अनुपलब्धि

किसी चीज़ कि अनुपस्तिथि का अनुभव करना अनुपलब्धि कहलाता है। ये छ्ः प्रमानों में एक, या ज्ञान प्राप

भारतीय दर्शन के सन्दर्भ में, अनुपलब्धि या अभावप्रमाण एक प्रमाण है। इसे पूर्वमीमांसा में कुमारिल भट्ट सम्प्र्दाय ने एक प्रमाण माना है। पूर्वमीमांसा ने इसके अतिरिक्त पाँच अन्य प्रमाण माने हैं, जो ये हैं- प्रत्यक्ष, अनुमान, शब्द, उपमान, ('comparison' या analogy) तथा अर्थापत्ति ('presumption')