हाथीबाड़ा घोसुण्डी शिलालेख
हाथीबाड़ा घोसुण्डी शिलालेख (या, घोसुंडी शिलालेख, या हाथीबाड़ा शिलालेख), राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के पास प्राप्त शिलालेख हैं जिनकी भाषा संस्कृत है और लिपि ब्राह्मी है। ये ब्राह्मी लिपि में, संस्कृत के प्राचीनतम शिलालेख हैं।
हाथीबाड़ा घोसुण्डी शिलालेख | |
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सामग्री | पत्थर |
लेखन | संस्कृत (लिपि: ब्राह्मी) |
कृति | १ली शताब्दी ईसापूर्व |
खोज | 24°58′01″N 74°40′59″E / 24.967°N 74.683°E |
स्थान | नगरी (चित्तौड़गढ़), राजस्थान |
अवस्थिति | शासकीय संग्रहालय, उदयपुर |
हाथीबाड़ा शिलालेख, नगरी गाँव से प्राप्त हुए थे जो चित्तौड़गढ़ से ८ किमी उत्तर में है। घोसुण्डी शिलालेख, घोसुण्डी गाँव से प्राप्त हुए थे जो चित्तौड़गढ़ से ३ किमी दक्षिण-पश्चिम में है। ये शिलालेख वैष्णव धर्म से सम्बन्धित हैं।
घोसुण्डी शिलालेख
संपादित करेंघोसुण्डी का शिलालेख चित्तौड़ के निकट घोसुण्डी गांव में प्राप्त हुआ था। इस लेख में प्रयुक्त की गई भाषा संस्कृत और लिपि ब्राह्मी है। यह लेख कई शिलाखण्डों में टूटा हुआ है। इसके कुछ टुकड़े ही उपलब्ध हो सके हैं। इसमें एक बड़ा खण्ड उदयपुर संग्रहालय में सुरक्षित है।
इस शिलालेख को सर्वप्रथम डॉक्टर देवदत्त रामकृष्ण भांडारकर ने पढ़ा था। यह राजस्थान में वैष्णव या भागवत संप्रदाय से संबंधित सर्वाधिक प्राचीन अभिलेख है। इस अभिलेख से ज्ञात होता है कि उस समय तक राजस्थान में भागवत धर्म लोकप्रिय हो चुका था।
इसमें भागवत की पूजा के निमित्त शिला प्राकार बनाए जाने का वर्णन है। इसमें संकर्षण और वासुदेव के पूजागृह के चारों ओर पत्थर की चारदीवारी बनाने और गजवंश के सर्वतात द्वारा अश्वमेध यज्ञ करने का उल्लेख है।
सन्दर्भ
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करें- नगरी गाँव (चित्तौड़गढ़)