अल अनल लिपि
अल अनल या ओल ओनल एक भारतीय लिपि है, जो भूमिज भाषा लिखने में प्रयुक्त होती है। इसका आविष्कार ओल गुरु महेंद्रनाथ सरदार ने वर्ष 1981 और 1992 के बीच किया था।[1] लिपि बाएँ से दाएं लिखी जाती है। ओल ओनल लिपि का उपयोग झारखंड, पश्चिम बंगाल, और उड़ीसा के कुछ हिस्सों में भूमिज भाषा लिखने के लिए किया जाता है।[2][3]
अल अनल लिपि | |
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प्रकार | वर्णमाला |
बोली जाने वाली भाषाएं | भूमिज भाषा |
सृजनकर्ता | महेंद्रनाथ सरदार |
काल | 1981-1992 |
बंधु प्रणालियां |
ओलचिकी लिपि, मुंडारी वानी Others: उड़िया लिपि, देवनागरी, बंगाली लिपि |
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इतिहास
संपादित करें19वीं सदी तक भूमिज की कोई लिखित भाषा नहीं थी और भाषा ज्ञान एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक मौखिक रूप से प्रसारित होता था। बाद में शोधकर्ताओं ने भूमिज भाषा का दस्तावेजीकरण करने के लिए देवनागरी, बंगाली और उड़िया लिपियों का उपयोग करना शुरू किया। हालाँकि, भूमिज भाषा की अपनी लिपि नहीं थी। 1981 और 1992 के बीच भूमिज भाषा के लिए ओल गुरु महेंद्रनाथ सरदार द्वारा ओल ओनल लिपि का आविष्कार किया गया। ओल ओनल लिपि के उनके आविष्कार ने आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक पहचान को समृद्ध किया।[4]
भाषा
संपादित करेंभूमिज भाषा मुख्य रूप से भारतीय राज्यों झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में बोली जाने वाली हो, मुंडारी और संताली से संबंधित ऑस्ट्रोएशियाटिक भाषाओं के मुंडा उपपरिवार की खेरवाड़ी भाषा है। यह भारत में लगभग एक लाख लोगों द्वारा बोली जाती है।[5]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Ol Onal alphabet". omniglot.com. अभिगमन तिथि 2023-04-08.
- ↑ "Indian Language Technology Proliferation and Deployment Centre". tdil-dc.in. अभिगमन तिथि 2023-04-08.
- ↑ "Tribals demand official status for Bhumij language". The Times of India. 2016-03-17. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-8257. अभिगमन तिथि 2023-04-08.
- ↑ "Bhumij language and alphabet". omniglot.com. अभिगमन तिथि 2023-04-08.
- ↑ Linguistic Survey of India (अंग्रेज़ी में). Office of the superintendent of government printing, India. 1906.