स्टेम कोशिका
स्टेम कोशिका या मूल कोशिका (अंग्रेज़ी:Stem Cell) ऐसी कोशिकाएं होती हैं, जिनमें शरीर के किसी भी अंग को कोशिका के रूप में विकसित करने की क्षमता मिलती है। इसके साथ ही ये अन्य किसी भी प्रकार की कोशिकाओं में बदल सकती है।[1] वैज्ञानिकों के अनुसार इन कोशिकाओं को शरीर की किसी भी कोशिका की मरम्मत के लिए प्रयोग किया जा सकता है।[2] इस प्रकार यदि हृदय की कोशिकाएं खराब हो गईं, तो इनकी मरम्मत स्टेम कोशिका द्वारा की जा सकती है। इसी प्रकार यदि आंख की कॉर्निया की कोशिकाएं खराब हो जायें, तो उन्हें भी स्टेम कोशिकाओं द्वारा विकसित कर प्रत्यारोपित किया जा सकता है। इसी प्रकार मानव के लिए अत्यावश्यक तत्व विटामिन सी को बीमारियों के इलाज के उददेश्य से स्टेम कोशिका पैदा करने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।[3] अपने मूल सरल रूप में स्टेम कोशिका ऐसे अविकसित कोशिका हैं जिनमें विकसित कोशिका के रूप में विशिष्टता अर्जित करने की क्षमता होती है। क्लोनन के साथ जैव प्रौद्योगिकी ने एक और क्षेत्र को जन्म दिया है, जिसका नाम है कोशिका चिकित्सा। इसके अंतर्गत ऐसी कोशिकाओं का अध्ययन किया जाता है, जिसमें वृद्धि, विभाजन और विभेदन कर नए ऊतक बनाने की क्षमता हो।[4] सर्वप्रथम रक्त बनाने वाले ऊतकों से इस चिकित्सा का विचार व प्रयोग शुरु हुआ था। अस्थि-मज्जा से प्राप्त ये कोशिकाएं, आजीवन शरीर में रक्त का उत्पादन करतीं हैं और कैंसर आदि रोगों में इनका प्रत्यारोपण कर पूरी रक्त प्रणाली को, पुनर्संचित किया जा सकता है। ऐसी कोशिकाओं को ही स्टेम कोशिका कहते हैं।
इन कोशिकाओं का स्वस्थ कोशिकाओं को विकसित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। १९६० में कनाडा के वैज्ञानिकों अर्नस्ट.ए.मुकलॉक और जेम्स.ई.टिल की खोज के बाद स्टेम कोशिका के प्रयोग को बढ़ावा मिला।[1] स्टेम कोशिका को वैज्ञानिक प्रयोग के लिए स्नोत के आधार पर भ्रूणीय, वयस्क तथा कॉर्डब्लड में बांटा जाता है। वयस्क स्टेम कोशिकाओं का मनुष्य में सुरक्षित प्रयोग लगभग ३० वर्षो के लिए किया जा सकता है। अधिकांशत: स्टेम सेल कोशिकाएं भ्रूण से प्राप्त होती है।[5] ये जन्म के समय ही सुरक्षित रखनी होती हैं। हालांकि बाद में हुए किसी छोटे भाई या बहन के जन्म के समय सुरक्षित रखीं कोशिकाएं भी सहायक सिद्ध हो सकती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इन कोशिकाओं को शरीर की किसी भी कोशिका की मरमस्त करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है
प्रक्रिया
संपादित करेंभ्रूण विकास के दौरान डिम्ब वह एक कोशिका है, जो पूरे जीव को बनाने की पूर्ण क्षमता रखती है। ये कोशिकाएं कई बार विभाजित होकर ऐसी कोशिकाएं बनातीं हैं, जो पूर्ण सक्षम होतीं हैं अर्थात विभाजित होने पर प्रत्येक कोशिका पूरा जीव बना सकती है। कुछ और विभाजनों के पश्चात ये कोशिकाएं, एक विशेष गोलाकार रचना बनातीं हैं, जिसे ब्लास्टोसिस्ट कहते हैं, परंतु इस अवस्था में पृथक की गईं कोशिकाएं, पूर्ण जीव विकसित करने में सक्षम नहीं होती हैं। अतः इन्हें अंशतः सक्षम कोशिका कहा जाता है। भीतरी कोशिकाएं कई बार विभाजित और विभेदित होकर विशेष कोशिकाएं बनातीं हैं, जो प्रत्येक ऊतक को पुनर्जीवित करने की क्षमता रखतीं हैं। इन्हें बहु-सक्षम कोशिकाएं कहते हैं। ये कोशिकाएं प्रत्येक ऊतक में संरक्षित रहतीं हैं, तथा ऊतकों में कोशिका जनन तथा पुनः संरचना के लिए उपयोगी होती हैं। इनके स्थान पर आंशिक सक्षम कोशिकाएं भी प्रयोग की जा सकतीं हैं। इनका लाभ यह है कि किसी भी प्रकार के ऊतक विभेदन के लिए इन्हें प्रेरित किया जा सकता है, क्योंकि ये भ्रूण से प्राप्त की जातीं हैं, इसलिये इन्हें भ्रूणीय स्टेम कोशिका कहा जाता है। हृदय रोग तथा मधुमेह के निदान में, विभेदित कोशिकाओं का बड़ा महत्व है। तंत्रिका तंत्र के रोगों में भी विशेषतः तंत्रिकाओं का प्रत्यारोपण इनकी अवस्थाओं में सुधार लाने की क्षमता रखता है। क्षतिग्रस्त अंगों की मरम्मत भी इनसे की जा सकती है।
रोगों का उपचार
संपादित करेंस्टेम सेल उपचार के अंतर्गत विभिन्न रोगों के निदान के लिए स्तंभ कोशिका का प्रयोग किया जाता है। भारत में भी इसका प्रयोग होने लगा है। इसकी सहायता से कॉर्निया प्रत्यारोपण में और हृदयाघात के कारण क्षतिग्रस्त मांसपेशियों के उपचार में सफलता मिली है।[1] अधिकांशत: रोग के उपचार में प्रयुक्त स्टेम कोशिका रोगी की ही कोशिका होती है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि बाद में चिकित्सकीय असुविधा न हो। पार्किसन रोग में भी इसका प्रयोग किया जा रहा है।[7] न्यूरोमस्कलर रोग, आर्थराइटिस, मस्तिष्क चोट, मधुमेह, डायस्ट्रोफी, एएलएस, पक्षाघात, अल्जाइमर जैसे रोगों के लिए स्टेम सेल उपचार को काफी प्रभावी माना जा रहा है। प्रयोगशाला में बनाई गई स्टेम कोशिकाएँ निकट भविष्य में कई प्रकार के रक्त कैंसर का उपचार कर सकती हैं। इस प्रक्रिया द्वारा दांत का उपचार भी संभव है।[8] एक जापानी स्टेम कोशिका वैज्ञानिक युकियो नाकामुरा के अनुसार एप्लास्टिक एनीमिया यानि लाल रक्त कणिकाओं की कमी और थैलीसीमिया का स्टेम कोशिका तकनीक से उपचार संभव है।[9] इस तकनीक में भ्रूणीय स्टेम कोशिकाओं का उपयोग नहीं होता, अतएव यह नैतिक विवादों से परे है। कैंसर-रोधी तत्वों के माध्यम से रक्त कैंसर कोशिकाओं को समाप्त करने के साथ सामान्य हीमेटोपायोटिक कोशिकाओं (एचएससी) को भी समाप्त कर दिया जाता है। एप्लास्टिक एनीमिया और थलेसेमिया मरीजों को बार-बार रक्त के घटकों की आवश्यकता रहती है, व सामान्यतया रोगी के समान रक्त समूह वाले दाता हर समय उपलब्ध होना मुश्किल होता है। इसलिये उनके दल ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे प्रयोगशाला में अन्य कोशिकाओं से लाल रक्त कणिकाओं का उत्पादन किया जा सकता है। इसे पशुओं में सुरक्षित और प्रभावी तरीके से साबित किया जा चुका है।
कैलिफोर्निया के स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं की टीम ने एसएनपी जीनोटाइप नामक उपकरण के उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने एक सरल तकनीक खोजी है। इस तकनीक से मानव की भ्रूणीय स्टेम कोशिकाओं की लाइन का निर्धारण संभव होगा।[10] स्टेम कोशिकाओं की लाइनों के जातीय मूल ज्ञात करने हेतु एक नयी तकनीक अविष्कृत की है, जिससे विभिन्न रोगों के इलाज के लिए प्रभावी दवाओं तथा चिकित्सा पद्धतियों को तैयार करना संभव होगा। स्टेम कोशिका लाइन लगातार विभाजित होने वाली कोशिकाओं का एक समूह है जो स्टेम कोशिकाओं के एकल पैतृक समूह से निर्मित होता है। अभी तक प्रयोगशालाओं में प्रयोग हो रहे स्टेम कोशिका समूह अधिकतर काकेसियन और पूर्वी एशियाई आबादियों से हैं जबकि अफ्रीकी मूल के लोगों का प्रतिशत बहुत कम है। जातीय मूल के अंग दाताओं और प्राप्तकर्ताओं के बीच असंगति से ऊतक प्रत्यारोपण संबंधी चिकित्सकीय परिणाम प्रभावित होते हैं एवं जातीय पृष्ठभूमि के आधार पर विशिष्ट दवाइयों की क्षमता और उनके सुरक्षित उपयोग की जानकारी भी प्राप्त होती है। जातीय मूल की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण होती है, जिसे हर स्टेम कोशिका लाइन के साथ उपलब्ध किया जाना चाहिए। जो कोई भी स्टेम कोशिका के साथ काम करने वाला हो उसे इस प्रकार का विश्लेषण करना चाहिए।[10]
दीर्घा
संपादित करें
|
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ इ स्टेम सेल Archived 2015-06-26 at the वेबैक मशीन। हिन्दुस्तान लाइव। ६ जनवरी २०१०
- ↑ "गंभीर रूप से बीमार लोगों को नया जीवन प्रदान करते हुए". मूल से 19 जनवरी 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जनवरी 2010.
- ↑ स्टेम कोशिका से इलाज के बाद आंख की रोशनी लौटी Archived 2015-09-11 at the वेबैक मशीनहिन्दुस्तान लाइव। २५ दिसम्बर २००९। लंदन-एजेंसी
- ↑ मानव क्लोनिंग के क्षेत्र में बड़ी सफलता Archived 2009-07-08 at the वेबैक मशीन। बीबीसी-हिन्दी पर
- ↑ असली दाँत गिरकर फिर मिल सकते हैं Archived 2009-07-07 at the वेबैक मशीन। बीबीसी-हिन्दी
- ↑ मधुमेह, र्यूमेटॉएड आर्थराइटिस, पार्किन्सन, अल्जाइमर रोग, ऑस्टियोआर्थराइटिस:
- Cell Basics: What are the potential uses of human stem cells and the obstacles that must be overcome before these potential uses will be realized? Archived 2010-05-19 at the वेबैक मशीन. In Stem Cell Information World Wide Web site. Bethesda, MD: National Institutes of Health, U.S. Department of Health and Human Services, 2009. cited Sunday, April 26, 2009
- Stem Cells Tapped to Replenish Organs Archived 2010-02-14 at the वेबैक मशीन thescientist.com, Nov 2000. By Douglas Steinberg
- ISRAEL21c > Israeli scientists reverse brain birth defects using stem cells Archived 2009-06-24 at the वेबैक मशीन December 25, 2008. (Researchers from the Hebrew University of Jerusalem-Hadassah Medical led by Prof. Joseph Yanai)
- Kang KS, Kim SW, Oh YH; एवं अन्य (2005). "A 37-year-old spinal cord-injured female patient, transplanted of multipotent stem cells from human UC blood, with improved sensory perception and mobility, both functionally and morphologically: a case study". Cytotherapy. 7 (4): 368–73. PMID 16162459. डीओआइ:10.1080/14653240500238160. Explicit use of et al. in:
|author=
(मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
- Strauer BE, Schannwell CM, Brehm M (2009). "Therapeutic potentials of stem cells in cardiac diseases". Minerva Cardioangiol. 57 (2): 249–67. PMID 19274033. नामालूम प्राचल
|month=
की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
- Stem Cells Tapped to Replenish Organs Archived 2010-02-14 at the वेबैक मशीन thescientist.com, Nov 2000. By Douglas Steinberg
- Hair Cloning Nears Reality as Baldness Cure Archived 2005-10-28 at the वेबैक मशीन WebMD November 2004
- Yen AH, Sharpe PT (2008). "Stem cells and tooth tissue engineering". Cell Tissue Res. 331 (1): 359–72. PMID 17938970. डीओआइ:10.1007/s00441-007-0467-6. नामालूम प्राचल
|month=
की उपेक्षा की गयी (मदद)
- Gene therapy is first deafness 'cure' - health - 14 फ़रवरी 2005 - New Scientist Archived 2008-09-14 at the वेबैक मशीन
- BBC NEWS | England | Southern Counties | Stem cells used to restore vision Archived 2009-02-22 at the वेबैक मशीन
- Drs. Gearhart and Kerr of Johns Hopkins University. April 4, 2001 edition of JAMA (Vol. 285, 1691-1693)
- Querida Anderson (2008-06-15). "Osiris Trumpets Its Adult Stem Cell Product". Genetic Engineering & Biotechnology News. Mary Ann Liebert, Inc. पृ॰ 13. अभिगमन तिथि 2008-07-06.
(subtitle) Procymal is being developed in many indications, GvHD being the most advanced
- Gurtner GC, Callaghan, MJ and Longaker MT. 2007. Progress and potential for regenerative medicine. Annu. Rev. Med 58:299-312
- ↑ क्लोन चूहे से पार्किंसन्स का इलाज Archived 2009-07-08 at the वेबैक मशीन। बीबीसी-हिन्दी। २२ सितंबर २००३
- ↑ एम्स में अब स्टेम सेल प्रणाली से लगेगा नया दांत
- ↑ स्टेम कोशिका से ब्लड कैंसर का उपचार । वेब दुनिया। सेहत समाचार
- ↑ अ आ स्टेम कोशिकाओं की लाइन का पता लगाने की नयी तकनीक[मृत कड़ियाँ]। समय लाइव। १ जनवरी २०१०। दीप्ति प्रकाश
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंविकिमीडिया कॉमन्स पर स्टेम कोशिकाएं से सम्बन्धित मीडिया है। |
- स्टेम कोशिका अनुसंधान को हरी झंडी-बीबीसी हिन्दी पर
- स्टेम कोशिका अनुसंधान पर विधेयक जल्द
- स्टेम कोशिका से प्रयोगशाला में बना ट्रेकिया प्रत्यारोपित[मृत कड़ियाँ]
- कान्स समारोह में स्टेम कोशिका शोध आधारित फिल्म[मृत कड़ियाँ]
- एक नवजात की गर्भनाल से ली गई स्टेम कोशिका
- स्टेम सेल दृष्टि पुनर्स्थापित करने के लिए- वीडियो देखें