स्वर्ण मुद्रीकरण योजना

नरेंद्र मोदी द्वारा लागू की गई योजना

स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (गोल्ड मोनेटाईजेशन स्कीम) भारत सरकार की एक योजना है जिसकी घोषणा २०१५-१६ के बजट में की ग्यी थी। यह योजना स्वर्ण जमा योजना (गोल्ड डिपाजिट स्कीम) के स्थान पर शुरू की गई है। 5 नवंबर 2015 से यह यह योजना लागू है। इस योजना का उद्देश्य घरों व अन्य संस्थानों के पास निष्क्रिय पड़े लगभग 20000 टन स्वर्ण का उत्पादक कार्यों में इस्तेमाल करना एक भारत में सोने के आयात को कम करना है।

योजना संपादित करें

इस योजना में पहले न्यूनतम 30 ग्राम सोना जमा कराना होता था, अब यह सीमा हटा ली गई है । इस योजना के अंतर्गत अधिकतम सोने की मात्रा का निर्धारण नहीं किया गया है अर्थात जमाकर्ता अपनी इच्छानुसार कितना भी सोना जमा कर सकता है। जमा किये गये सोने के एवज में बैंक द्वारा ग्राहक को ब्याज दिया जायेगा। इस स्वर्ण जमा खाते पर वही नियम लागू होंगे जो सामान्यतः किसी जमा खाते पर होते हैं। इस सोने के एवज में मिलने वाले ब्याज पर कोई आयकर या पूंजीगत लाभ कर/ टैक्स नहीं लगेगा।

इस योजना के प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित हैं-[1]

  • किसी भी मध्यावधि जमा (5-7 वर्ष) को तीन वर्ष के बाद निकासी की अनुमति दी जाएगी जबकि दीर्घकालिक अवधि के जमा (12-15 वर्ष) को पांच वर्ष के बाद निकासी की अनुमति दी जाएगी।
  • जमाकर्ता अपने सोने को संग्रह एवं शुद्धता जांच केंद्रों (CPTS) को देने के बजाय सीधे परिशोधक को भी दे सकते हैं। यह संस्थानों सहित थोक जमाकर्ताओं को योजना में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
  • सीपीटीएस/परिशोधक सोने की जांच करेंगे एवं इसकी शुद्धता का निर्धारण करेंगे जोकि जमा प्रमाणपत्र जारी किए जाने के लिए आधार होगा।
  • इस योजना के तहत संग्रहित सोने की मात्रा को एक ग्राम के तीन दशमलव तक (अर्थात १ मिलीग्राम तक) व्यक्त किया जाएगा जो ग्राहक को जमा किए गए सोने के लिए बेहतर मूल्य देगा।
  • सरकार इस योजना में भाग लेने वाले बैंकों को 2.5% कमीशन देगी जिसमें संग्रह और शुद्धता जांच केंद्र/रिफाइनर्स के लिए अदा किए जाने वाले शुल्क शामिल हैं।
  • अल्पकालिक अवधि (1-3 वर्ष) जमा के मामले में बैंक अपनी स्थिति को रोके रखने के लिए मुक्त होंगे।
  • भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने ऐसे परिशोधकों के लिए लाइसेंस की शर्तों में संशोधन किया है जिनके पास पहले से ही राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (NABL) की मान्यता है। अब उनके लिए मौजूदा तीन वर्ष की जगह एक वर्ष के अनुभव को स्वीकृति दे दी गई है, इससे लाइसेंस प्राप्त परिशोधकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।
  • भारतीय मानक ब्यूरो ने अपनी वेबसाइट पर एक रूचि अभिव्यक्ति पत्र (EOI) प्रकाशित किया है, जिसमें इस योजना में एक सीपीटीसी के रूप में काम करने के लिए 13,000 से अधिक लाइसेंस प्राप्त जौहरियों से आवेदन आमंत्रित किया गया है बशर्ते कि उनका बीआईएस के लाइसेंस प्राप्त परिशोधकों से करार हो।
  • भारतीय बैंक संघ (IBA) बैंकों को बीआईएस लाईसेंस प्राप्त सीपीटीएस एवं परिशोधकों की सूची संप्रेषित करेगा।
  • सरकार ने एक समर्पित वेबसाइट http://www.finnin.nic.in/swarnabharat[मृत कड़ियाँ] और एक टोल फ्री नंबर 18001800000 भी प्रारंभ किया है जो इन योजनाओं के बारे में जानकारियां मुहैया कराता है।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "स्वर्ण मुद्रीकरण योजना में संशोधन". मूल से 20 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.

इन्हें भी देखें संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें