सरदार उधम
सरदार उधम 2021 की हिन्दी भाषा की ऐतिहासिक नाटकीय फिल्म है। इसका निर्देशन शूजित सरकार ने किया है और इसका निर्माण राइजिंग सन फिल्म्स ने किनो वर्क्स के सहयोग से किया है। यह उधम सिंह के जीवन पर आधारित है जिन्होंने 1919 में अमृतसर में हुए जलियाँवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने के लिए लंदन में 1940 में माइकल ओ' ड्वायर की हत्या की थी।[3] इस फिल्म में विक्की कौशल ने मुख्य भूमिका निभाई है।
सरदार उधम | |
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निर्देशक | शूजित सरकार[1] |
लेखक |
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निर्माता |
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अभिनेता | विक्की कौशल |
छायाकार | अविक मुखोपाध्याय |
संपादक | चंद्रशेखर प्रजापति |
संगीतकार | शांतनु मोइत्रा |
वितरक | अमेज़न प्राइम वीडियो |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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लम्बाई |
162 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी [2] |
शुरुआत में कोविड-19 महामारी लॉकडाउन के कारण कई बार इसे जारी करने में देरी हुई। इस कारण निर्माताओं ने अमेज़न प्राइम वीडियो के माध्यम से इसे जारी कर दिया। इस फ़िल्म को अंततः विक्की कौशल के प्रदर्शन, निर्देशन, पटकथा और तकनीकी पहलुओं पर आलोचनात्मक प्रशंसा प्राप्त हुई। बाद में इसने नौ फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार और हिन्दी में सर्वश्रेष्ठ फ़ीचर फ़िल्म सहित पाँच राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार जीते।[4]
कहानी
संपादित करेंफिल्म की शुरुआत में सरदार उधम सिंह लंदन में हैं। उनके अतीत में वे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) का हिस्सा थे। अब वह भारतीय लोक सेवा अधिकारी माइकल ओ' ड्वायर की हत्या के अपने कारणों की खोज करते हैं। उधम को ब्रिटिश भारत में पंजाब की जेल से रिहा किया जाता है। औपनिवेशिक अधिकारियों द्वारा उन पर लगातार नज़र रखी जा रही है। वह भारत छोड़ देते हैं और सर्दियों के दौरान यूएसएसआर चले जाते हैं। वहाँ से, वह जहाज से लंदन जाते हैं। वह लंदन में रहते हैं और एक सेल्समैन और फिर एक वेल्डर के रूप में जीवन यापन करते हैं। फिर मौका देखके वह कैक्सटन हॉल में ओ'डायर के पास जाते हैं और उसे गोली मार देते हैं। उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है।
उधम को एक वकील दिया जाता है जो धीरे-धीरे उधम से उनकी पिछली कहानी बुलवाता है। उधम को अदालत में लाया जाता है और न्यायाधीश उन्हें मौत की सजा सुनाते हैं। यह सुनने के बाद, उधम भाषण देता है जहाँ वह भारत में ब्रिटिश शासन की निंदा करता है और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए अपने समर्थन की पुष्टि करता है। उधम अपनी हिरासत की शर्तों का विरोध करता है और 42 दिनों के उपवास पर चला जाता है। लेकिन इसे तोड़ने के लिए उसे जबरदस्ती खाना खिलाया जाता है। वह धीरे-धीरे जांच करने वाले इंस्पेक्टर के सामने खुल जाता है और उसे हत्या के कारणों के बारे में बताता है।
1919 में, उधम एक युवा वयस्क था जो अमृतसर के पास एक कपड़ा मिल में काम करता था। उस समय ओ' ड्वायर अंग्रेज़ सरकार में पंजाब का लेफ्टिनेंट गवर्नर था। उसी के समर्थन में 13 अप्रैल 1919 को, जनरल डायर ने जलियांवाला बाग के अंदर 20,000 शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर गोलियां चला दीं। उधम इस नरसंहार से अनजान सो रहा था। फिर उसका दोस्त उसे जगाता है। वह नरसंहार के बारे में सुनता है और मदद करने के लिए मैदान में जाता है। यह दिखाया गया है कि कुछ अन्य स्वयंसेवकों के साथ, उधम जीवित बचे लोगों को ढूंढता है और उन्हें एक अस्थायी अस्पताल में ले जाता है। फिर वर्तमान में उधम को फांसी दे दी जाती है।
भारत की स्वतंत्रता के बाद, पंजाब के मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह के अनुरोध पर उधम की अस्थियों को देश में लाया गया और सतलुज नदी में विसर्जित किया गया। उनकी अस्थियों को उसी स्थान पर विसर्जित किया गया जहां उनके आदर्श भगत सिंह को विसर्जित किया गया था।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Happy Birthday Vicky Kaushal: विक्की कौशल की ये 5 फिल्में साबित करती हैं कि वो सिल्वर स्क्रीन के स्टार हैं". Good News Today. अभिगमन तिथि 27 जून 2024.
- ↑ "CBFC Website". www.cbfcindia.gov.in. अभिगमन तिथि 27 जून 2024.
- ↑ "जलियांवाला बाग की दास्तां बयां करती हैं बॉलीवुड की ये 5 फिल्में, आपने कितनी देखीं?". TV9 Bharatvarsh. 13 अप्रैल 2024. अभिगमन तिथि 27 जून 2024.
- ↑ मुमताज़, दरख्शां (24 अगस्त 2023). "नेशनल फिल्म अवॉर्ड में विक्की कौशल का जलवा, सरदार उधम' ने जीते बेस्ट हिंदी फिल्म सहित 5 खिताब". अभिगमन तिथि 27 जून 2024.