हुकूमत (1987 फ़िल्म)
हुकूमत 1987 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। अनिल शर्मा द्वारा निर्देशित यह फिल्म बदले की भावना पर आधारित हजारों हिन्दी फिल्मों की कड़ी की एक फिल्म है। धर्मेन्द्र के पिताजी (परीक्षित साहनी) को सदाशिव अमरापुरकर बचपन में ही मार देता है। धर्मेन्द्र बड़ा होकर अपने पिताजी की मौत का बदला सदाशिव अमरापुरकर को मारकर लेता है। इस फिल्म में मार-धाड़ और खूनखराबे के अलावा कुछ भी नहीं है। फिल्म की कहानी हजारों बार दोहराई गयी है। धर्मेन्द्र और सदाशिव अमरापुरकर मुख्य भूमिकाओं में हैं। अन्य कलाकार केवल खाना-पूर्ति के लिए हैं।
हुकूमत | |
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चित्र:हुकूमत.jpg हुकूमत का पोस्टर | |
निर्देशक | अनिल शर्मा |
अभिनेता |
रति अग्निहोत्री, सदाशिव अमरापुरकर, प्रेम चोपड़ा, धर्मेन्द्र, जोगिन्दर, शम्मी कपूर, स्वप्ना, |
प्रदर्शन तिथि |
1987 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
मुख्य कलाकार
संपादित करें- धर्मेन्द्र - अर्जुन सिंह
- सदाशिव अमरापुरकर - दीनबंधु दीनानाथ (डी.बी.डी.एन.)
- प्रेम चोपड़ा
- रति अग्निहोत्री- धर्मेन्द्र की पत्नी
- जोगिन्दर
- शम्मी कपूर- डी.आई.जी. खान
- स्वप्ना
- परीक्षित साहनी - धर्मेन्द्र के पिता
कहानी
संपादित करेंअर्जुन सिंह (धर्मेंद्र) एक हिम्मती और ईमानदार पुलिस अफसर है और रति अग्निहोत्री उसकी पत्नी है। अर्जुन सिंह अपराधियों के साथ दृढ़ता और निर्ममता से निपटने में विश्वास रखता है। डी.आई.जी. खान (शम्मी कपूर) उसके काम करने के तरीके से सहमत नहीं है और दोनों के बीच एक असहमति हमेशा बनी रहती है। अर्जुन सिंह को शांति नगर में एक विशेष मिशन पर भेजा जाता है क्योंकि वहाँ कई संदिग्ध गतिविधियाँ चल रही होती हैं। शांति नगर पहुंचने पर अर्जुन सिंह को यह पता चलता है कि एक धनी व्यापारी, दीन बंधु दीना नाथ उर्फ डी.बी.डी.एन.(सदाशिव अमरापुरकर) यहाँ राज करता है है और जनता उसके जुल्मों से त्रस्त है। उसके बड़े-बड़े लोगों से संपर्क है और अपने गुंडों की फ़ौज से उसने सारे शहर में आतंक का माहौल बना रखा है। उसे यह भी मालूम चलता है कि दीन बंधु दीना नाथ उर्फ डी.बी.डी.एन. ही वह इन्सान है जो कभी भ्रष्ट पुलिस अधिकारी मंगल सिंह था और अर्जुन सिंह के पिता (परीक्षित साहनी) को उसके बचपन में ही मार डाला था। अर्जुन डी.बी.डी.एन. के खून का प्यासा हो जाता है लेकिन डीआईजी खान उसे क़ानून की हद में रहने की चेतावनी देता है। परन्तु जब डी.बी.डी.एन. अर्जुन सिंह के बेटे (जुगल हंसराज) को मार डालता है तो वह डीआईजी खान की मदद से डी.बी.डी.एन. को ख़तम कर देता है और उसके बुराई की हुकूमत का अंत कर देता है।
संगीत
संपादित करेंफिल्म के लिए संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने दिया था।[1] सभी गीत वर्मा मलिक ने लिखे हैं।
# | गीत | गायक/गायिका |
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1 | "ना ज़ुल्म ना ज़ालिम का" | अलका याज्ञनिक, कविता कृष्णमूर्ति |
2 | "इस अफसर का बाजा" | शब्बीर कुमार, कविता कृष्णमूर्ति |
3 | "राम राम बोल" | शब्बीर कुमार, अल्का याज्ञनिक, कविता कृष्णमूर्ति |
परिणाम
संपादित करेंबौक्स ऑफिस
संपादित करेंहुकूमत फिल्म १९८७ सन की सबसे बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। यहाँ तक की बहुप्रचारित मिस्टर इंडिया से भी ज्यादा कमाई करने में सफल रही। यह फिल्म व्यवसायिक रूप से काफी सफल रही और इसने लगभग ₹११ करोड़ की कमाई की जो उस समय के हिसाब से बहुत बड़ी रकम थी। यह फिल्म भारतीय फिल्म के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई।
समीक्षाएँ
संपादित करेंइस फिल्म को २००३ में आयोजित ज़ी सिने अवार्ड्स में भारतीय फिल्म इतिहास की बड़ी फिल्मों में से एक माना गया। फिल्म में अच्छे गीत, शक्तिशाली संवाद अदायगी, उत्कृष्ट छायांकन और कलाकारों के अभिनय को बहुत सराहा गया। फिल्म के नायक, धर्मेंद्र के अभिनय की भी काफी प्रशंसा हुई। धर्मेन्द्र की बेहतरीन संवाद अदायगी की और अपने अभिनय में क्रोध और भावना का शानदार सम्मिश्रण से अपनी बेजोड़ प्रतिभा का प्रदर्शन किया। सदाशिव अमरापुरकर ने भी अपने अभिनय में क्रूरता की नयी मिसाल कायम की। यह निर्देशक अनिल शर्मा की पहली सफल एवं हित फिल्म थी।
नामांकन और पुरस्कार
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- ↑ "Dharmendra - Biography". Yahoo! Movies. मूल से 16 अक्तूबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-12-23.