आंबेडकर जयंती
आंबेडकर जयंती या भीम जयंती, डाॅ. भीमराव आंबेडकर जिन्हें डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म दिन 14 अप्रैल को पर्व के रूप में भारत समेत पूरे विश्व में मनाया जाता है।(विशेष रूप से भारत तथा सम्पूर्ण विश्व के अम्बेडकरवादी बौद्धों द्वारा) [1] इस दिन को 'समानता दिवस' और 'ज्ञान दिवस' के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंंकि जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करने वाले आंबेडकर को समानता और ज्ञान के प्रतीक माना जाता है। आंबेडकर को विश्व भर में उनके मानवाधिकार आंदोलन संविधान निर्माता और उनकी प्रकांड विद्वता के लिए जाने जाते हैं और यह दिवस उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। आंबेडकर की पहली जयंती सदाशिव रणपिसे इन्होंने 14 अप्रैल 1928 में पुणे नगर में मनाई थी। रणपिसे आंबेडकर के अनुयायी थे। उन्होंने आंबेडकर जयंती की प्रथा शुरू की और भीम जयंती के अवसरों पर बाबासाहेब की प्रतिमा हाथी के अंबारी में रखकर रथ से, ऊँट के ऊपर कई मिरवणुक निकाली थी।[2][3]
डॉ. भीमराव आंबेडकर जयंती | |
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चैत्य भूमि में आंबेडकर जयंती | |
आधिकारिक नाम | डॉ. भीमराव आंबेडकर जयंती |
अन्य नाम | भीम जयंती, आंबेडकर जयंती, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जयंती |
अनुयायी | भारत एवं +65 देशों में |
प्रकार | धर्म-निरपेक्ष डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म दिवस |
उत्सव | पर्व |
तिथि | 14 अप्रैल |
आवृत्ति | वार्षिक |
समान पर्व | ज्ञान दिवस, समानता दिवस |
आंबेडकर के जन्मदिन पर हर साल उनके करोड़ों अनुयायी उनके जन्मस्थल भीम जन्मभूमि (डॉ. आंबेडकर नगर, मध्य प्रदेश), बौद्ध धम्म दीक्षास्थल दीक्षाभूमि, नागपुर, उनका समाधि स्थल चैत्य भूमि, मुंबई जैसे कई स्थानिय जगहों पर उन्हें अभिवादन करने लिए इकट्टा होते हैं। सरकारी दफ्तरों और भारत के बौद्ध-विहारों में भी आंबेडकर की जयंती मनाकर उन्हें नमन किया जाता है।
गूगल ने डॉ. आंबेडकर की 124वीं जयंती 2015 पर अपने 'गूगल डूडल' पर उनकी तस्वीर लगाकर उन्हें अभिवादन किया।[4][5] तीन महाद्विपों के देशों में यह डुडल था।[6]
125वीं आंबेडकर जयंती
संपादित करेंसन 2016 में भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर देश तथा विश्व में डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती मनाई। इस दिन को सभी भारतीय राज्यों में सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित किया गया। आज 14 अप्रैल 2020 को 129वीं जयंती मनाई जा रही है। इस वर्ष कुल 102 देशों में आंबेडकर जयंती को मनाया गया था। इसी वर्ष पहली बार संयुक्त राष्ट्र ने भी डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती मनाई जिसमें 156 देशों के प्रतिनिधीयों ने भाग लिया था। संयुक्त राष्ट्र नेे डॉ. भीमराव आंबेडकर को "विश्व का प्रणेता" कहकर उनका गौरव किया। संयुक्त राष्ट्र के 70 वर्ष के इतिहास में वहाँ पहली बार किसी भारतीय व्यक्ति का जन्मदिवस मनाया गया था। उनके अलावा विश्व में केवल दों ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी जयंती संयुक्त राष्ट्र ने मनाई हैं – मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला।[7] आंबेडकर, किंग और मंडेला ये तीनों लोग अपने अपने देश में मानवाधिकार संघर्ष के सबसे बड़े नेता के रुप में जाने जाते हैं। डॉ. भीमराव आंबेडकर को बाबासाहेब नाम से भी जाना जाता है। आंबेडकर जी उनमें से एक है जिन्होंने भारत के संविधान को बनाने में अपना अहम योगदान दिया था।
जयंती मनाना
संपादित करेंआंबेडकर के योगदान को याद करने के लिये 14 अप्रैल को एक उत्सव से कहीं ज्यादा उत्साह के साथ लोगों के द्वारा आंबेडकर जयंती को मनाया जाता है।[8] इस दिन उनके स्मरणों को अभिवादन किया जाता हैं। जयंती के दिन भारत के कई राज्यों में सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित किया जाता हैं। नई दिल्ली, संसद में उनकी मूर्ति पर हर वर्ष भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री, अन्य राजनैतिक पार्टियों के नेताओं, तथा आम लोगो द्वारा एक अभिवादन किया गया। आंबेडकरवादी लोग अपने घरों में उनकी प्रतिमा को अभिवादन करते हैं। सार्वजनिक लगी आंबेडकर मूर्तियों पर लोग उन्हें पुष्पमाला पहनाकर सम्मान देते हैं, उनकी मूर्ति को सामने रख लोग परेड करते हैं, ढोल बजाकर नृत्य का भी आनंद लेते हैं।[9]
पूरे भारत भर में गाँव, नगर तथा छोटे-बड़े शहरों में जुनून के साथ आंबेडकर जयंती मनायी जाती है। महाराष्ट्र में आंबेडकर जयंती बड़े पैमाने पर मनाई जाती है। आंबेडकर के जन्मदिवस उत्सव के लिये विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, जिसमें चित्रकारी, सामान्य ज्ञान प्रश्न-उत्तर प्रतियोगिता, चर्चा, नृत्य, निबंध लेखन, परिचर्चा, खेल प्रतियोगिता और नाटक जिसके लिये पास के स्कूलों के विद्यार्थीयों सहित कई लोग भाग लेते हैं। इस उत्सव को मनाने के लिये सेमीनार आयोजित किये जाते हैं। आंबेडकर जयंती संपूर्ण विश्व में मनाई जाती हैं। अधिकांश रूप से आंबेडकर जयंती भारत में मनाई जाती है, भारत के हर राज्य में, राज्य के प्रत्येक जनपद में और जनपद के लाखों गाँवों में मनाई जाती हैं। भारतीय समाज, लोकतंत्र, राजनीति एवं संस्कृती पर आंबेडकर का गहरा प्रभाव पड़ा हैं। सौ से अधिक देशों में हर वर्ष डॉ. आंबेडकर जी की जयंती मनाई जाती हैं।[10]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ http://ccis.nic.in/WriteReadData/CircularPortal/D2/D02est/12_6_2015_JCA-2-19032015.pdf Archived 2015-04-05 at the वेबैक मशीन Ambedkar Jayanti from ccis.nic.in on 19th March 2015
- ↑ अप्रेल 2018 का लोकराज्य मासिक (महाराष्ट्र सरकार)
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 19 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जून 2018.
- ↑ "B.R. Ambedkar, a hero of India's independence movement, honoured by Google Doodle". The Telegraph. मूल से 5 जनवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 January 2016.
- ↑ "Google doodle marks Dr BR Ambedkar's 124th birthday". The Times of India. मूल से 18 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 January 2016.
- ↑ "आज का गूगल डूडल डॉ. आंबेडकर के नाम". आज तक.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 20 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 दिसंबर 2016.
- ↑ "Ambedkar Jayanti 2021 [Hindi]: सत्यभक्ति खत्म करती है सामाजिक छुआछूत". S A NEWS (अंग्रेज़ी में). 2021-04-13. अभिगमन तिथि 2021-04-13.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 21 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 दिसंबर 2016.
- ↑ "संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार मनाई आंबेडकर जयंती". Jansatta. 2016-04-15. मूल से 21 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-04-14.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंविकिमीडिया कॉमन्स पर आंबेडकर जयंती से सम्बन्धित मीडिया है। |