सुदर्शन चक्र
सुदर्शन चक्र भगवान श्री विष्णु का अंश तथा शस्त्र है।[1] इसको उन्होंने स्वयं तथा उनके कृष्ण तथा परशुराम अवतार ने धारण किया है। किंवदंती है कि इस चक्र को विष्णु ने गढ़वाल के श्रीनगर स्थित कमलेश्वर शिवालय में तपस्या कर के प्राप्त किया था। भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण ने इस चक्र से अनेक असुरों ( दानव , दैत्य और राक्षस ) का वध किया था। त्रेतायुग में सुदर्शन चक्र ने अयोध्या के राजकुमार शत्रुघन के रूप में जन्म लिया था तथा मूल रूप से अवतार महिष्मति नरेश विश्वसम्राट श्री कार्तवीर्य अर्जुन के रूप में लिया।
सुदर्शन चक्र की उत्पत्ति
संपादित करेंएक बार असुरों ने स्वर्ग पर आक्रमण करके देवताओं को बंदी बना लिया। भगवान विष्णु भी असुरों को मारने में असफल हुए। भगवान विष्णु ने भगवान शिव की पूजा शुरू की जिसमें उन्होंने एक सहस्त्र कमल पुष्पों से भगवान शंकर का पूजन किया। भगवान शिव भगवान नारायण की भक्ति से प्रभावित हुए। उन्होंने एक कमल पुष्प अपनी माया से लुप्त कर दिया। उस कमल पुष्प को ढूंढने की भगवान विष्णु ने बहुत प्रयत्न किये लेकिन उन्हें पुष्प नहीं मिला। पुष्प की कमी पूरी करने के लिए उन्होंने अपना एक नेत्र निकाल लिया और शिवलिंग पर अर्पित किया। उनकी इस भक्ति से भगवान शिव पहले से भी अधिक प्रभावित हुए और उन्होंने भगवान विष्णु को एक अचूक चक्र प्रदान किया। उस चक्र से भगवान विष्णु ने सभी असुरों का वध कर दिया और देवताओं को पुन: स्वर्ग दिया।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Dalal, R. (2014). Hinduism: An Alphabetical Guide. Penguin Books Limited. पृ॰ 1184. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8475-277-9. अभिगमन तिथि 18 July 2024.