वैष्णव सम्प्रदाय
वैष्णव सम्प्रदाय, भगवान विष्णु और उनके स्वरूपों को आराध्य मानने वाला सम्प्रदाय है।[1] इसके अन्तर्गत मूल रूप से चार संप्रदाय आते हैं। मान्यता अनुसार पौराणिक काल में विभिन्न देवी-देवताओं द्वारा वैष्णव महामंत्र दीक्षा परंपरा से इन संप्रदायों का प्रवर्तन हुआ है। वर्तमान में ये सभी संप्रदाय अपने प्रमुख आचार्यो के नाम से जाने जाते हैं। यह सभी प्रमुख आचार्य दक्षिण भारत में जन्म ग्रहण किए थे। जैसे:-
(१) श्री सम्प्रदाय जिसकी आद्य प्रवरर्तिका श्री सीता माताजी और प्रमुख आचार्य रामानंदाचार्य हुए। जो वर्तमान में श्री "रामानन्दी सम्प्रदाय" के नाम से जाना जाता है।
(२) ब्रह्म सम्प्रदाय जिसके आद्य प्रवर्तक चतुरानन ब्रह्मादेव और प्रमुख आचार्य माधवाचार्य हुए। जो वर्तमान में माध्वसम्प्रदाय के नाम से जाना जाता है।
(३) रुद्र सम्प्रदाय जिसके आद्य प्रवर्तक देवाधिदेव महादेव और प्रमुख आचार्य श्री विष्णुस्वामी हुए, इसी से इस संप्रदाय का नाम विष्णुस्वामीसंप्रदाय हुआ। इसी परंपरा में आगे चलकर वल्लभाचार्य हुए जो वर्तमान में वल्लभसम्प्रदाय के नाम से जाना जाता है।
(४) कुमार संप्रदाय जिसके आद्य प्रवर्तक सनतकुमार गण और प्रमुख आचार्य निम्बार्काचार्य हुए जो वर्तमान में निम्बार्कसम्प्रदाय के नाम से जाना जाता है।
इसके अलावा मध्यकालीन उत्तरभारत में ब्रह्म (माध्व) संप्रदाय के अंतर्गत ब्रह्ममाध्वगौड़ेश्वर (गौड़ीय) संप्रदाय जिसके प्रवर्तक आचार्य श्रीमन्महाप्रभु चैतन्यदेव हुए और रामानंदी संप्रदाय जिसके प्रवर्तक आचार्य श्रीरामानन्दाचार्य हुए । रामान्दाचार्य जी ने सर्व धर्म समभाव की भावना को बल देते हुए कबीर, रहीम सभी वर्णों (जाति) के व्यक्तियों को भक्ति का उपदेश दिया। आगे रामानन्द संम्प्रदाय में गोस्वामी तुलसीदास हुए जिन्होने श्री रामचरितमानस की रचना करके जनसामान्य तक भगवत महिमा को पहुँचाया। उनकी अन्य रचनाएँ - विनय पत्रिका, दोहावली, गीतावली, बरवै रामायण एक ज्योतिष ग्रन्थ रामाज्ञा प्रश्नावली का भी निर्माण किया। इनके अलावा भी स्वामीनारायण भगवान द्वारा स्वामीनारायण संप्रदाय का प्रवर्तन हुआ, जो की एक लोकप्रिय वैष्णव सम्प्रदाय है। मध्यकालीन वैष्णव आचार्यों ने भक्ति के लिए सभी वर्ण और जाति के लिए मार्ग खोला, परंतु रामानंदाचार्य वर्ण व्यवस्था अनुरूप दो अलग अलग परंपरा चलायी गईं।
वैष्णव धर्म के अंदर भक्ति का प्रमुख स्थान है। वैष्णव धर्म का दृष्टिकोण सार्वजनिक और व्यापक था। गीता के अनुसार मोक्ष प्राप्ति के लिए तपस्या और संन्यास अनिवार्य नहीं है मनुष्य गृहस्थ रहते हुए भी मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- 'सेवाभारती' - वैष्णव धर्म से सम्बन्धित विविध सूचनाओं से परिपूर्ण श्री वेंकटचारी का तमिल-हिन्दी-अंग्रेजी ब्लॉग
- Vaishnavism (Heart of Hinduism)
- Who is Vishnu? Vaishnava FAQ (dvaita.org)
- Nathamuni-Alavandar.org - Dedicated to Shriman Nathamunigal and Shri Alavandar
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "वैष्णव धर्म का इतिहास और महत्वपूर्ण तथ्य". aajtak.intoday.in. मूल से 20 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2019-09-11.