सिंधिया
कुर्मी /कुणबी मराठा वंश शिंदे (सिंधिया) |
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उपनाम | शिंदे (सिंधे, सिंधिया, सेंद्रक) | ||
जाति | [1]मराठा (कुर्मी) | ||
कुल | [क्षत्रिय] | ||
शीर्षक | सेंद्रक या प्रभाकरवर्मा | ||
धर्म | हिन्दू. | ||
मूल राज्य | सिंध, रणथंबौर और् पत्तदकल | ||
अन्य राज्य | ग्वालियर, उज्जैन, बादामी. | ||
राजधानी | सातारा गाँव | ||
रंग | लाल | ||
निशान | ध्वज पर सर्प[1][2] | ||
कुल देव | ज्योतिबा (महादेव) kolhapur, Maharashtra. | ||
कुल देवी | तुलजा-भवानी (तुलजापुर, महाराष्ट्र), महाकाली, महागौरी, रामवर्दायिनी. | ||
देवक | मृगवेल/मरिदकाचावेल या आगादा (महाराष्ट्र में पाया जाने वाला एक पौधा), कलंब, रूई और मोरवेल[3] | ||
गुरु | कौन्डिन्य | ||
गोत्र | कौन्डिन्य (वशिष्ठ गोत्र की शाखा) | ||
वेद् | यजुवेद् | ||
मंत्र | गायत्री मंत्र | ||
प्रवर | वशिष्ठ, मित्रावारुण और कौंडीन्य | ||
विजय हथियार | तलवार् | ||
गुह्यसूत्र | पारस्कर | ||
स्थान | महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरातबिहार ,उत्तर प्रदेश ,झारखंड और गोवा | ||
भाषा | मराठी, गुजराती, भोजपुरी ,मैथिली हिन्दी, कन्नड, संस्कृत | ||
उपाधि | पट्टराजा पटेल श्री पाटील, महाराजा, श्रीमंत |
शिंदे/सिंधिया राजवंश राणोजी सिंधिया, जो महाराष्ट्र के सातारा जिले में कान्हेरखेड गांव के पाटिल जानकोजीराव के पुत्र थे, द्वारा स्थापित किया गया था।
इतिहास
संपादित करेंसिंधिया राजवंश राणोजी सिंधिया, जो महाराष्ट्र के सातारा जिले में कान्हेरखेड गांव के पाटिल जानकोजीराव के पुत्र द्वारा स्थापित किया गया था। १८१८ के तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध में अंग्रेजों के हाथों मराठा राज्यों की हार के बाद, दौलतराव सिंधिया ब्रिटिश भारत के भीतर एक रियासत के रूप में स्थानीय स्वायत्तता स्वीकार करने और अजमेर को अंग्रेज़ो को देने के लिए मजबूर हो गये। दौलतराव की मृत्यु के बाद, महारानी बैज़ा बाई ने साम्राज्य चलाया और ब्रिटिश सत्ता से बची रही, उसके बाद उनके गोद लिए हुए जानकोजी राव ने सत्ता संभाली। जानकोजी की मृत्यु १८४३ में हुई और उनकी विधवा ताराबाई राजे सिंधिया ने सफलतापूर्वक स्थिति को यथावत बनाए रखा और जयाजीराव नामक बालक को गोद लिया।
सिंधिया परिवार ने १९४७ तक भारत की स्वतंत्रता तक ग्वालियर पर शासन किया। तब महाराजा जीवाजिराव सिंधिया ने भारत मे विलय के लिये स्वीकृति दे दी। ग्वालियर अन्य रियासतों के साथ विलय के साथ मध्य भारत का नया राज्य बन गया। जॉर्ज जीवाजिराव ने राज्यप्रमुख के रूप में २८ मई १९४८ से ३१ अक्टूबर १९५६ तक कार्य किया, तब मध्य भारत का मध्य प्रदेश में विलय कर दिया गया।
१९६२ में महाराजा जीवाजिराव की विधवा, राजमाता विजयाराजे सिंधिया लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं और इस प्रकार सिंधिया परिवार की चुनावी राजनीति में जीवन - यात्रा प्रारंभ हुई। वे शुरू मे कांग्रेस पार्टी की सदस्य थी, परन्तु बाद में भारतीय जनता पार्टी की एक प्रभावशाली सदस्य बन कर उभरीं। उनके पुत्र माधवराव सिंधिया १९७१ में कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए और २००१ मे मृत्यु तक लोकसभा के सदस्य रहे। उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने पिता की लोक सभा सीट पर कांग्रेस पार्टी के टिकट पर २००४ चुने गये।
विजयाराजे की बेटियों ने भारतीय जनता पार्टी का समर्थन किया है। वसुंधरा राजे सिंधिया ने मध्य प्रदेश और राजस्थान से पाँच संसदीय चुनावों मे विजय पाई। १९९८ के बाद के वाजपेयी सरकार के शासनकाल मे वसुंधरा ने कई अलग अलग मंत्रालयों का प्रभार संभाला। २००३ मे उन्होने राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व करते हुये भारी बहुमत हासिल और राज्य की मुख्यमंत्री बनी। उसकी दूसरी बेटी, यशोधरा राजे सिंधिया ने मध्य प्रदेश के शिवपुरी से विधानसभा चुनाव लड़ा और १९९८ और २००३ में विजय प्राप्त की। मध्य प्रदेश विधान सभा चुनावो में भाजपा की जीत पर, वे पर्यटन, खेल और युवा मामलों के लिए राज्य मंत्री बनी। वसुंधरा के पुत्र दुष्यंत सिंह ने २००४ में राजस्थान से लोकसभा में प्रवेश किया।
उतपत्ति
संपादित करेंसिंधिया परिवार को परंपरागत रूप से राजा (सेंद्रक) सिंधिया और पुराने कुर्मी/मराठा वंश का वंशज माना जाता है। सिंधिया ने छत्रपती शिवाजी महाराज के वंशजो की रक्षा की है और डेक्कन के बहमनी सल्तनत के रिश्तेदार भी रहे।
शाखाएं
संपादित करेंआपटेकर, भुसे, देसाई, कुल्हर, कोल्हे, कुर्वासिन्दे, जटायु, जद्बुद्धे, जादे, जयसिन्धिया, डाबले, डोरगे, दुर्देसिन्धिया, नगवाडे, नेकुलसिन्धिया, नेकनामदार, नेभले, प्रतापसिन्धिया, भागलकर, भुरे, भोरे, भेड, मुंग, घाटे, मुके, मुंगेकर, मुगूल, टिङरे, विजयसिन्धिया, वालेकर, वाबले, शिशुपालसिन्धियया, सक्तपालसिन्धिया, सिताजासिन्धियया, भैरवसिन्धियया, महाकालसिन्धिया, मुलसिन्धियया, मुंडे, पाइगुडे, घुले, जेधे और मते आदि।
उपवंश
संपादित करें- पायगुडे - पुणे प्रान्त के ३५ गाँवों के देशमुख व करंजवणे देशमुख
- देसाई - सतारा जिले के पाटन में कई गाँवों के देशमुखों का उपनाम
- सिंधिया - तोरगल का एक वंश, जिन्होने कोल्हापुर के छत्रपती भोंसले वंश के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित किये
- सिंधिया - मलणगांव का एक वंश, जो बीजापुर की सल्तनत के जमाने से मलणगांव का सरनजामदार थे
- सिंधिया - पुणे जिले में सूबेदार, खोर, तालुका, धौंड/दौंड, श्रीगोंदा (अहमदनगर)
- वाबले - कोपरगाँव (अहमदनगर) जिले के देशमुख
- सिंधेः - नाशिक व खानदेश के देशमुख व सरदार
उपाधि
संपादित करें- १७०० - पट्टराजा श्रीमंत पाटील जी
- १७४५ - श्रीमंत सरदार (नाम) सिंधिया बहादुर
- १७४५-१७८७ - मेहरबान श्रीमंत सरदार (नाम) सिंधिया बहादुर
- १७८७-१७९० - हिज़ हायनेस महाराजाधिराज महाराजा साहिब सूबेदार श्रीमंत (नाम) सिंधिया बहादुर महाराजा सिंधिया ऑफ़ ग्वालियर
- १७९०-१७९४ - हिज़ हायनेस आली जाह, उमदत उल-उमारा, फ़रज़ांद-ए-अर्जुमंद, महाराजाधिराज महाराजा साहिब सूबेदार श्रीमंत (नाम) सिंधिया बहादुर, श्रीनाथ, मंसूर-ए-ज़मान, नायब उल-इस्तिक़लाल-ए-महाराजाधिराज सवाई माधव राव नारायण, महाराजा सिंधिया ऑफ़ ग्वालियर
- १७९४-१८२७ - हिज़ हायनेस आली जाह, नायब वकी़ल-ए-मुतलाक़, आमीर उल-उमारा, मुख़्तार उल-मुल्क, महाराजाधिराज महाराजा श्रीमंत (नाम) सिंधिया बहादुर, महाराजा सिंधिया ऑफ़ ग्वालियर
- १८२७-१८४५ - हिज़ हायनेस आली जाह, उमदत उल-उमारा, हिसाम उस-सल्तनत, मुख़्तार उल-मुल्क, महाराजाधिराज महाराजा श्रीमंत (नाम) सिंधिया बहादुर, श्रीनाथ, मंसूर-ए-ज़मान, महाराजा सिंधिया ऑफ़ ग्वालियर
- १८४५-१८६१ - हिज़ हायनेस आली जाह, उमदत उल-उमारा, हिसाम उस-सल्तनत, मुख़्तार उल-मुल्क, अज़ीम उल-इक़्तिदार, रफ़ी-एस-शान, वाला शिको़ह, मुहतशम-ए-दौरान, महाराजाधिराज महाराजा श्रीमंत (नाम) सिंधिया बहादुर, श्रीनाथ, मंसूर-ए-ज़मान
- १८६१-१९०१ - हिज़ हायनेस आली जाह, उमदत उल-उमारा, हिसाम उस-सल्तनत, मुख़्तार उल-मुल्क, अज़ीम उल-इक़्तिदार, रफ़ी-एस-शान, वाला शिको़ह, मुहतशम-ए-दौरान, महाराजाधिराज महाराजा श्रीमंत (नाम) सिंधिया बहादुर, श्रीनाथ, मंसूर-ए-ज़मान, फ़िदवी-ए-हज़रत-ए-मलिका-ए-मुआज़मा-ए-रफ़ी-उद-दर्जा-ए-इंगलिस्तान
- १९०१-१९५२ - हिज़ हायनेस आली जाह, उमदत उल-उमारा, हिसाम उस-सल्तनत, मुख़्तार उल-मुल्क, अज़ीम उल-इक़्तिदार, रफ़ी-एस-शान, वाला शिको़ह, मुहतशम-ए-दौरान, महाराजाधिराज महाराजा श्रीमंत (नाम) सिंधिया बहादुर, श्रीनाथ, मंसूर-ए-ज़मान, फ़िदवी-ए-हज़रत-ए-मलिका-ए-मुआज़म-ए-रफ़ी-उद-दर्जत-ए-इंगलिस्तान
- १९५२-१९६९ - हिज़ हायनेस आली जाह, उमदत उल-उमारा, हिसाम उस-सल्तनत, मुख़्तार उल-मुल्क, अज़ीम उल-इक़्तिदार, रफ़ी-एस-शान, वाला शिको़ह, मुहतशम-ए-दौरान, महाराजाधिराज महाराजा श्रीमंत (नाम) सिंधिया बहादुर, श्रीनाथ, मंसूर-ए-ज़मान, फ़िदवी-ए-हज़रत-ए-मलिका-ए-मुआज़मा-ए-रफ़ी-उद-दर्जा-ए-इंगलिस्तान
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 26 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 सितंबर 2018.
- ↑ https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Gwalior_Coat_of_arms.png
- ↑ आर॰ एम॰ बेथम (1 दिसम्बर 1996). Maráthas and Dekhani Musalmáns. Asian Educational Services. पपृ॰ 152–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-206-1204-4. अभिगमन तिथि 7 मई 2011.