नाशिक
नासिक (Nasik) या नाशिक (Nashik) भारत के महाराष्ट्र राज्य के नाशिक ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय और महाराष्ट्र का चौथा सबसे बड़ा नगर है। नाशिक गोदावरी नदी के किनारे बसा हुआ है। यह महाराष्ट्र के उत्तर पश्चिम में, मुम्बई से १५० किमी और पुणे से २०५ किमी की दुरी में स्थित है। यह शहर प्रमुख रूप से हिन्दू तीर्थयात्रियों का प्रमुख केन्द्र है। इस शहर का सबसे प्रमुख भाग पंचवटी है। इसके अलावा यहां बहुत से मंदिर भी है। नाशिक में त्योहारों के समय में बहुत अधिक संख्या में भीड़ दिखाई पड़ती है।[3][4][5]
नाशिक Nashik नासिक | |
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ऊपर बाएँ से दक्षिणावर्त: गोदावरी घाट, नाशिक गुफाएँ (त्रिरश्मी लेणी), कालाराम मन्दिर, नाशिक नगर दृश्य, नाशिक अंगूर, सूला विनयर्ड | |
निर्देशांक: 20°00′N 73°47′E / 20.00°N 73.78°Eनिर्देशांक: 20°00′N 73°47′E / 20.00°N 73.78°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | महाराष्ट्र |
ज़िला | नाशिक ज़िला |
क्षेत्रफल | |
• शहर | 267 किमी2 (103 वर्गमील) |
ऊँचाई | 584 मी (1,916 फीट) |
जनसंख्या (2011)[1] | |
• शहर | 14,86,973 |
• घनत्व | 5,600 किमी2 (14,000 वर्गमील) |
• महानगर[2] | 15,62,769 |
भाषा | |
• प्रचलित | मराठी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
वेबसाइट | www |
इतिहास
संपादित करेंनाशिक शक्तिशाली सातवाहन वंश के राजाओं की राजधानी थी। मुगल काल के दौरान नासिक शहर को गुलशनबाद के नाम से जाना जाता था। इसके अतिरिक्त नाशिक शहर ने भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में भी अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर ने १९३२ में नाशिक के कालाराम मंदिर में अस्पृश्योंको प्रवेश के लिये आंदोलन चलाया था।
मुख्य आकर्षण
संपादित करेंनाशिक आस्था का शहर है। यहां आपको बहुत से सुंदर मंदिर और घाट देखने को मिलेगें। यहां विभिन्न त्योहारों को बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। यहां ज्यादातर भगवान के प्रति आस्था रखने वाले पर्यटक अधिक संख्या में आर्कषित होते है।
कुंभ मेला
संपादित करेंनाशिक में लगने वाला कुंभ मेला, जिसे यहाँ सिंहस्थ के नाम से जाना जाता है, शहर के आकर्षण का सबसे बड़ा केन्द्र है। भारतीय पंचांग के अनुसार सूर्य जब कुंभ राशी में होते है, तब प्रयागराज में कुंभमेला लगता है और सूर्य जब सिंह राशी में होते है, तब नाशिक में सिंहस्थ होता है। इसे कुंभमेला भी कहते है। अनगिनत श्रद्धालु इस मेले में आते हैं। यह मेला बारह साल में एक बार लगता है। इस मेले का आयोजन महाराष्ट्र पर्यटन निगम द्वारा किया जाता है। भारत में यह धार्मिक मेला चार जगहों पर लगता है। यह जगह नाशिक, प्रयागराज, उज्जैन और हरिद्वार में हैं। प्रयागराज में लगने वाला कुंभ का मेला सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। इस मेले में हर बार विशाल संख्या में भक्त आते हैं।
इस मेले में आए लाखों श्रद्धालु गोदावरी नदी में स्नान करते हैं। यह माना जाता है कि इस पवित्र नदी में स्नान करने से आत्मा की शुद्धि और पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष आने वाले शिवरात्रि के त्योहार को भी यहां बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हजारों की संख्या में आए तीर्थयात्री इस पर्व को भी पूरे उमंग और उत्साह के साथ मनाते हैं।
इस त्योहार में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए राज्य सरकार कुछ विशेष प्रकार का प्रबंध करती है। यहां दर्शन करने आए तीर्थयात्रियों के रहने के लिए बहुत से गेस्ट हाउस और धर्मशाला की सुविधा मुहैया कराई जाती है। यहां स्थित घाट बहुत ही साफ और सुंदर है। त्योहारों के समय यहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं।
पंचवटी
संपादित करेंपंचवटी नाशिक के उत्तरी भाग में स्थित है। माना जाता है कि भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के साथ कुछ समय के लिए पंचवटी में रहे थे। इस कारण भी पंचवटी प्रसिद्ध है। वर्तमान समय में पंचवटी में जिस जगह से सीता का अपहरण किया गया था वह जगह पांच बरगद के पेडों के समीप है।
सीता गुम्फा
संपादित करेंगुम्फा का शब्दिक अर्थ गुफा होता है। सीता गुम्फा पंचवटी में पांच बरगद के पेड़ के समीप स्थित है। यह नाशिक का एक अन्य प्रमुख आकर्षण जगह है। इस गुफा में प्रवेश करने के लिए संकरी सीढ़ियों से गुजरना पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि रावण ने सीताहरण इसी जगह से किया था।
सुंदरनारायण मंदिर
संपादित करेंयह मंदिर नाशिक में अहिल्याबाई होल्कर सेतु के किनारे स्थित है। इस मंदिर की स्थापना गंगाधर यशवंत चंद्रचूड ने १७५६ में की थी। इस मंदिर में भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। भगवान विष्णु को सुंदरनारायण के नाम से भी जाना जाता है।
मोदाकेश्वर गणेश मंदिर
संपादित करेंमोदाकेश्वर गणेश मंदिर नाशिक में स्थित एक अन्य प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में स्थित मूर्ति में बारे में ऐसा माना जाता है कि यह मूर्ति स्वयं ही धरती से निकली थी। इसे शम्भु के नाम से भी जाना जाता है। महाराष्ट्र का सबसे प्रसिद्ध मीठा व्यंजन मोदक है जो नारियल और गुड़ को मिलाकर बनाया जाता है। मोदक भगवान गणेश का भी प्रिय व्यंजन है।
रामकुंड]
संपादित करेंरामकुंड गोदावरी नदी पर स्थित है, जो असंख्य तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां भक्त स्नान के लिए आते हैं। अस्थि विसर्जन के लिये यह कुंड एक पवित्र स्थान माना जाता है। यह माना जाता है कि जब भगवान श्री राम नासिक आए थे तो उन्होंने यही स्नान किया था। यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।
कालाराम मंदिर
संपादित करेंनाशिक में पंचवटी स्थित कालाराम मंदिर वहां के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण गोपिकाबाई पेशवा ने १७९४ में करवाया था। हेमाडपंती शैली में बने इस मंदिर की वास्तुकला बहुत ही खूबसूरत है। इस मंदिर की वास्तुकला त्र्यंबकेश्वर मंदिर के ही सामान है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह मंदिर काले पत्थरों से बनाया गया है।
शिरडी
संपादित करेंशिरडी एक छोटा सा गांव है जो कोपरगाव तालुका (जिल्हा अहमदनगर) में स्थित है। शिरडी भारत के प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक है। इस मंदिर के पुजारी महालसापति इन्हें साईं बाबा कहकर बुलाते थे। इसके अतिरिक्त यह मंदिर अपने अदभूत चमत्कारों के लिए भी काफी प्रसिद्ध था।
सोमेश्वर मंदिर
संपादित करेंसोमेश्वर मंदिर नाशिक में स्थित सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में महादेव सोमेश्वर की प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर गंगापुर रोड़ पर स्थित है। नाशिक शहर से इस मंदिर की दूरी लगभग 6 कि.मी है।
विभिन्न त्योहार
संपादित करेंनाशिक में त्योहारों को पूरे उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। अगस्त के महीने में आने वाली श्रवण पूर्णिमा और महापर्व श्रवण अमावस्या तथा सितम्बर के महीने आने वाली भद्रापद अमावस्या सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इसके अलावा गणेश चतुर्थी, दशहरा, दीवाली, होली और अन्य सभी त्योहारों को भी उतने ही खुशी और उल्लास के साथ मनाया जाता हैं।
नाशिक में स्थित कीर्ति कला मंदिर में कृष्णा जयंती महोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस मंदिर में हर वर्ष प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा बेहतरीन प्रदर्शन किया जाता है।
खाना
संपादित करेंपरम्परागत खाने के शौकीन लोगों के लिए नाशिक में बहुत ही कम रेस्तरां है। सबसे बेहतर खाने के लिए आप ताज रेजिडेंसी से स्थित रेस्तरां में जा सकते हैं। इसके अलावा यहां चौबीस घंटे कॉफी शॉप की सुविधा भी है। होटल नटराज में स्थित आमंत्रण रेस्तरां में आप शुद्ध शाकाहारी राजस्थानी थाली का भी स्वाद ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप यहां चाइनीज, कोंटिनेंटल, मुगलई, तंदूरी, दक्षिणी और फास्ट फूड का भी मजा ले सकते हैं।
आवागमन
संपादित करेंवायु मार्ग- निकटवर्ती अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा - मुम्बई, नाशिक शहर से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर है |
निकटवर्ती घरेलू हवाई अड्डा - ओझर में है | यह त्रयम्बकेश्वर मंदिर से 55.6 kms की दूरी पर है |
निकटवर्ती रेलवे स्थानक - नाशिक रोड़, नाशिक शहर से लगभग 9 कि॰मी॰ की दूरी पर।
निकटवर्ती बस स्थानक- नाशिक शहर में सिटी बस स्टेंड।
- बसमार्ग-
सरकारी बस स्टैंड (यह आसिद बस स्टैंड के नाम से भी जाना जाता है) दादर रेलवे स्टेशन के समीप स्थित है। इसके अलावा प्राइवेट एसी/ बिना एसी की बसें भी उपलब्ध है। इसके लिए आपको पहले से ही स्थानीय पर्यटक कार्यालय (जो दादर रेलवे स्टेशन के समीप स्थित है) में बुकिंग करानी होगी।
- टैक्सी-
हवाई अड्डे से आपको प्री-पेड टैक्सी आसानी से मिल जाएगी। आपको नाशिक घूमने के लिए रेलवे स्टेशन के सामने से टैक्सी आसानी से मिल जाएगी जो के पूरा नासिक घुमाने के लिए 2500 रुपए लेगी और यही टैक्सी आपको इन्हीं पैसों में शिर्डी शाम को छोड़ देगी यदि आपको नासिक ही घूमना है तब आपको 1400 रुपए तक टैक्सी मिल जाएगी
- रेलमार्ग-
नाशिक पहुंचने के लिए आप मुंबई से नागपूर, कलकत्ता, बिहार तथा उत्तर प्रदेश की ओर जानेवाली किसी भी ट्रेन के द्वारा सीधा नाशिक रोड स्टेशन उतर सकते है। दिल्ली/नई दिल्ली/हज.निज़ामुद्दीन से यात्रा करने वालों के लिए हजरत निजाम़द्दीन से 3 रेल रोजाना एवं 1 द्वि साप्ताहिक रेल सुविधा उपलब्ध है। रोज चलने वाली रेलों में12172हावड़ा-लोकमान्य तिलक टर्मिनस द्विसाप्ताहिक रेल है जो हजरत निजामुद्दीन से बुधवार शनिवार को 00-10 पर चलकर शाम को 7-43 (लगभग 19 घंटे में) पर नासिक रोड पहुँचती है। यह हरिद्वार से रुड़की मेरठ होते हुए निजामुद्दीन चल कर आगरा केंट,झाँँसी,भोपाल, भुसावल होते हुए नासिक पहुँचती है। इसी प्रकार रोज चलने वाली 12618 मंगला एक्स प्रात: नौ बजे चल कर मथुरा आगरा केंट होते हुए भोपाल भुुसावल होते हुए सुबह 5 बजे नासिक (20 घंटे) पहुँचती है। इसी मार्ग पर12138पंजाब मेल नई दिल्ली से सुबह 5-15 बजे चल कर नासिक दूसरेे दिन 02-48 पर पहुँचती है। एक अन्य रेल11058अमृतसर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस मुंबई एक्सप्रेस अमृतसर से चल कर रात्रि 9-15 हजरत निजामुद्दीन से चल कर उपरोक्त मार्ग से ही नासिक दूसरी रात 22-58लगभग(26 घंटे) नासिक होते हुए छ.शि.टर्मि; मुंबई पहुँचती है। राजस्थान जाने वालों के लिए सुबह कोटा से रोजाना चलने वाली कोटा-निजामुद्दीन जनशताब्दी रेल से सुबह 5-55 सेे चल कर मथुरा 10-15 पर उतर कर 11-08 पर मंगला एक्सप्रेस पकड़ी जा सकती है। इसी प्रकार लौटने के लिए मंगला एक्सप्रेस सबसे सुविधाजनक गाड़ी है, इसलिए नासिक रोड से शाम 5 बजे के लगभग इस गाड़ी से यात्रा कर मथुरा सुबह 11 बजे के लगभग उतर कर 15-30 पर निजामुद्दीन-कोटा जनशताब्दी रेल से यात्रा की जा सकती है। मंगला एक्सप्रेस रेल के विलम्ब से चलने पर भी मथुरा से पश्चिम मध्य रेल्वे की कई रेल हैं जो भरतपुर-सवाईमाधोपुर-कोटा की ओर जाकर नागदा-रतलाम होते हुए बड़ौदा-मुंबई की ओर यात्रा कर सकते है। जयपुर के लिए सवाई माधोपुर, उज्जेन इन्दौर के लिए नागदा या रतलाम उतरा जा सकता है। जनशताब्दी रेल मथुरा से न मिलने पर उसके बाद, फिरोजपुर जनता एक्सप्रेस, पश्चिम एक्सप्रेस, निजामुद्दीन-उदयपुर मेवाड़, गुजरात सम्पर्क क्रांति, युवा एक्सप्रेस आदि गाडि़या मिल सकती हैं। रेलवे स्टेशन से त्रंबकेश्वर की दूरी 37.6 kms है |
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Cities having population 1 lakh and above" (PDF). Census of India 2011. The Registrar General & Census Commissioner, India. मूल (PDF) से 23 July 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 December 2012.
- ↑ "Major Agglomerations" (PDF). censusindia.gov.in. मूल (PDF) से 17 October 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 January 2014.
- ↑ "RBS Visitors Guide India: Maharashtra Travel Guide," Ashutosh Goyal, Data and Expo India Pvt. Ltd., 2015, ISBN 9789380844831
- ↑ "Mystical, Magical Maharashtra," Milind Gunaji, Popular Prakashan, 2010, ISBN 9788179914458
- ↑ Hunter, William Wilson, Sir, et al. (1908). Imperial Gazetteer of India, Volume 18, pp 398–409. 1908-1931; Clarendon Press, Oxford