सिद्धसेन दिवाकर पाँचवी शताब्दी के प्रसिद्ध जैन आचार्य थे। वे दिवाकर (सूर्य) की भांति जैन धर्म को प्रकाशित करने वाले थे, इसलिये उन्हें 'दिवाकर' कहा गया। कहा जाता है कि उन्होने अनेक ग्रन्थों की रचना की किन्तु वर्तमान समय में उनमें से अधिकांश उपलब्ध नहीं हैं। 'सन्मतितर्क' उनकी तर्कशास्त्र की सर्वश्रेष्ठ रचना है और वर्तमान समय में भी बहुत पढ़ी जाती है। उन्होने 'कल्याणमन्दिरस्तोत्रम्' नामक ग्रन्थ की भी रचना की।

सन्दर्भ सूची संपादित करें

  • Balcerowicz, Piotr; Mejor, Marek, संपा॰ (2004) [2002], Essays in Indian Philosophy, Religion and Literature (First Indian संस्करण), Delhi: Motilal Banarsidass, मूल से 2 अक्तूबर 2016 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 28 सितंबर 2016