत-कवियों ने राजस्थानी, पंजाबी और सिंधी भाषाओं के अलावा इसका भी प्रयोग किया।[5]
"सधुक्कड़ी" शब्द रामचंद्र शुक्ल (1884-1941) द्वारा गढ़ा गया था, और सभी विद्वान इस शब्द के उपयोग, या उन भाषाओं की पहचान इसके रूप में करने से सहमत नहीं हैं जो आम तौर पर इसके साथ सम्बंधित मानी जाती हैं। [6]
used in kabirs dohe and sakhiyan
यह सभी देखें
संपादित करें- संत भाषा
संदर्भ
संपादित करें- ↑ Hindi Literature
- ↑ Amiya Dev; Sisir Kumar Das (1989). Comparative literature: theory and practice. Indian Institute of Advanced Study in association with Allied Publishers. पृ॰ 110. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 8170230179.
- ↑ Sushama Merh-Ashraf (2004). Adult education in India: search for a paradigm. Sunrise Publications. पृ॰ 186. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 8187365129.
- ↑ Robert W. Stevenson (1994). Hermeneutical paths to the sacred worlds of India: essays in honour of Robert W. Stevenson. Scholars Press. पृ॰ 232. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1555409520.
- ↑ Amiya Dev; Sisir Kumar Das (1989). Comparative literature: theory and practice. Indian Institute of Advanced Study in association with Allied Publishers. पृ॰ 110. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 8170230179.
- ↑ David N. Lorenzen (1991). Kabir Legends and Ananta-Das's Kabir Parachai. SUNY Press. पृ॰ 74. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-7914-0461-4. मूल से 7 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 नवंबर 2019.