अवसाद

एक तरह की मानसिक बीमारी या अशांति।

अवसाद या डिप्रेशन का तात्पर्य मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोभावों के संबंधी दुःख से होता है। इसे रोग या सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। अधिकतर यह अवस्था व्यक्ति के प्रेम संबंध को लेकर गंभीर होती है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में अपने जीवन साथी के प्रति बहुत अधिक लगाव या प्रमुखता इसका सबसे बड़ा कारण होता है। डिप्रेशन की अवस्था में व्यक्ति स्वयं को लाचार और निराश महसूस करता है। उस व्यक्ति-विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहाँ तक कि संबंध तक बेमानी हो जाते हैं। संबंधों में बेईमानी का परिचायक उसके द्वारा उग्र स्वभाव, गाली गलौज व अत्यधिक शंका करना इसमें शामिल होता है इस दौरान उसे सर्वत्र निराशा, तनाव, अशांति, अरुचि प्रतीत होती है।[1] डिप्रेशन के भौतिक कारण भी अनेक होते हैं। इनमें कुपोषण, आनुवांशिकता, हार्मोन, मौसम, तनाव, बीमारी, नशा, अप्रिय स्थितियों में लंबे समय तक रहना, पीठ में तकलीफ आदि प्रमुख हैं। इनके अतिरिक्त डिप्रेशन के ९० प्रतिशत रोगियों में नींद की समस्या होती है। मनोविश्लेषकों के अनुसार डिप्रेशन के कई कारण हो सकते हैं। यह मूलत: किसी व्यक्ति की सोच की बुनावट या उसके मूल व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। डिप्रेशन लाइलाज रोग नहीं है। इसके पीछे जैविक, आनुवांशिक और मनोसामाजिक कारण होते हैं। यही नहीं जैवरासायनिक असंतुलन के कारण भी डिप्रेशन घेर सकता है।[2] इसकी अधिकता के कारण रोगी आत्महत्या तक कर सकते हैं।[3] इसलिए परिजनों को सजग रहना चाहिए और उनके परिवार का कोई सदस्य गुमसुम रहता है, अपना ज्यादातर समय अकेले में बिताता है, निराशावादी बातें करता है तो उसे तुरंत किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं। उसे अकेले में न रहने दें। हँसाने की कोशिश करें।[4]

अवसाद
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
विन्सेन्ट वाइन गोघ की १८९० की पेन्टिंग
आईसीडी-१० F32., F33.
आईसीडी- 296
ओएमआईएम 6085167
डिज़ीज़-डीबी 3589
मेडलाइन प्लस 003213
ईमेडिसिन med/532 
एम.ईएसएच D003865

मनोविश्लेषकों के अनुसार प्राकृतिक तौर पर महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा डिप्रेशन की शिकार अधिक बनती हैं, लेकिन अवांछित दबावों से वह इसकी शिकार हो सकती हैं। इस कारण प्रायः माना जाता है कि महिलाओं को डिप्रेशन जल्दी आ घेरता है। इसके विपरीत पुरुष अक्सर अपनी डिप्रेशन की अवस्था को स्वीकार करने से संकोच करते हैं। मोटे अनुमान के अनुसार दस पुरुषों में एक जबकि दस महिलाओं में हर पाँच को डिप्रेशन की आशंका रहती है।[2]

डिप्रेशन का संबंध मस्तिष्क brain के उन्हीं क्षेत्रों द्वारा होता है, जहां से निद्रा चक्र और जागरण की अवस्था नियंत्रित होती है।

डिप्रेशन अक्सर दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटर्स की कमी के कारण भी होता है। न्यूरोट्रांसमीटर्स दिमाग में पाए जाने वाले रसायन होते हैं जो दिमाग और शरीर के विभिन्न हिस्सों में तारतम्यता स्थापित करते हैं। इनकी कमी से भी शरीर की संचार व्यवस्था में कमी आती है और व्यक्ति में डिप्रेशन के लक्षण दिखाई देते हैं। इस तरह का डिप्रेशन आनुवांशिक होता है। डिप्रेशन के कारण निर्णय लेने में अड़चन, आलस्य, सामान्य मनोरंजन की चीजों में अरुचि, नींद की कमी, चिड़चिड़ापन या कुंठा व्यक्ति में दिखाई पड़ते हैं। डिप्रेशन के कारणों में इसका एक पूरक चिंता (एंग्ज़ायटी) भी है।[5]

इसके उपचार में योगासन में प्राणायाम बहुत सहायक सिद्ध हुआ है।[1] कई बार अतिरिक्त चिड़चिड़ापन, अहंकार, कटुता या आक्रामकता अथवा नास्तिकता, अनास्था और अपराध अथवा एकांत की प्रवृत्ति पनपने लगती है या फिर व्यक्ति नशे की ओर उन्मुख होने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि हम किसी मनोचिकित्सक से संपर्क करें। व्यक्ति को खुशहाल वातावरण दें। उसे अकेला न छोड़ें तथा छिन्द्रान्वेषण कतई न करें। उसकी रुचियों को प्रोत्साहित कर, उसमें आत्मविश्वास जगाएँ और कारण[6] जानने का प्रयत्न करें।[1] अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने गहन शोध के बाद यह दावा किया है कि यदि कोई व्यक्ति लगातार सकारात्मक सोच का अभ्यास करता है, तो वह उसके डिप्रेशन या अवसाद की स्थिति का एकमात्र इलाज हो सकता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ फैमेली फिजिशियन का कहना है कि लोगों को नकारात्मक नहीं सोचना चाहिए। न ही विफलता के भय को लेकर चिंतित होते रहना चाहिए। इनकी बजाय हमेशा सकारात्मक सोच दिमाग में रखना चाहिए जो होगा अच्छा होगा।[7] घर में अन्य सदस्यों को डिप्रेशन की बीमारी होने से भी यह परेशानी महिलाओं को जल्दी पकड़ती है क्योंकि घर से लगाव पुरुषों के मुकाबले उन्हें ज्यादा होता है। इसके चलते कभी-कभी उनमें आत्महत्या की इच्छा जोर मारने लगती है। इसलिए पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का डिप्रेशन ज्यादा खतरनाक होता है। हालाँकि मंदी और कॉम्पटीशन के दौर में डिप्रेशन अब युवाओं को भी अपना शिकार बनाने लगा है इसलिए कोशिश यह रखनी चाहिए कि आप खुशनुमा पलों की तलाश करें और सकारात्मक सोच रखें।[2] इससे बचने के उपायों में व्यस्त रहकर मस्त रहना, अपने लिए समय निकालना, संतुलित आहार सेवन, अपने लिए समय निकालना और सामाजिक मेलजोल बढ़ाना मूल उपाय हैं। . डिप्रेशन के इलाज के लिए साइकेडेलिक मनोचिकित्सा का अध्ययन किया जा रहा है.[8][9][10]

आयुर्वेदऔर यूनानी चिकित्सा प्रणालीमें अवसाद के लिएअच्छेदवाएं मिलतीहैं अश्वगंध चूर्णको रोजाना प्रयोग करने से अवसाद जल्दी ठीक हो जाता है चाइनीस हर्बल मेडिसिन में जिंगको बाइपोला नामक जड बूटी है जिसका चूर्ण कैप्सूल के रूप में हम प्रयोग कर सकते हैं और यूनानी परंपरा में भी बहुत सारे दवाइयां है जो बिना साइड इफेक्ट के मर्ज को जड़ से निकाल फेंक ते हैं लेकिन अब हम एलोपैथी की बात करें तो SSRI और एंटीडिप्रेसेंट ड्रग्स इनको प्रयोग करने से बहुत सारे साइड इफेक्ट्स होते हैं और रोगी अपनी जिंदगी भर इनका आदीबजाताहैं

इन्हें भी देखें

संपादित करें
AIB - If People Treated Other Illnesses Like They Treat Depression - Awareness Video in Hindi
  1. द्विवेदी, प्रतिभा. "प्राणायाम से दूर भगाएँ डिप्रेशन". वेब दुनिया. Archived from the original on 13 अक्तूबर 2008. Retrieved 17 सितंबर 2009. {{cite web}}: Check date values in: |archive-date= (help); Cite has empty unknown parameters: |accessyear=, |month=, |accessmonthday=, and |coauthors= (help)
  2. श्रीवास्तव, सोनिका (३० मई). "लाइलाज नहीं डिप्रेशन". समय लाइव. {{cite web}}: Check date values in: |year=, |date=, and |year= / |date= mismatch (help); Cite has empty unknown parameters: |accessyear=, |month=, |accessmonthday=, and |coauthors= (help)CS1 maint: year (link)[मृत कड़ियाँ]
  3. डिप्रेशन बनाम छात्र जिन्दगी Archived 2009-05-16 at the वेबैक मशीन। समय लाइव।१५ मई, २००९। अनुराग शुक्ला। कानपुर
  4. डिप्रेशन व घरेलू कलह से बढ़ रहीं आत्महत्याएं[मृत कड़ियाँ]दैनिक भास्कर१ सितंबर, २००९। कुलदीप कुमार।चंडीगढ़
  5. "क्या डिप्रेशन (अवसाद) और एन्जायटी (चिंता) एक दूसरे के पूरक है?". माईवेब दुनिया. Archived from the original on 6 नवंबर 2010. Retrieved 17 सितंबर 2009. {{cite web}}: Check date values in: |archive-date= (help); Cite has empty unknown parameters: |accessyear=, |month=, |accessmonthday=, and |coauthors= (help)
  6. "कहीं पार्टनर डिप्रेशन में तो नहीं!". Archived from the original on 18 मार्च 2009. Retrieved 17 सितंबर 2009.
  7. सकारात्मक सोचो, डिप्रेशन को भगाओ Archived 2009-03-07 at the वेबैक मशीन (वेब दुनिया)
  8. Gander, Kashmira (23.8.2018). "FDA Approves psychedelic magic mushrooms ingredient psilocybin for depression trial". Archived from the original on 22 सितंबर 2018. {{cite news}}: Check date values in: |date= (help)
  9. Pollan, Michael (3.05.2018). "The New Science of Psychedelics" (in अंग्रेज़ी). Archived from the original on 21 सितंबर 2018. {{cite web}}: Check date values in: |date= (help); Cite has empty unknown parameter: |dead-url= (help)
  10. "COMPASS Pathways Receives FDA Breakthrough Therapy Designation for Psilocybin Therapy for Treatment-resistant Depression". Archived from the original on 4 दिसंबर 2018. {{cite web}}: Check date values in: |archive-date= (help); Cite has empty unknown parameter: |dead-url= (help)

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें