सेलेनियम
सेलेनियम (Selenium , संकेत Se) एक रासायनिक तत्त्व है जिसका परमाणु क्रमांक ३४ है। प्रकृति में यह अपने तत्त्व रूप में बहुत कम पाया जाता है। इसकी खोज १८१७ में बर्जीलियस ने किया था।
सेलेनियम / Selenium रासायनिक तत्व | |
रासायनिक चिन्ह: | Se |
परमाणु संख्या: | 34 |
रासायनिक शृंखला: | बहुपरमाणुक अधातु |
आवर्त सारणी में स्थिति
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अन्य भाषाओं में नाम: | Selenium (अंग्रेज़ी) |
परिचय
संपादित करेंसिलिनियम का परमाणु भार ७८.९६ तथा परमाणु संख्या ३४ है। इसके ६ स्थायी समस्थानिक और दो रेडियो ऐक्टिव समस्थानिक ज्ञात हैं। भूमंडल पर व्यापक रूप से यह पाया जाता है पर बड़ी ही अल्प मात्रा में। यह स्वतंत्र नहीं मिलता। सामान्यत: गंधक, विशेषत: जापानी गंधक के साथ यह असंयुक्त अवस्था में और अनेक खनिजों में भारी धातुओं के सिलीनाइड के रूप में पाया जाता है। सिलीनियम मुक्त खनिजों से सिलोनियम उपोत्पाद के रूप में प्राप्त होता है।
सिलीनियम के कई अपरूप होते हैं। यह काँच रूप में, एकनत (monoclinic) क्रिस्टलीय रूप में और षट्कोणीय (hexagonal) क्रिस्टलीय रूप में स्थायी होता है। काँच रूपीय सिलीनियम से रक्त अक्रिस्टली सिलीनियम, एकनत सिलीनियम से नारंगी से रक्त वर्ण तक का सिलीनियम तथा धूसर वर्ण का धात्विक सिलीनियम प्राप्त हुआ है। इन विभिन्न रूपों की विलेयता कार्बन डाइसल्फाइड में भिन्न-भिन्न होती है। अक्रिस्टली सिलीनियम (आपेक्षिक घनत्व ४.८), गलनांक २२० डिग्री सें., एकनत सिलीनियम (आ.घ. ४.४७) गलनांक २०० डिग्री सें. पर पिघलते हैं, सिलीनियम ६९० डिग्री सें. पर वाष्पीभूत होता है।
उत्पादन
संपादित करेंताँबे के परिष्कार में जो अवपंक (Slime) प्राप्त होता है अथवा धातुओं के सल्फाइडों के मर्जन से जो चिमनी धूल प्राप्त होती है उसी में सिलीनियम रहता है और उसी से प्राप्त होता है। अवपंक को बालू और सोडियम नाइट्रेट के साथ गलाने से या नाइट्रिक अम्ल से आक्सीकृत करने, चिमनी धूल को भी नाइट्रिक अम्ल से आक्सीकृत करने, जल से निष्कर्ष निकालने और निष्कर्ष को हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और सल्फर डाइऑक्साइड से उपचारित करने से सिलीनियम उन्मुक्त होकर प्राप्त होता है, सिलीनियम वाष्पशील होता है। वायु में गरम करने से नीली ज्वाला के साथ जलकर सिलीनियम डाइऑक्साइड बनता है।
उपयोग
संपादित करेंसिलीनियम की सबसे अधिक मात्रा काँच के निर्माण में प्रयुक्त होती है। काँच के रंग को दूर करने में यह मैंगनीज़ का स्थान लेता है। लोहे की उपस्थिति से काँच का हरा रंग इससे दूर हो जाता है। सिलीनियम की अधिक मात्रा से काँच का रंग स्वच्छ रक्तवर्ण का होता है जिसका प्रयोग सिगनल लैंपों में बड़ा उपयोगी सिद्ध हुआ है। विशेष प्रकार के रबरों के निर्माण में गंधक के स्थान पर सिलीनियम का उपयोग लाभकारी सिद्ध हुआ है।
प्रकाश के प्रभाव से सिलीनियम का वैद्युत प्रतिरोध बदल जाता है। बाद में देखा गया कि सामान्य विद्युत परिचय में सिलीनियम धातु के रहने और उसे प्रकाश में रखने से विद्युत धारा उत्पन्न होती है। इस गुण के कारण इसका उपयोग प्रकाश-विद्युत सेल में हुआ है। सेल में पीछे ताँबा, ऐल्यूमिनियम और पीतल आदि रहते हैं, उसके ऊपर सिलीनियम धातु का एक पतला आवरण चढ़ा होता है और वह फिर सोने के पारभासक स्तर से ढँका रहता है, सोने का तल पारदर्शक फिल्टर से सुरक्षित रहता है। ऐसा प्रकाश विद्युत सेल मीटरों, प्रकाश विद्युत वर्णमापियों और अन्य उपकरणों में, जिनसे प्रकाश मापा जाता है, प्रयुक्त होता है।
सिलीनियम से इनेमल काँचिका (glazes) और वर्णक हैं। कैडमियम सल्फो-सिलीनाइड सुंदर लाल रंग का वर्णक है और काँचिका के रूप में प्रयुक्त होता है। अल्प मात्रा में सिलीनियम से अनेक मिश्र धातुएँ बनी हैं। स्टेनलेस स्टील और ताँबे की मिश्र धातुओं में अल्प सिलिनियम डालने से उसकी मशीन पर अच्छा काम होता है। उत्प्रेरक के रूप में भी सिलीनियम और उसके यौगिकों का व्यवहार होता है। फेरस सिलीनाइट पेट्रोलियम के मंजन में काम आता है। सिलीनियम कवक और कीटनाशक भी होता है। यह मनुष्यों और जंतुओं पर विषैला प्रभाव डालता है। सिलीनियम वाली मिट्टी में उगे पौधे विषाक्त सिद्ध हुए हैं। ऐसे चारे के खाने से घोड़ों की पूँछ और सिर के बाल झड़ जाते हैं और उनके खुर की अस्वाभाविक वृद्धि हो जाती है। मनुष्य के फेफड़े, यंकृत, वृक्क या प्लीहा में यह जमा होता है। इससे त्वचाशोथ भी हो सकता है तथा घातक परिणाम भी हो सकते हैं। इसके विषैले प्रभाव का आर्सेनिक से दमन होता है।
रासायनिक गुण
संपादित करेंयौगिक बनने में सिलीनियम, गंधक और टेल्यूरियम से समानता रखता है। यह ऑक्साइड, फ्लोराइड, क्लोराइड, ब्रोमाइट, ऑक्सीक्लोराइड, सिलीनिक अम्ल और उनके लवण तथा अनेक ऐलिफैटिक और ऐरोमैटिक कार्बनिक यौगिक बनाते हैं।