अस्थिल मत्स्य वर्ग की मछलियाँ लवणीय तथा मीठा दोनों प्रकार के जल में पाई जाती हैं। इनका अन्तःकंकाल अस्थियों से बना होता है। इनका शरीर धारारेखित होता है। मुख अधिकांशतः अग्र सिरे के अन्त में होता है। इनमें चार जोड़ी क्लोम छिद्र दोनों ओर प्रच्छद से ढके रहते हैं। त्वचा शल्क से ढकी रहती है। इनमें वायुकोष उपस्थित होता है। जो उत्प्लावन में सहायक हैं। हृदय दो प्रकोष्ठ का होता है (एक आलिन्द तथा एक निलय)। ये सभी असमतापी जीव होते हैं। नर तथा मादा भिन्न होते हैं। ये अधिकांशतः अण्डज होते हैं। निषेचन प्रायः बाह्य होता है। परिवर्धन प्रत्यक्ष होता है। उदाहरण: समुद्री उड्डयन मत्स्य, अश्वमीन, रोहू, [1]

अस्थिल मत्स्य
एक अस्थिल मत्स्य (अटलांटिक हेरिंग)
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: प्राणी
संघ: रज्जुकी
उपसंघ: कशेरुकी
अधःसंघ: हनुमुखी
अधिवर्ग: मत्स्य ​
वर्ग: अस्थिल मत्स्य

उपश्रेणियाँ संपादित करें

ओस्टीइक्थीज़​ को स्वयं आगे दो उपश्रेणियों में बांटा जाता है:

  • ऐक्टिनोप्टरिजियाए (Actinopterygii) या किरण-फ़िन मछलियाँ (ray-finned fishes) - यह वह मछलियाँ हैं जिनके फ़िन (पर) का ढांचा उनके धड़ से किरणों की तरह निकलती कई हड्डियों से बना होता है जिसके ऊपर मांस और त्वचा लगी होती है।
  • सार्कोप्टरिजियाए (Sarcopterygii) या लोब-फ़िन मछलियाँ (lobe-finned fishes) - यह वह मछलियाँ हैं जिनके फ़िन केवल एक मुख्य हड्डी से उनके धड़ से जुड़े होते है और उस हड्डी के इर्द-गिर्द फ़िन एक लोब (पालि) की तरह बना होता है।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Jaws, Teeth of Earliest Bony Fish Discovered". मूल से 18 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2012.