सप्ताह के दिन
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एक सप्ताह या हफ़्ते में सात दिन होते हैं। हिन्दी में ये निम्न नामों से पुकारे जाते हैं।
- रविवार अथवा इतवार
- सोमवार
- मंगलवार
- बुधवार
- गुरुवार अथवा बृहस्पतिवार अथवा वीरवार
- शुक्रवार
- शनिवार अथवा शनिचर
सामान्यत: एक माह में चार सप्ताह होते हैं और एक सप्ताह में सात दिन होते हैं। सप्ताह के प्रत्येक दिन पर नौ ग्रहों के स्वामियों में से क्रमश: पहले सात का राज चलता है. जैसे-
रविवार पर सूर्य का राज चलता है। सोमवार पर चन्द्रमा का राज चलता है। मंगलवार पर मंगल का राज चलता है। बुधवार पर बुध का राज चलता है। बृहस्पतिवार पर गुरु का राज चलता है। शुक्रवार पर शुक्र का राज चलता है। शनिवार पर शनि का राज चलता है। अन्तिम दो राहु और केतु क्रमश: मंगलवार और शनिवार के साथ सम्बन्ध बनाते हैं। यहाँ एक बात याद रखना ज़रूरी है- पश्चिम में दिन की शुरुआत मध्य रात्रि से होती है और वैदिक दिन की शुरुआत सूर्योदय से होती है। वैदिक ज्योतिष में जब हम दिन की बात करें तो मतलब सूर्योदय से ही होगा। सप्ताह के प्रत्येक दिन के कार्यकलाप उसके स्वामी के प्रभाव से प्रभावित होते हैं और व्यक्ति के जीवन में उसी के अनुरुप फल की प्राप्ति होती है। जैसे- चन्द्रमा दिमाग और गुरु धार्मिक कार्यकलाप का कारक होता है। इस वार में इनसे सम्बन्धित कार्य करना व्यक्ति के पक्ष में जाता है। सप्ताह के दिनों के नाम ग्रहों की संज्ञाओं के आधार पर रखे गए हैं अर्थात जो नाम ग्रहों के हैं, वही नाम इन दिनों के भी हैं। जैसे-
सूर्य के दिन का नाम रविवार, आदित्यवार, अर्कवार, भानुवार इत्यादि। शनिश्चर के दिन का नाम शनिवार, सौरिवार आदि। संस्कृत में या अन्य किसी भी भाषा में भी साप्ताहिक दिनों के नाम सात ग्रहों के नाम पर ही मिलते हैं। संस्कृत में ग्रह के नाम के आगे वार या वासर या कोई ओर प्रयायवाची शब्द रख दिया जाता है। सप्ताह केवल मानव निर्मित व्यवस्था है। इसके पीछे कोई ज्योतिष शास्त्रीय या प्राकृतिक योजना नहीं है। स्पेन आक्रमण के पूर्व मेक्सिको में पाँच दिनों की योजना थी। सात दिनों की योजना यहूदियों, बेबिलोनियों एवं दक्षिण अमेरिका के इंका लोगों में थी। लोकतान्त्रिक युग में रोमनों में आठ दिनों की व्यवस्था थी, मिस्रियों एवं प्राचीन अथेनियनों में दस दिनों की योजना थी। ओल्ड टेस्टामेण्ट में आया है कि ईश्वर ने छः दिनों तक सृष्टि की और सातवें दिन विश्राम करके उसे आशीष देकर पवित्र बनाया। - जेनेसिरा1, एक्सोडस2 एवं डेउटेरोनामी3 में ईश्वर ने यहूदियों कोसात दिनों के वृत्त के उद्भव एवं विकास का वर्णन 'एफ. एच. कोल्सन' के ग्रन्थ 'दी वीक'4 में उल्लिखित है।
डायोन कैसिअस (तीसरी शती के प्रथम चरण में) ने अपनी 37वीं पुस्तक में लिखा है कि 'पाम्पेयी ई. पू. 83 में येरूसलेम पर अधिकार किया, उस दिन यहूदियों का विश्राम दिन था। उसमें आया है कि ग्रहीय सप्ताह (जिसमें दिनों के नाम ग्रहों के नाम पर आधारित हैं) का उद्भव मिस्र में हुआ। डियो ने 'रोमन हिस्ट्री'5 में यह स्पष्ट किया है कि सप्ताह का उद्गम यूनान में न होकर मिस्र में हुआ और वह भी प्राचीन नहीं है बल्कि हाल का है।
रोमन केलैंण्डर में सम्राट कोंस्टेंटाईन ने ईसा के क़रीब तीन सौ वर्ष के बाद सात दिनों वाले सप्ताह को निश्चत किया और उन्हें नक्षत्रों के नाम दिये -
सप्ताह के पहले दिन को 'सूर्य का नाम' दिया गया है। दूसरे दिन को चाँद का नाम दिया गया है। तीसरे दिन को मंगल दिया गया है। चौथे दिन को बुध दिया गया है। पाँचवें दिन को बृहस्पति दिया गया है। छठे दिन को शुक्र दिया गया है। सातवें दिन को शनि का नाम दिया गया है। आज भी रोमन संस्कृति से प्रभावित देशों में इन्हीं नामों का प्रयोग होता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
1 ↑ जेनेसिरा 2|1-3
2 ↑ एक्सोडस 20|8-11,23|12-14
3 ↑ डेउटेरोनामी 5|12-15
4 ↑ एफ. एच. कोल्सन के ग्रन्थ 'दी वीक' कैम्ब्रिज यूनीवर्सिटी प्रेस, 1926
5 ↑ रोमन हिस्ट्री जिल्द 3, पृ0 129, 131
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