आर्टिस्ट्स कंबाइन ग्वालियर

मराठी और हिन्दी रंगमंच की परम्परा की एक पुरानी संस्था है जिसका मूल ग्वालियर से है

Artists Combine Gwalior

आर्टिस्ट्स कंबाइन ग्वालियर
चित्र:Founder=Y. Sadashiv Bhagwat
स्थापना Year 1937
प्रकार Non Profit Orgnaisation
स्थान
  • Natya Mandir, Daal Bazar, Gwalior
आधिकारिक भाषा
Hindi, Marathi, English

आर्टिस्ट्स कंबाइन ग्वालियर मराठी और हिन्दी रंगमंच की परम्परा की एक पुरानी संस्था है जिसका मूल ग्वालियर से है। यह संस्था[1] ग्वालियर और मध्यप्रदेश की ही नहीं बल्कि भारत की संभवतः एकमात्र  ऐसी संस्था है जो विगत 83 वर्षों से रंगमंच के क्षेत्र में शौकिया एवं अव्यवसायिक दृष्टिकोण से मराठी एवं हिंदी रंगमंच की परंपरा को संरक्षण करते हुए नई पीढ़ी को रंगमंच के प्रशिक्षण के माध्यम से इन परंपराओं को आगे ले जाने का कार्य निरंतर करती आ रही है। संस्था ने अपने नाट्यभवन का नाम नाट्य मंदिर रखा।

संपूर्ण भारत के राज्यों में महाराष्ट्र से रोजी रोटी के लिए निकले महाराष्ट्रीयन परिवार जहां-जहां पर स्थानिक हुए वहां उन्होंने अपनी भाषा, संस्कृति एवं सामाजिक ढांचे को जतन से संभाला ! साथ ही मनोरंजन हेतु मराठी माणुस नाटक के लिए पागलपन की हद तक पागल था इसलिए यह जहां भी जाते मराठी मानुष मिलकर संस्था बनाते एवं मराठी नाटक करते, साथ ही महाराष्ट्र से अगर कोई नाटक मंडली आती तो उसके नाटक को देखने भी सपरिवार जाते !

महाराष्ट्र में 1842 में मराठी में खेला गया पहला नाटक संत कान्हो पात्रा है परंतु ग्वालियर में महाराज शिंदे जी का राज्य था तब सन 1870 में ग्वालियर में मराठी नाटकों का प्रारंभ हुआ अर्थात् आज से 150 वर्षों से अधिक पूर्व में तब शाहूर निवासी ललित कला दर्श, महाराष्ट्र नाट्कयला प्रवर्तक, बलवंत पाटणकर, राजापुरकर आनंद, संगीत नाट्य विलास जैसी बहुत सी कंपनियां महाराष्ट्र से यहां आकर नाटकों का मंचन करती थी ! प्रारंभ में अकबर अली के बाड़े में, फिर गौरखी प्रांगण में नाटकों का मंचन होता था, कुछ समय पश्चात माधवराव शिंदे (सिंधिया) जी ने नाटकों के लिए एक स्वतंत्र प्रेक्षाग्रह का निर्माण किया था !

ग्वालियर में मराठी नाटकों की परंपरा बहुत पुरानी है क्योंकि यहां संत परंपरा भी उतनी ही पुरानी है अन्ना महाराज मठ, ढोली बुआ मठ, चौंडे महाराज, मंगल मूर्ति महाराज, नगरकर महाराज इन स्थानों पर  गौन्धल यह प्रकार होता था जो नाटकों का मूल तत्त्व है ऐसा विद्वान पूर्व में लिख कर गए हैं !

ग्वालियर में नाटकों के मंचन हेतु कई नाट्य संस्थाएं अस्तित्व में आई पर कुछ ही प्रस्तुतियों के बाद स्वतः समाप्त हो गई उनमें प्रमुख रूप से नाट्यकला प्रवर्तक, अभिनव संगीत मंडल, नूतन मित्र समाज, विजय समाज, प्रेमी मित्र समाज, मित्र मंडल और आनंद समाज प्रमुख रूप से हैं संस्थाओं का समय 1910 से प्रारंभ होकर लगभग 1950 तक रहा है !

प्रारंभ में नाटकों का मंचन तारागंज की टेकरी, गुब्बारा फाटक, मराठा मंडल बोर्डिंग हाउस, विक्टोरिया कॉलेज में होता था परंतु बाद में टाउन हॉल (ग्वालियर) बनने से नाटकों के मंचन वहां पर नियमित रूप से होने लगे !

आर्टिस्ट्स कंबाइन की स्थापना कब कैसे हुई इसके पीछे रोचक घटना है सन 1936 में तत्कालीन ग्वालियर नरेश श्रीमंत जीवाजी राव शिंदे (सिंधिया) का राज्य रोहण समारोह हुआ था उस समय ललित कला दर्श, मुंबई यहाँ नाटक का मंचन करने आई थी तब उस कंपनी के मालिक स्वर्गीय बापूराव पेंढारकर जी ने सहज "वाय सदाशिव जी"[2] से कहा कि आप इतने नाटकों के शौकीन हैं तो यहां अभी तक आपने कोई संस्था क्यों प्रारंभ नहीं की बस इसी बात का उत्तर था आर्टिस्ट्स कंबाइन ग्वालियर ! उस समय की परंपरा से हटकर नए आजाद में किसी संस्था का नाम आर्टिस्ट्स कम्बाइन ग्वालियर !

इसी प्रकार यादव सदाशिव भागवत अर्थात् वाय सदाशिव भागवत जिने लोग आदर और प्रेम से रावसाहेब कहते थे उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ 1937 में इस संस्था की स्थापना कर कार्य प्रारंभ किया ! परिवर्तन एवं नवीनता यह रावसाहेब के स्वभाव का स्थाई भाव था उस समय के दर्शक आज के समय इतने तकनीकी रूप से समृद्ध नहीं थे, उन्हें तो अभिनय एवं गायन इसी में आनंद आता था ! नेपथ्य किसी भी प्रकार का हो या पारंपरिक ही क्यों नहीं हो परंतु रावसाहेब ने परंपरागत नाटकों से हटकर नई तकनीक एवं परिवेश में आचार्य अत्रे के लिखे नाटक वंदे भारत से उन्होंने श्रीगणेश किया इसमें ग्वालियर के दर्शकों के लिए सब कुछ पहली बार था और वह भी सुखद तथा आश्चर्यचकित करने वाला इसमें रंगमंच पर पहली बार दरवाजे खिड़कियां घरों की दीवारें दिखाने वाला सेट दिखाया गया !

1939 में संस्था द्वारा स्त्री पात्र का काम स्त्री ही करेंगी, यह परंपरा भी प्रारंभ की गई !

परंपरागत मेकअप में कलाकार उस समय सफेदा, पिबड़ी और हिंगुर का मिश्रण उपयोग में लाते थे परंतु रावसाहेब ने मैक्स ट्रैक्टर कंपनी के रंगों की ट्यूब का इस्तेमाल प्रारंभ किया इसमें उन्होने चिन्तू भैया साहेब भागवत को सिखाया और आगे चलकर इस परंपरा में लक्ष्मण भांड, भैया साहेब भागवत[3][4] बाल कृष्ण भाडेकर और आगे की पीढ़ी में सुधाकर शिरोड़कर, विलास भांड और वर्तमान प्रमोद पत्की एवं शशिकांत गेवराईकर इसी परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं !

सन 1939-40 से स्थानीय लेखकों को प्रोत्साहन देने की परंपरा भी प्रारंभ हुई, जिसमें ना. बा. पराड़कर जी के दो नाटकों का मंचन संस्था द्वारा किया गया और इस परंपरा में अनुवादित नाटकों का मंचन भी किया गया जिसमें प्रा. विजय वापट जी , सुधीर करम्बेडकर एवं डॉ. संजय लघाटे एवं प्रमोद पत्की के अनुवादित नाटकों का मंचन भी किया गया !

सन 1943-44 में 12 वर्ष तक के बच्चों के साथ राव साहेव ने नाटकों का मंचन कर लिटिल थियेटर की एक नई कल्पना ग्वालियर वासियों को दी ! जिसे आगे चलकर सुधाकर शिरोड़कर, सुधीर करम्बेडकर ने इस परम्परा को आगे बढ़ाया तथा वर्ष 2000 से नियमित रूप से रंग शिविर के नाम से डॉक्टर संजय लघाटे अपने सहयोगी साथी सुधीर वैशम्पायन, रवि आफले एवं प्रमोद पत्की के साथ चलाते आ रहे हैं और इसमें अब युवा साथी भी जुड़ गए हैं जो परंपरा के साथ नई तकनीक का उपयोग कर इस कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं !

12 अगस्त 1947 को इस संस्था को नई दिशा , नई सोच देने वाले हमारे संस्थापक का निधन हो गया एवं तब से सभी कलाकारों ने कसम खाई कि इस परंपरा को आगे बढ़ातेहुए वाय सदाशिव के स्वप्न को सब मिलकर पूरा करेंगे एवं इसलिए उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप 12 अगस्त 1948 से हर वर्ष वाय सदाशिव स्मृति दिवस मनाना प्रारंभ किया जो अभी तक निरंतर जारी है ! उनकी स्मृति में स्मृति सुमनरांची तुला , बाल पाडगावकर जी ने गीत लिखा व भालचंद्र पेंडारकर जी ने उसे संगीतबद्ध किया व गाया !

1949 तक ग्वालियर में संस्था की मराठी नाटकों की परंपरा ही चालू थी परंतु संस्था ने 1950 में विधिवत सार्वजनिक रूप से पंजीकृत[5][6] होकर इसी वर्ष ग्वालियर में हिंदी नाटकों के मंचन का श्रीगणेश किया एवं पहला नाटक बसंत देव द्वारा अनुवादित मुझे वोट दो उनका पहला नाटक था !

संस्था ने सन 1953-54 में मध्यप्रदेश कला परिषद से संबद्धता प्राप्त की तथा 1956 से संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली से संबद्धता प्राप्त किए इसी प्रकार 1964 में मराठी नाट्य परिषद मुंबई महाराष्ट्र शासन से भी मान्यता प्राप्त की !

इस दौरान संस्था का स्वयं का नाटकगृह हो यह कमी सभी सदस्यों को महसूस हुई और इसी के प्रतिफल में 12 अप्रैल 1956 को भूमि पूजन एवं 30 अक्टूबर 1956 को खुला नाट्यगृह तैयार हुआ ! शौकिया कलाकार द्वारा अपने सीमित साधनों के बल पर नाट्यगृह का निर्माण यह रंग मंदिर के इतिहास में विशेष उल्लेखनीय है, 1961 में बंद नाट्यगृह मैं यह परिवर्तित किया गया !

1962 में संस्था ने 25 वर्ष पूर्ण किए एवं केंद्र तथा प्रदेश के मंत्रीगण, सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं नाटककार तथा कलाकारों की उपस्थिति में रजत जयंती वर्ष पूरी गरिमा के साथ मनाया ! इस अवसर पर एक स्मारिका का भी प्रकाशन किया गया था ! मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर हुमायूं कबीर, श्रीमती दुर्गा खोटे एवं डॉ. शंकर दयाल शर्मा थे ! इसी प्रकार संस्था के कार्य की प्रशंसा एवं प्रसद्धि बढ़ती गई और साथ ही आर्थिक जरूरतें भी ! इसी क्रम में संस्था ने पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत हमारा गांव, नवप्रभात जैसे नाटकों का मंचन कर उस कमी को दूर किया, साथ ही दिल्ली, कोलकाता, झांसी, भुसावल, नागपुर, अकोला आदि शहरों में नाट्य प्रस्तुतियों हेतु आमंत्रण आने लगे ! साथ ही मध्य भारत कला परिषद द्वारा आयोजित नाट्य उत्सव में सहभागिता कर सर्वश्रेष्ठ नाट्य प्रस्तुतियों की शील्ड, उत्कृष्ट निर्देशन हेतु स्वर्ण पदक, महामहिम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी के कर कमलों से ग्रहण किया !

                                                              

1972 में संस्था के संस्थापक वाय सदाशिव भागवत का 25वा स्मृति दिवस पूरी श्रद्धा, निष्ठा एवं गरिमा के साथ संपन्न हुआ जिसमें सईं परांजपे का सखाराम बाईंडर एवं डॉ. श्रीराम लागू का नटसम्राट नाटक का मंचन विशेष था !

1972-73 में केंद्र शासन के सहयोग से नाट्य गृह में कुर्सियां लगाई गई एवं साथ ही संपूर्ण विद्युत एवं ध्वनि व्यवस्था से सुसज्जित किया गया !

1977 में श्री बंसी कौल के निर्देशन में रंग शिविर लगाया गया था जिसमें मदर एवं जुलूस नाटक तैयारकर उनका मंचन किया गया !

1963 से 2012 तक महाराष्ट्र राज्य नाट्य स्पर्धा, दिल्ली में आयोजित स्पर्धा में, आर्टिस्ट्स कंबाइन ग्वालियर द्वारा अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है और दर्शकों के दिलों पर राज किया है !

1978 तक संस्था द्वारा कुल 250 नाटकों का प्रदर्शन संस्था द्वारा किया जा चुका था इसके अलावा संस्था को कई जगह नाट्य स्पर्धा व नाट्य महोत्सव में पुरस्कृत भी किया जा चुका है !

1988 में संस्था ने स्वर्ण जयंती समारोह पांच दिवसीय नाट्य समारोह के साथ मनाया ! मुख्य अतिथि पु.ल .देशपांडे एवं श्री हबीब तनवीर थे, इसमें दो नाटक संस्था के,एक नाटक हबीब तनवीर जी का एवं दो नाटक ललित कलादर्श मुंबई के थे , साथ ही एक संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया था !

1997 में 50वा स्वर्गीय वाय सदाशिव स्मृति दिवस पांच दिवसीय नाट्य समारोह के साथ मनाया गया इसमें मुख्य अथिति जयदेव हट्टंगड़ी थे !

संस्था द्वारा नाटक परिस्थितियों का सिलसिला अविरल चल रहा है परंतु वर्ष 2003 से 2012 तक ग्वालियर के मराठी नाट्य दर्शकों के लिए एक अभिनव योजना प्रारंभ की थी जिसका नाम था रब से रंजन श्रंखला इसमें मुंबई पुणे के नाटकों का मंचन किया जाता था इसे भी लोगों का भरपूर प्यार मिला !

वर्तमान में संस्था द्वारा नाट्य प्रस्तुतियों का सिलसिला अविरल चल रहा है परंतु वर्ष 2003 से 2012 तक ग्वालियर के मराठी नाट्य दर्शकों के लिए एक अभिनव योजना प्रारंभ की थी जिसका नाम था रसिक रंजन श्रंखला इसमें मुंबईपुणे के नाटकों का मंचन किया जाता था इसे भी लोगों का भरपूर प्यार मिला !

2012 में संस्था के 75 वर्ष पूर्ण हुए इस अवसर पर नए स्वरूप में भवन में कुर्सियों को बदला गया, आवश्यक उपयोगी परिवर्तन कर नई साज-सज्जा के साथ अमृत महोत्सव मनाया गया, इसमें जितनी भी प्रस्तुतियां हुई वह सब महाराष्ट्र की व्यावसायिक नाट्य मंडलियों की थी उसके साथ राजा मानसिंह तोमर के संयुक्त तत्वधान में आधुनिक रंगकर्म पर एक कार्यशाला का आयोजन भी किया था जिसमें मुख्य वक्ता डॉ. गौतम चैटर्जी थे !

श्रीमंत माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेले में भी संस्था द्वारा समय-समय पर नाट्य प्रस्तुतियां की जाती रही है एवं अभी तक लगभग 500 से अधिक नाटकों का मंचन संस्था द्वारा किया जा चुका है ![7][8][9][10][11][12]

ग्वालियर व्यापार मेला में भी संस्था द्वारा समय-समय पर नाट्य प्रस्तुतियां की जाती रही है!

2017 में विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय नाट्य समारोह[13] का आयोजन राजा मानसिंह तोमर के सहयोग से किया गया था साथ ही एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया विषय रंगमंच स्थानीयता बनाम वैश्वीकरण सहभागिता प्रोफेसर बामन केंद्रीय अजीत राय गिरजा शंकर एवं मंगल पांडे ने की थी सूत्रधार डॉक्टर योगेंद्र चौबे रहे !

आर्टिस्ट्स कंबाइन ग्वालियर

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इसके अंतर्गत संस्था द्वारा वर्ष भर के जो नियमित कार्यक्रम है जैसे स्मृति दिवस, स्थापना दिवस, निष्ठा पर्व, रंग शिविर पर शहरों के कलाकारों को साथ लेकर नाट्य प्रस्तुतियां तैयार कर मंचन किया जाता है ! इसके लिए सांस्कृतिक संचालनालय द्वारा भी प्रोत्साहन स्वरूप आर्थिक सहयोग दिया जाता है इसमें नाट्य कला में रुचि रखने वाला हर व्यक्ति सहभागिता ले सकता है इसमें संस्था के नियमों के अनुसार किसी भी कलाकार को कोई मानधन नहीं दिया जाता और ना ही उसे किसी प्रकार का शुल्क लिया जाता है ! यह शौकिया प्रकार है अतः लोग अपने आनंद के लिए यहां आते हैं !

आर्टिस्ट्स कंबाइन इंस्टिट्यूट ऑफ़ परफोर्मिंग आर्टस

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2012 से यह महसूस किया गया कि रंगमंच के प्रति विद्यार्थियों एवं युवा पीढ़ी के रुचि बढ़ती जा रही है ! इसमे डॉ. संजय लघाटे ने इस पर कार्य करते हुए संस्था के सदस्यों से नियमानुसार अनुमति लेकर 19 जुलाई 2017 को ACIPA की स्थापना की जिसका प्रमुख उद्देश्य विद्यार्थियों को रंगमंच एवं कला के सभी विषयों का उचित एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण देना है ! इस हेतु महाविद्यालय को राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर मध्य प्रदेश से संबद्धता दी गई !

विशेषज्ञ द्वारा अतिथि व्याख्यान[14][15] आवश्यक रूप से अन्य जगह जाकर प्रस्तुति देने की व्यवस्था नुक्कड़ नाटकों[16][17] के माध्यम से जगह-जगह प्रस्तुतियां शहर में हो रहे अन्य प्रस्तुतियों के अवलोकन एवं उसमें विभिन्न पहलुओं पर चर्चा समीक्षात्मक ईलाइब्रेरी के माध्यम से नाटकों के दिखाना एवं चर्चा करना अन्य महाविद्यालयों की स्पर्धाओं में सहभागिता करना !

परफोर्मिंग स्पेस (प्रदर्शन कार्य स्थान)

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ग्वालियर की 150 वर्ष पुरानी नोट परंपराओं में नाटकों का मंचन चित्र एवं रीगल टॉकीज (टाउन हॉल) में होता था परंतु आर्टिस्ट्स कंबाइन के उत्साही सदस्यों ने स्मारक खोज निकाला ! पूर्व में सन 1955 तक ऐसा नाटकों में मंचन के लिए स्थान निश्चित नहीं था, परंतु संस्था के सदस्यों ने एवं आदरणीय वासुदेव शिरगांवकर महाराज जी ने इस समस्या का समाधान निकाला !

12 अप्रैल 1956 को वासुदेव शिरगांवकर जी ने विधिवत जमीन विक्रय करके उस पर नाट्य मंदिर का शिलान्यास किया गया जिसके लिए संस्था के सदस्यों ने सामूहिक श्रमदान कर 25-25 हज़ार एकत्र कर 30 अक्टूबर 1956 को खुला विशाल नाट्यगृह का सपना साकार किया ! इसका उद्घाटन मध्य भारत के पूर्व मुख्यमंत्री श्री तख्तमल जैन द्वारा किया गया ! जनता के विश्वास, सदस्यों के दृण संकल्प एवं सहयोग तथा शासकीय उदार आर्थिक सहयोग से खुला नाट्य मंदिर प्रारंभ किया गया संभवतः यह भारत के किसी संस्था का स्वयं का नाट्य गृह है जो वर्तमान में रंगमंच संबंधी आवश्यक संसाधनों से सुसज्जित है !

पुरस्कार एवं उपलब्धिया

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आर्टिस्ट्स कम्बाइन ग्वालियर ने वर्ष 1960 से 2012 तक अपने कार्य का परचम ग्वालियर ही नहीं वरन संपूर्ण भारतवर्ष में फहराया है महाराष्ट्र राज्य नाट्य स्पर्धा, महाराष्ट्र मंडल, कोलकाता नाट्य स्पर्धा, मध्य भारत राज्य नाट्य स्पर्धा, कालिदास समारोह, मध्य प्रदेश नाट्य समारोह, सभी जगह अपने उत्कृष्ट कार्य की छाप छोड़ी है तथा सरणी उपलब्ध है

वर्ष नाटक निर्देशक प्राथमिक स्पर्धा अंतिम पुरस्कार
1964 भटाला दिली ओसरी भैया भागवत प्रथम (रविंद्र नाट्य मंदिर बंबई) अंतिम अभिनय भैया भागवत श्रीमती निर्मला देशमानकर
1965 पंख हवे मज स्व. ग. वा. पुंडे तृतीय (रविंद्र नाट्य मंदिर बंबई) श्रीराम जोगलेकर
1967 राणीचा बाग भैया भागवत - - अभिनय रौप्य पदक कु.शीला जोशी
1968 कुचलिया वृक्षांची फळे भैया भागवत द्वितीय (धनवटे रंगमंदिर,नागपुर) तृतीय (रंग भवन धोबी तलाव बंबई) अभिनय- कु. वनीता करकरे रौप्य पदक- उर्मिता दाते विश्वास करंजगांवकर
1969 मनात्वांची रे भैया भागवत प्रथम, अकोला द्वितीय (रविंद्र नाट्य मंदिर बंबई) अभिनय-रौप्य पदक श्रीमती प्रतिमा जोशी स्व. ग. वा. पुंडे,  बसंत परांजपे, सर्वोत्तम निर्देशन - भैया भागवत, सर्वोत्तम प्रकाश योजना -  रविंद्र प पुंडे
1970 मुद्दई लाख चाहे भैया भागवत प्रथम, अकोला -           अभिनय -  कु. सरिता देशमानकर
1971 पांचवा राजा स्व. ग. वा. पुंडे प्रथम, अकोला - अभिनय -  रौप्य पदक, बसंत परांजपे
1972 एकाकी भैया भागवत द्वितीय,  अमरावती - अभिनय - रौप्य पदक, सुनंदा टिपनिस, सर्वोत्तम नेपथ्य- स्व. बालकृष्ण कर्डेकर, मराठी नाट्य परिषद का विशेष पुरस्कार - सुनंदा टिप्पणी
1973 आठ तासांचा जीव भैया भागवत प्रथम, अमरावती - अभिनय- वसंत परांजपे

कुं. जया खांडेकर

1974 आनंदी गोपाळ भैया भागवत प्रथम, अमरावती तृतीय (रविंद्र नाट्य मंदिर बंबई) अभिनय- रौप्य पदक, नाना गडवईकर, कुं. जया खांडेकर

अंतिम स्पर्धा, सर्वोत्तम निर्देशन द्वितीय भैया भागवत

मराठी नाट्य परिषद विशेष पुरस्कार कुं. जया खांडेकर

1975 एक नाथ मुंगी स्व. ग. वा. पुंडे प्रथम, अमरावती - अभिनय- निर्मला देशमानकर

अभिनय रौप्य पदक - कु. जया खंडेकर

1977 परवशता पाश दैव वसंत परांजपे प्रथम, यवतमाल तृतीय (रविंद्र नाट्य मंदिर, बंबई) अभिनय- रौप्य पदक, राजा नेवासकर

सर्वोत्तम निर्देशन- तृतीय, वसंत परांजपे

1978 समिधा राम जोगलेकर द्वितीय, अकोला - अभिनय प्र मां दाने कर सर्वोत्तम निर्देशन द्वितीय राम जोगलेकर
1979 हानूश वसंत परांजपे तृतीय, अकोला - अभिनय- वसंत परांजपे श्रीमती सुनंदा टिपनिस
1980 रघुनाथा जी बखर भैया भागवत द्वितीय (नागपुर) - अभिनय-  जया खांडेकर, किरण वैशंपायन, अभिनय रौप्य पदक, नाना गडवईकर, नाट्य वलय (नागपुर)

पुरस्कार अभिनय-  नाना गडवईकर

निर्देशन- भैया भागवत

1981 द केट्स पॉ भैया भागवत प्रथम अकोला पांचवा (रविंद्र नाट्य मंदिर बंबई) अभिनय- किरण वैशंपायन अभिनय- रौप्य पदक, नाना गडवईकर

सर्वोत्तम निर्देशन (प्रथम) - भैया भागवत

1982 हमीदाबाई ची कोठी भैया भागवत द्वितीय (नागपुर) - अभिनय- कुं. जया खांडेकर कु. किरण वैशंपायन सुधाकर शिरोड़कर,

अभिनय- रौप्य पदक,

नाना गडवईकर

1983 घासीराम कोतवाल कमल वशिष्ठ द्वितीय नागपुर द्वितीय (रविंद्र नाट्य मंदिर बंबई) अभिनय- रौप्य पदक, नाना गडवईकर, अशोक जोशी, श्रीमती शालिनी खिरवडकर, सर्वोत्तम संगीत- प्रथम, हरिराम गोरेजा

सर्वोत्तम नेपथ्य- प्रथम, वसंत मिश्रा

सर्वोत्तम निर्देशन- द्वितीय,

डॉ. कमल वशिष्ठ

मराठी नाट्य परिषद का विशेष पुरस्कार अभिनय- नाना गडवईकर

1989 झुंज अशोक जोशी धनबटे रंग मंदिर, नागपुर - सर्वोत्तम प्रकाश योजना- द्वितीय, राघवेंद्र शिरगांवकर
1991 येस वुई आर गिल्टी अशोक जोशी बाल गंधर्व जळगांव - सर्वोत्तम प्रकाश योजना- प्रथम, राघवेंद्र शिरगांवकर अभिनय प्रशस्ति पत्र- सुधीर करम्बेळकर

दिल्ली नाट्य केंद्र द्वारा शिशिर नाट्य समारोह

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वर्ष नाटक निर्देशक प्राथमिक स्पर्धा अंतिम पुरस्कार
1952 दूरचे दिवे श्रीनिवास कोचकर - - अभिनय श्रीमान अ.म. जोशी स्व. चंपावती केतकर
1952 पुण्य प्रभाव श्रीनिवास कोचकर - - सर्वोत्तम प्रस्तुति (प्रथम)
1953 छठा बेटा स्व. ग.वा. पुंडे - - सर्वोत्तम अभिनय (प्रथम)

स्व. ग.वा. पुंडे

1954 वहिनी श्रीनिवास कोचकर - - सर्वोत्तम प्रस्तुति द्वितीय

ब्रह्न्महाराष्ट्र मंडल कलकत्ता, आयोजित मराठी नाट्य स्पर्धा

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1955 मुझे वोट दो श्रीनिवास कोचकर - - सर्वोत्तम प्रस्तुति, सर्वोत्तम निर्देशन, अभिनय  रौप्य पदक स्व. चिंतामणि भागवत श्री भैया भागवत

श्रीमती उर्मिला दाते

मध्य भारत राज्य नाट्य महोत्सव (हिंदी)

कालिदास समारोह उज्जैन

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1958 विक्रमोर्वशीय स्व. श्री हरि रामचंद्र दिवेकर - - सर्वोत्तम प्रस्तुति द्वितीय
1959 मालविकाग्निमित्रम् स्व. श्री हरि रामचंद्र दिवेकर  एवं गोदावरी केतकर - - सर्वोत्तम प्रस्तुति द्वितीय


महाराष्ट्र समाज नई दिल्ली द्वारा आयोजित मराठी स्पर्धा

1969 मनात्वांची रे भैया भागवत - - सर्वोत्तम निर्देशन प्रथम -  भैया भागवत

सर्वोत्तम प्रस्तुति प्रथम आर्टिस्ट कंबाइंड ग्वालियर

1972 एकाकी भैया भागवत - - सर्वोत्तम प्रस्तुति प्रथम आर्टिस्ट कंबाइन ग्वालियर सर्वोत्तम निर्देशन प्रथम

भैया भागवत अभिनय रौप्य पदक श्रीमती सुनंदा टिप्पणी

श्री श,शिकांत उदक अभिनय

1992 कन्यादान निर्मला देशमानकर - - अभिनय प्रशस्ति पत्र

डॉ. संजय लघाटे

2011 अखेरचा सवाल सदानंद भागवत - - अभिनय प्रशस्ति पत्र

डॉ. संजय लघाटे,

विलास भांड

अंतर भारतीय मुक्तिबोध नाट्य स्पर्धा रायपुर

1981 हमीदाबाई की कोठी भैया भागवत सर्वोत्तम प्रस्तुति प्रथम आर्टिस्ट कम्बाइन ग्वालियर सर्वोत्तम रंग भूषा स्वर्गीय बालकृष्ण कर्डेकर

सर्वोत्तम वेशभूषा सदानंद भागवत

सर्वोत्तम प्रकाश योजना रविंद्र पांडे

सिर्फ अभिनय कुमारी सुषमा नाइक अभिनय रौप्य पदक बसंत परांजपे श्रीमती रेखा भागवत

महाराष्ट्रमंडल इंदौर द्वारा आयोजित मराठी नाट्य स्पर्धा

1982 हमीदाबाई की कोठी भैया भागवत सर्वोत्तम प्रस्तुति द्वितीय आर्टिस्ट कंबाइन ग्वालियर सर्वोत्तम निर्देशन द्वितीय भैया भागवत

अभिनय नाना गडवईकर कु. जया खांडेकर

1987 संध्या छाया भैया भागवत अभिनय

श्रीमती सुनंदा टिपनिस

प्रशस्ति पत्र

आनंद दाणेकर

विशेष आयोजन

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- किसी भी शौकिया संस्था के लिए इसकी रजत जयंती स्वर्ण जयंती एवं प्लैटिनम जुबली अमृत महोत्सव 75 वर्ष मनाना यह जितनी गर्व की बात है उसे ज्यादा आनंद उन सभी सदस्यों को भी होता है जो कि इन आयोजनों का हिस्सा रहे होते हैं !

(अ)   रजत जयंती 1937-1962 (25 वर्ष)

(आ) स्वर्ण जयंती 1937 1987 50 वां वर्ष

(इ)     स्व. बाय सदाशिव स्मृति स्वर्ण जयंती समारोह (50 वर्ष) सन 1948 से 1997

(ई)     अमृत महोत्सव 1937 से 2012 (75वां वर्ष)

(उ)     रंग शिविर 1975

संस्था द्वारा अभी तक सिर्फ निम्न पुस्तकों का प्रकाशन हुआ है परंतु भविष्य में पुस्तकों पर प्रकाशन का विचार है

(अ)  रजत जयंती

(आ) स्वर्ण जयंती

(इ)    स्व. बाय सदाशिव स्मृति स्वर्ण जयंती

(ई)    ऋणानुबंध

(उ)    प्रयोग

(ऊ)   प्रयोग त्रैमासिक (1 वर्ष बाद अपरिहार्य कारणों से बंद कर दिया)

(ऋ)  रंग शिविर 1977

संस्था के वार्षिक कार्यक्रम

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आर्टिस्ट कंबाइन अप्रैल से मार्च के मध्य निम्न कार्यक्रमों का आयोजन नियमित रूप से करती आ रही है !

1.      रंग शिविर अप्रैल-मई [18][19]

2.      वाय सदाशिव स्मृति दिवस 12 अगस्त [20][21][22][23][24]

3.      स्थापना दिवस 30 अक्टूबर[25][26][27]

4.      निष्ठा पर्व 28 फरवरी[28]

5.      विश्व रंगमंच दिवस 27 मार्च[29][30][31][32]

इसके अलावा उपलब्धता एवं सुविधा अनुसार अन्य कार्यक्रम एवं प्रस्तुतियां भी तैयार कर मंचन किया जाता है !

संस्था पर किए गए शोध कार्य

संपादित करें
नाम वर्ष विषय विश्वविद्यालय
अनंत कुमार राठौर    2018-19 लघु शोध निबंध राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर
दिव्या गवास (12 अक्टूबर 2020) मराठी नाटक करने वाली संस्थाए कला अकादमी नाट्य महाविद्यालय, गोवा
यशस्विनी धोलाखंडी 9 जनवरी 2021 संस्था परिचय क्वीन कॉलेज, यु.एस.ए.
संजय सिंह जादोन 2020 लघु शोध ग्वालियर की नाट्य संस्थाए राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर
डॉ. संजय लघाटे 2016 लेखक एवं निर्देशक प्रा. राम जोगलेकर पर उसनके कार्यो पर शोध प्रबंध विक्रम  वि.वि. उज्जैन
  1. "हिंदी खबर, Latest News in Hindi, हिंदी समाचार, ताजा खबर". Patrika News (hindi में). अभिगमन तिथि 2021-05-20.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  2. Madhya Pradesh Sampurna Adhyayan (With Latest Facts and Data). Upkar Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7482-738-8.
  3. Andhayug: Paath Aur Pradarshan. Vani Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5000-015-1.
  4. Singhal, Nirmal (2002-09-01). Mohan Rakesh : Rang-Shilp Aur Pradarshan. Radhakrishna Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7119-722-4.
  5. "NGO Darpan". ngodarpan.gov.in. अभिगमन तिथि 2021-05-21.
  6. "Artists Combine Gwalior | Ngo List" (अंग्रेज़ी में). मूल से 21 मई 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2021-05-21.
  7. "Gwalior World Theater Day: शहर के युवा कलाकार करेंगे नाटक का मंचन". Nai Dunia. 2021-03-24. अभिगमन तिथि 2021-05-20.
  8. "ग्वालियर में 4 मई से तीन दिवसीय नाट्य समारोह, तीन हास्य नाटकों का होगा मंचन". indorestudio.com. 2018-04-28. अभिगमन तिथि 2021-05-20.
  9. "Bhaskar ePaper: Dainik Bhaskar Hindi News Paper, Hindi ePaper Online". Dainik Bhaskar. मूल से 20 मई 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2021-05-20.
  10. "Gwalior News: ...चोर की खाल में कई ईमानदार". Nai Dunia. 2021-01-10. अभिगमन तिथि 2021-05-20.
  11. "भ्रष्ट अफसरों को चूना लगा गया जांच अधिकारी Aaj Abhi News". Hindi News: Latest News, Samachar, Breaking News, न्यूज़ इन हिन्दी. 2018-08-15. मूल से 20 मई 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2021-05-20.
  12. "हिंदी खबर, Latest News in Hindi, हिंदी समाचार, ताजा खबर". Patrika News (hindi में). अभिगमन तिथि 2021-05-20.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  13. "ग्वालियर में तीन नाटक". ग्वालियर में तीन नाटक. अभिगमन तिथि 2021-05-20.
  14. "ग्वालियर में आर्टिस्ट्स कम्बाइन में बाल कलाकारों ने सीखे रंगमंच के गुर". indorestudio.com. अभिगमन तिथि 2021-05-20.
  15. "कलाकारों ने समझी सेट, मेकअप और कॉस्ट्यूम की बारीकियां". Patrika News (hindi में). अभिगमन तिथि 2021-05-20.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  16. "पुलिस प्रशासन ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से ग्वालियर के लोगो को किया सचेत - GwaliorKhabar Madhya Pradesh". GwaliorKhabar (अंग्रेज़ी में). 2020-12-17. अभिगमन तिथि 2021-05-20.
  17. "45 साल पहले नाट्य मंदिर में लगती थी टिकट के लिए लाइन, अब फ्री में भी दर्शकों को तरसे नाटक". Patrika News (hindi में). अभिगमन तिथि 2021-05-20.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  18. "माइम में दशावतार, दिखी नेताजी की असलियत". Patrika News (hindi में). अभिगमन तिथि 2021-05-20.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  19. "हिंदी खबर, Latest News in Hindi, हिंदी समाचार, ताजा खबर". Patrika News (hindi में). अभिगमन तिथि 2021-05-20.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  20. "परिस्थितियों ने खत्म किया अहंकार". Patrika News (hindi में). अभिगमन तिथि 2021-05-20.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  21. "हिंदी खबर, Latest News in Hindi, हिंदी समाचार, ताजा खबर". Patrika News (hindi में). अभिगमन तिथि 2021-05-20.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  22. "वाय सदाशिव की स्मृति में होगा नाटक". Dainik Bhaskar. 2019-07-05. अभिगमन तिथि 2021-05-20.
  23. "वाय सदाशिव की स्मृति में समारोह 12 अगस्त से, होगा 4 नाटकों का मंचन". Dainik Bhaskar. 2018-07-23. अभिगमन तिथि 2021-05-20.
  24. "शहरवासियों ने अमन के साथ खेला \'खुल जा सिम-सिम\', 51 का किया सम्मान". Dainik Bhaskar. 2018-08-13. अभिगमन तिथि 2021-05-20.
  25. "आर्टिस्ट कंबाइन' का सफ़र अब नई उड़ान पर". indorestudio.com. 2018-11-11. अभिगमन तिथि 2021-05-20.
  26. "राजकाज में व्यस्तता के चलते कालिदास भूल गए मल्लिका का प्रेम". Patrika News (hindi में). अभिगमन तिथि 2021-05-20.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  27. "बापू बोले- ये मेरे सपनो का भारत नहीं". Patrika News (hindi में). अभिगमन तिथि 2021-05-20.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  28. "बेटे के न रहने पर दिव्यांग बच्चों की केयर करने का लिया दंपती ने फैसला". Patrika News (hindi में). अभिगमन तिथि 2021-05-20.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  29. "तीन माह की तैयारी के बाद 20 कलाकारों ने मंच पर जीवंत की गुरु और शिष्य की कहानी". Patrika News (hindi में). अभिगमन तिथि 2021-05-20.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  30. "मंच पर जीवंत की गुरु शिष्य की कहानी". Patrika News (hindi में). अभिगमन तिथि 2021-05-20.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  31. "रंगमंच पर एक और महिला निर्देशक की दमदार एंट्री, गीतांजलि ने किया नाटक 'कमला' का सफल मंचन". indorestudio.com. 2018-11-03. अभिगमन तिथि 2021-05-20.
  32. "45 साल पहले नाट्य मंदिर में लगती थी टिकट के लिए लाइन, अब फ्री में भी दर्शकों को तरसे नाटक". Patrika News (hindi में). अभिगमन तिथि 2021-05-20.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)