कार्तवीर्य अर्जुन
हैहास साम्राज्य का राजा
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कार्तवीर्य अर्जुन प्राचीन यदुवंशी के शाखा हैहय वंश के राजा थे जिनका उल्लेख महाभारत में भी है। वे प्राचीन माहिष्मति नगरी के राजा थे, जो कि वर्तमान में मध्य प्रदेश का महेश्वर नगर है। वे राजा कृतवीर्य के पुत्र थे। सम्राट अर्जुन की राजधानी नर्मदा नदी के तट पर थी जिसे इन्होंने कार्कोटक नाग से जीतकर बसाया था।
कार्तवीर्य अर्जुन | |
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![]() दत्तात्रेय, अर्जुन को वरदान देते हुए | |
Information | |
परिवार | कृतवीर्य (पिता) |
उन्हें सहस्रबाहु अर्जुन भी कहते हैं। उनकी एक सहस्र (एक हजार) भुजाएँ थीं, जिसके कारण इन्हें सहस्रार्जुन भी कहते हैं। वे दत्तात्रेय के परम भक्त थे।
नामसंपादित करें
- अर्जुन-मूल नाम
- कार्तवीर्य-राजा कृतवीर्य के पुत्र होने के कारण
- सहस्रबाहु अर्जुन/ सहस्रबाहु कार्तवीर्य/ सहस्रार्जुन-हज़ार हाथों के वरदान के कारण
- हैहय वंशाधिपति-हैहय वंश में श्रेष्ठ राजा होने के कारण
- माहिष्मति नरेश-माहिष्मति नगरी के राजा
- सप्त द्वीपेश्वर-सातों महाद्वीपों के राजा होने के कारण
- दशग्रीव जयी-रावण को हराने के कारण
- राजराजेश्वर-राजाओं के राजा होने के कारण
सेनासंपादित करें
अर्जुन के पास एक हजार अक्षौहिणी सेनाएं थी। यह भी एक कारण है कि उनका नाम सहस्रबाहु था अर्थात् जिसके पास सहस्त्रबाहु अर्थात सहस्त्र सेनाएं (अक्षौहिणी वर्ग) में हों।[कृपया उद्धरण जोड़ें]