अवशेष प्रमेय सम्मिश्र विश्‍लेषण में गणित का एक क्षेत्र है जिसे कौशी अवशेष प्रमेय भी कहा जाता है जो कि बन्द वक्र में विश्लेषणात्मक फलनों का रेखा समाकल ज्ञात करने के लिए बहुत उपयोगी है; यह वास्तविक समाकल ज्ञात करने के लिए भी बहुत सहायक है। यह कौशी समाकल प्रमेय और कौशी समाकल सूत्र का व्यापकीकृत रूप है। ज्यामितीय परिप्रेक्ष्य से यह व्यापकीकृत स्टोक्स प्रमेय की विशेष अवस्था है।

कथन का चित्रण।

इसका कथन निम्न प्रकार है:

माना U सम्मिश्र समतल में एकशः सम्बद्ध विवृत उपसमुच्चय है और a1,...,an, U पर परिमित बिन्दु हैं और f एक फलन है जो U \ {a1,...,an} पर परिभाषित और होलोमार्फिक है। यदि γ, U में चापकलनीय वक्र है जो कहीं भी ak से नहीं मिलता और इसका आरम्भिक बिन्दु ही इसका अन्तिम बिन्दु है, तो

यदि γ एक धनात्मक अभिविन्यासित सरल संवृत वक्र है, I(γ, ak) = 1 यदि ak γ के अन्दर स्थित है और् 0 यदि ऐसा नहीं है, अतः

यहां योज्यचर k है जिसके लिए ak γ के अंदर स्थित है।

ये भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

सामान्य सन्दर्भ
  • Ahlfors, Lars (1979), Complex Analysis, McGraw Hill, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-07-085008-9
  • Mitronivić, Dragoslav; Kečkić, Jovan (1984), The Cauchy method of residues: Theory and applications, D. Reidel Publishing Company, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 90-277-1623-4
  • Lindelöf, Ernst (1905), Le calcul des résidus et ses applications à la théorie des fonctions, Editions Jacques Gabay (प्रकाशित 1989), आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 2-87647-060-8