अरावली
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अरावली भारत के पश्चिमी भाग राजस्थान में स्थित एक पर्वतमाला है। जिसे राजस्थान में आडावाला पर्वत के नाम से भी जाना जाता है,भारत की भौगोलिक संरचना में अरावली प्राचीनतम पर्वत श्रेणी है, जो गोडवाना लेंड का अस्तित्व है।[1] यह संसार की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है जो राजस्थान को उत्तर से दक्षिण दो भागों में बाँटती है। इसकी उत्पत्ति प्रिकेंबियन युग (45000 लाख वर्ष ) में हुई।। अरावली का सर्वोच्च पर्वत शिखर सिरोही जिले में गुरुशिखर (1722 /1727 मी.) है, जो माउंट आबू(सिरोही) में है, जो राजस्थान की सबसे ऊँची चोटी हैं। अरावली पर्वतमाला के आस-पास सदियों से भील जनजाति निवास करती रही है।
अरावली पर्वतमाला | |
पर्वतमाला | |
अरावली पर्वतमाला
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देश | भारत, भारत |
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राज्य | राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली |
सीमायें | गुजरात के पालनपुर से दिल्ली के राष्ट्रपति भवन तक |
भाग | देहली रायलो सुपर ग्रुप और अरावली सुपर ग्रुप |
नगर | माउण्ट आबू,सिरोही |
नदियां | बनास,[खमनौर पहाड़ी(राजसमंद)], लूनी[नागपहाड़,(अजमेर)], Sakhi [सूकड़ी,(पाली में अरावली से], साबरमती[कोटड़ा पहाड़ी,(उदयपुर)
River4 = [खारी] [बिजरावल पहाड़ी,(राजसमंद) |
उच्चतम बिंदु | गुरू शिखर |
- ऊँचाई | 1,722 मी. (5,650 फीट) |
- निर्देशांक | 24°35′33″N 74°42′30″E / 24.59250°N 74.70833°E |
मानचित्र : भारतीय पर्वतमाला
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अरावली पर्वत श्रंखला की अनुमानित आयु 570 मिलियन वर्ष है। यह एक अवशिष्ट पर्वत का उदाहरण है, जिसकी कुल लम्बाई पालनपुर, गुजरात से रायसीना पहाड़ी, दिल्ली तक लगभग 692 किलीमीटर है। अरावली पर्वत श्रंखला का लगभग 79.49% विस्तार राजस्थान में है। दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन रायसीना की पहाड़ी पर बना हुआ है, जो अरावली पर्वत श्रंखला का ही भाग है। अरावली की औसत ऊँचाई 930मीटर(एनसीआरटी के अनुसार 1000 मीटर) है,तथा अरावली के दक्षिण की ऊंचाई व चौड़ाई सर्वाधिक है, अरावली या अर्वली उत्तर भारतीय पर्वतमाला है। राजस्थान राज्य के पूर्वोत्तर क्षेत्र से गुज़रती 550 किलोमीटर लम्बी (कुल अरावली का 79.48%) इस पर्वतमाला की कुछ चट्टानी पहाड़ियाँ दिल्ली के दक्षिण हिस्से तक चली गई हैं। शिखरों एवं कटकों की श्रृखलाएँ, जिनका फैलाव 10 से 100 किलोमीटर है, सामान्यत: 300 से 900 मीटर ऊँची हैं। यह पर्वतमाला, दो भागों में विभाजित है- सांभर-सिरोही पर्वतमाला- जिसमें माउण्ट आबू के गुरु शिखर (अरावली पर्वतमाला का शिखर, ऊँचाई (1,722 मीटर) में और (5649.606 फ़ीट) सहित अधिकतर ऊँचे पर्वत हैं। सांभर-खेतरी पर्वतमाला- जिसमें तीन विच्छिन्न कटकीय क्षेत्र आते हैं। अरावली पर्वतमाला प्राकृतिक संसाधनों (एवं खनिज़) से परिपूर्ण है और पश्चिमी मरुस्थल के विस्तार को रोकने का कार्य करती है। अरावली पर्वत का पश्चिमी भाग मारवाड़ एवं पूर्वी भाग मेवाड़ कहलाता है। यहाँ अनेक प्रमुख नदियों- बनास, लूनी, साखी एवं साबरमती का उदगम-स्थल है। इस पर्वतमाला में केवल दक्षिणी क्षेत्र में सघन वन हैं, अन्यथा अधिकांश क्षेत्रों में यह विरल, रेतीली एवं पथरीली हैं। अरावली प्राचीनतम पर्वत श्रेणी है। अरावली का विस्तार राजस्थान में 19 जिला में है
अरावली की उत्पत्ति :– इसकी उत्पत्ति प्री कैम्ब्रीयन एरा में आज से 65 करोड़ वर्ष पूर्व आर्कियन हलचल में प्राचीन वलित पर्वत रूप में हुई।
→ अपरदन और अपक्षय के कारण कारण पर्तमान में यह अवशिष्ट पूर्वत श्रृंखला है।
→ अरावली की तुलना अमेरिका के अप्लेशियन पर्वत से की गई है।
भूगर्भिक संरचना:- भूगर्भिक संरचना की दृष्टि से अरावली का निर्माण देहली- रायलो और अरावली सुपर देहली ग्रुप से हुआ हैं ।
→ देहली सुपर ग्रुप में अत्यधिक कठोर प्रवार्टजाइट चट्टाने और अरावली सुपर ग्रुप में ग्रेनाइट, नीस, शिष्ट चट्टानों की प्रधानता है
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "विश्व की सबसे पुरानी पर्वतमाला Arawali की चोटियां क्यों हो रही गायब". Patrika News. 22 January 2022. अभिगमन तिथि 27 October 2022.
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