आर्ट ऑफ लिविंग फाउण्डेशन

भारतीय गैर-सरकारी संगठन

आर्ट ऑफ लिविंग फाउण्डेशन

द आर्ट ऑफ लिविंग फाउण्डेशन
सिद्धांत "संसार एक परिवार"[1]
संस्थापक श्री श्री रविशंकर
जालस्थल http://www.artofliving.org

(Art of Living Foundation), एक स्वयंसेवी-आधारित, मानवीय और शैक्षिक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) है।[2] इसकी स्थापना 1981 में श्री श्री रवि शंकर ने की थी।[3] आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के 156 से अधिक देशों में केंद्र हैं।[4] आर्ट ऑफ लिविंग सांस लेने की तकनीक, ध्यान और योग पर आधारित कई तनाव-उन्मूलन और आत्म-विकास कार्यक्रम प्रदान करता है।

मानवता के लिए सेवा

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द आर्ट ऑफ लिविंग एक बहु पक्षीय, बिना किसी लाभ वाली शैक्षिक और मानवतावादी गैर सरकारी संस्था है जो 156 से ज़्यादा देशों में मौजूद है। श्री श्री रविशंकर द्वारा 1981 में संस्थापित है। संस्थापक की हिंसा रहित, तनाव रहित वसुदेव- कुटुम्बकम की दृष्टि से प्रेरित होकर संस्था मानवता के उद्धार और जीवन के स्तर में सुधार की बढ़ोत्तरी की कई पहल करने में लगी हुई है। संस्था का उद्देश्य है कि व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्र और सम्पूर्ण विश्व के स्तर पर शांति स्थापित करना। उसके कार्य क्षेत्र में द्वंद समाधान, आपदा और आघात में सहायता, गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण, कैदियों का पुन:स्थापन, सबके लिए शिक्षा, महिला भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान और बाल श्रमिक और पर्यावरण की निरंतर स्थिरता सम्मिलित है। श्री श्री का शांति का मार्गदर्शक सिध्दान्त कि जब तक हमारा तनाव रहित मन और हिंसा रहित समाज नहीं होगा तो हम विश्व शांति को प्राप्त नहीं कर सकते। द आर्ट ऑफ लिविंग कई तनाव निष्कासन और स्वयं के विकास के लिए कार्यक्रम प्रस्तुत करता है जो अधिकांश श्वास तकनीक, ध्यान और योग पर आधारित है। इन कार्यक्रमों ने हजारों लोगों को विश्वभर में निराशा, हिंसा और आत्महत्या करने प्रवृत्ति से निकलने में मदद की है। प्रार्थना और जिम्मेदारी को जोड़ते हुए आर्ट ऑफ लिविंग ने दस लाख से भी अधिक लोगों को विश्व भर में प्रेरित किया है कि वे अपना जीवन मानवता की सेवा और विश्व स्तर पर ध्यान के प्रसार और सेवा के लिए समर्पित करें। अपने सहभागी संस्थाओं के सहयोग द्वारा द आर्ट ऑफ लिविंग इन क्षेत्रों में कई सामाजिक योजनाओं को सूत्रबद्ध करते हुए क्रियान्वित करती है।

तनाव निष्कासन कार्यक्रम

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द आर्ट ऑफ लिविंग कई स्वयं के विकास के लिए तनाव निष्कासन कार्यक्रम का आयोजन करती है जो लोगों को जीवन की चुनौतियों का लालित्यपूर्ण रूप से सामना करने की शक्ति प्रदान करता है। यह कार्यशाला में भाग लेने वालों को ऐसी निपुणता और तकनीकों से सुसज्जित किया जाता है जिससे उनके जीवन के स्तर में बढ़ावा होता है। इन अनूठे कार्यक्रमों का केन्द्र है सुदर्शन क्रिया, जो एक प्रभावशाली स्फूर्तिकारक श्वसन- तकनीक है जो श्री श्री ने विश्व को उपहार में दी है। यह तकनीक भौतिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक तंदुरूस्ती के लिए प्रामाणित है। द आर्ट ऑफ लिविंग विशिष्ट कार्यक्रमों का प्रबंध हर वर्ग और उम्र के समूह के लिए करती है। विश्व भर में दस करोड़ से भी अधिक लोगों ने द आर्ट ऑफ लिविंग की कार्यशालाओं में भाग लिया है। बदलाव की कहानियाँ मन को ठिठकाने वाली है। भौतिक और मानसिक तंदुरूस्ती से सामाजिक संबंध में सुधार और सकारात्मक बदलाव स्वाभाविक गुणों में यह समझाता है कि आर्ट ऑफ लिविंग की कार्यशाला विश्वभर में इतने स्तर पर क्यों सिखाई जाती है। विश्व भर स्वयंसेवियों के नेटवर्क से द आर्ट ऑंफ लिविंग विश्व भर में कही भी आपदा ग्रस्त इलाके में तुरंत पहुँच सकती है और मौलिक और मानसिक सांत्वना दे सकती है। और सामग्री की सहायता कर सकती हैं इस नेटवर्क के सहारे, द आर्ट ऑफ लिविंग ने विश्व भर में आपदा पुर्नस्थापन कार्यक्रमों की महत्वपूर्ण कड़ी की स्थापना की है। विस्तृत सहायता और पुर्नस्थापन कार्य सुनामी ग्रस्त क्षेत्र से युद्ध से पीड़ित इराक के घाव ग्रस्त केम्प और 9/11 के न्यूयार्क के हमले से गुजरात के भूकंप ने आर्ट ऑफ लिविंग के स्वयंसेवी अपनी स्वयं की सुरक्षा किये बिना मानसिक, भावनात्मक और सामग्री इत्यादि जैसे जरूरत की पूर्ति के लिए तत्पर हैं, चाहे वे मानव द्वारा बनाई गई आपदा हैं या प्राकृतिक आपदा है। अपने सहभागी संस्था अन्तर्राष्ट्रीय मानवीय मूल्य का समूह और व्यक्ति विकास केन्द्र भारत, द आर्ट ऑफ लिविंग ने स्वयं भी हिंसा ग्रहित समाज और कोई प्राकृतिक आपदा की पीड़ा को दूर करने की जिम्मेदारी ली है।

द्वंद्व समाधान

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नक्सली प्रभावित क्षेत्रों में शांति की पुर्नस्थापना करने से बालकन में घृणा की अग्नि को शांत करने के अलावा द आर्ट ऑफ लिविंग का मुख्य सक्रियता है। बहुत पुराने झगड़ों को सुलझाना चाहे स्थानीय या अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के हों। संस्थान के बहुपक्षीय दृष्टिकोण का आक्रामकों और पीड़ितों पर बराबर प्रभावशाली हैं। परमपूज्य श्री श्री रविशंकर का मार्गदर्शक दृष्टिकोणहै कि जब तक हमारा तनाव रहित मन और हिंसा रहित समाज नहीं होगा हम विश्व शांति को प्राप्त नहीं कर सकते। द आर्ट ऑफ लिविंग व्यक्ति में सामंजस्य बनाने के लिए और समाज में सामंजस्य बनाने के कार्यरत हैं। एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण बनाते हुए जिसका आधार मानवीय मूल्य है, द आर्ट ऑफ लिविंग करोड़ से ज्यादा लोगों को जीवन का अर्थ देखना की प्रेरणा दी है। उसके तनाव निष्कासन कार्यशालाओं के द्वारा हिंसात्मक आक्रमकों को एक उचित, शांत और प्रेमपूर्व व्यक्ति में बदला है। द आर्ट ऑफ लिविंग के हाल के हस्तक्षेप ने यह बताया कि अत्यन्त गंभीर द्वंद्व का समाधान अहिंसा से किया जा सकता है। द्वंद्वकारी दलों पर भी उसने कार्य करते हुए बातचीत के लिए टेबल पर आने के लिए और अहिंसा से उस मतभेद का समाधान ढूंढ़ने के लिए प्रभावित किया है।

समुदाय का विकास

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परमपूज्य श्री श्री रविशंकर जी की दृष्टि जो एक सम्पूर्ण निरंतर और स्थिर सामाजिक विकास की है। जो कि इनके मार्गदर्शन में द आर्ट ऑफ लिविंग विश्व भर में दूर तक पहुंच कर समुदाय सशक्तिकरण कार्यक्रमों को चलाती है। इन कार्यक्रमों का केन्द्र बिन्दु लोगों में स्वयं के लिए सम्मान पैदा करना जो अविकसित भाग से है और उन्हें इस निरंतर और स्थिर विकास की प्रक्रिया में भागीदार बनाना। द आर्ट ऑफ लिविंग का समुदाय सशक्तिकरण कार्यक्रम का केन्द्र बिन्दु धरातल की सच्चाई जैसे वंचित लोगों का सशक्तिकरण, ग्रामीण विकास, सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा, महिला सशक्तिकरण और स्वदेशी समुदाय की रक्षा करना। सामाजिक हस्तक्षेप की पहल, 54 कार्यक्रम (स्वास्थ्य, स्वच्छता, आवास, मानवीय मूल्य और विविधता में सामंजस्यता) का कवच विश्व में विशेष परिवर्तन व्यक्तियों, परिवारों और समुदाय में उठा के ला रहा है। भारत में 35,712 गांव कार्यक्रम से लाभान्वित हुए हैं। इसका क्रियान्वयन गांवों में और दक्षिण अफ्रीका, केमेरून, ब्राजील, अमरीका और केन्या के शहरी झोपड़-पट्टी क्षेत्रों में भी। श्वास और भावनाओं का संबंध के ज्ञान का प्रयोग करते हुए, द आर्ट ऑफ लिविंग ने विश्व भर के कारागार में 20,000 से अधिक रहवासियों में बदलाव लाया है। 1990 में आरम्भ हुए कैदियों का कार्यक्रम का मुख्य आधार यह है कि कोई भी व्यक्ति बुरा नहीं होता है और वह अपराध की ओर रूख सिर्फ तनाव की वजह से करता है। इस तरह की सोच से यह समझ में आता है कि प्रत्येक अपराधी के भीतर एक पीड़ित व्यक्ति है जो मदद के लिये रो रहा है और उस पीड़ित को स्वस्थ करने के प्रयास किये जा रहे हैं। इस तरह आर्ट ऑफ लिविंग का कैदियों का कार्यक्रम वास्तविक, परिणाम मूलक हल है और समाज में हिंसा के चक्र और विश्व के बढ़ते हुए के सार से निपटता है। इस प्रशिक्षण का परिणाम का एक कठोर अपराधी का संवेदनशील, पक्षतावी और बदला हुआ व्यक्ति है। 1990 से इस कार्यक्रम ने 20,000 से भी अधिक रहवासियों का स्पर्श किया है जिसमें कई देश जैसे भारत, अमरीका, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, केमरून, मालावी, नमीबिया, केन्या, दुबई, क्रोशिया, कोसोवो, सिंगापुर, यूके, डेनमार्क, रशिया, स्काटलैंड, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया है। भारत में यह कार्यक्रम 100 कारागार में आयोजित है जो दंश के सभी राज्यों में फैले हैं। कई राज्य सरकारें आर्ट ऑफ लिविंग से कैदियों में बदलाव कार्यक्रम की मदद के लिए विनती करते हैं। एशिया के सबसे बड़े कारागार तिहाड़ जेल में 30,000 लोगों से अधिक जिसमें कठोर अपराधी भी सम्मिलित हैं लाभान्वित हो चुके हैं। आर्ट ऑफ लिविंग ने इस कार्यक्रम का प्रयोग करते हुए आतंकवादी और राजद्रोही तक पहुंच कर उनके कारागार में रहते हुए ही उनकी मनोस्थिति में बदलाव लाया है।

महिला सशक्तिकरण

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द आर्ट ऑफ लिविंग ने परिवारों, समुदायों और राष्ट्रों को कई सारी पहल के द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए उठाया है। इससे ग्रामीण महिला और कारागार और आपदा ग्रस्त क्षेत्र पर केन्द्र बिन्दु है। यह कार्यक्रम जिसमें रोजगार मूलक प्रशिक्षण और महिलाओं को जीवन में प्रवीणता, महिलाओं में आत्मविश्वास देना उनकी आर्थिक निर्भरता को कम करना और उनको समुदाय में नेतृत्व करने के लिए प्रेरित करना जिससे फलत: दूरदर्शी सामाजिक बदलाव का मार्ग प्रशस्त होगा। ग्रामीण महिलाओं को आय अर्जित करने वाली क्रिया -कलाप में प्रशिक्षण दिया जाता है जैसे कि सिलाई, बुनाई, अगरबत्ती और मोमबत्ती और जूट के बोरे बनाने का प्रशिक्षण श्री श्री ग्रामीण विकास कार्यक्रम में दिया जाता है। ग्रामीण और शहरी अविकसित महिलाओं को भी स्वास्थ्य और स्वच्छता में प्रशिक्षण दिया जाता है। अन्य केन्द्र बिन्दु का क्षेत्र है प्राकृतिक आपदा और अन्य आपदा पीड़ित महिलाओं का सशक्तिकरण और लाभ से वंचित वर्गों के लिए भी। द आर्ट ऑफ लिविंग का हस्तक्षेप न सिर्फ महिलाओं को सशक्त करते हुए उनमें नई प्रतिभा उभारता है परन्तु उनके सहज सद्गुण का उपयोग करते हुए उनके जीवन में बदलाव लाता है। विगत तीन दशक में आर्ट ऑफ लिविंग ने भारत में शिक्षा में एक क्रांतिकारी प्रभाव लाया है और अविकसित तक पहुंच कर एक आदर्श मोड़ पर लाया है और प्रणाली में मूल्यों का मिलाप करने का भावना दिया है। परम्पूज्य श्री श्री रविशंकर जी का सबके लिए मूल्यों की शिक्षा का दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, द आर्ट ऑफ लिविंग आज भारत में 86 स्कूल उन आदिवासी ग्रामीण क्षेत्र में चला रही है जहाँ बाल श्रमिक और गरीबी काफी बढ़ी हुई है। हर वर्ष 7500 बच्चे जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं को इस पहल से लाभ मिलता है। लेकिन इन स्कूलों में जाने वाले बच्चे आपको खेतों में सड़कों पर या कारखाने में मजदूरी करते हुए दिखाई देंगे किन्तु स्कूलों में नहीं। बच्चों पर ध्यान के योजना के अन्तर्गत आर्ट ऑफ लिविंग न सिर्फ मुफ्त शिक्षा और मूल्यवादी शिक्षा अविकसित वर्गों के बच्चों को प्रदान कर दिया परन्तु सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बाधाओं पर भी सम्भाषण कर रही है जो इन बच्चों को स्कूल से दूर रखते हैं। द आर्ट ऑफ लिविंग ने शहरी क्षेत्रों में भी सार्वजनिक शालायें स्थापित करी है जिससे बच्चों और युवा व्यस्कों को पढ़ाई के लिए एक तनावमुक्त वातावरण मिल सके। यह संस्थायें प्राथमिक रूप से सम्पूर्ण और अनुभवयुक्त शिक्षा का वातावरण प्रदान करने के लिए केन्द्रित है। प्राथमिक शिक्षा का जीवन के कौशल जैसे विश्राम के तरीके, भावनात्मक व्यस्कता के मिलाप से द आर्ट ऑफ लिविंग के स्कूल एक सहायताकारी और तनावमुक्त वातावरण्ा बच्चों की पढ़ाई के लिए प्रदान करता है। मानवीय मूल्यों, स्वास्थ्य और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। प्रत्येक बच्चे में ध्यान और बांटने की मनोवृत्ति को सृजन करने पर जोर दिया जाता है।

पर्यावरण की निरंतर स्थिरता

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वैश्विक जलवायु का परिवर्तन का घातक खतरा भयबद्ध हो गया है, इसलिए द आर्ट ऑफ लिविंग ने कई सम्पूर्ण और बहु पक्षीय पहल को किया है जिससे पर्यावरण की स्थिति निरंतरता की सुनिश्चित हो सके। इस पहल का उद्देश्य है कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सक्रिय होना और ऐसे जीवनचर्या का अभ्यास जो उसे लालन पालन कर सके। सजगता और प्रभावी कार्यवाही के संयोजन से उसने कई जनआंदोलन की पहल की है जिसका उद्देश्य पर्यावरण की निरंतर स्थिरता है जो संयुक्त राष्ट्र के सहस्रादी विकास का लक्ष्य है। आर्ट ऑफ लिविंग लोगों को पर्यावरण के बारे में शिक्षा देने में तत्पर है कि वह कैसे बदल रहा है। उसके सभी कार्यक्रमों में पर्यावरण के प्रति सजगता को जगाने का स्वर है खासतौर पर युवा और बच्चों में। वह जन सजगता अभियान और सफाई अभियान का आयोजन सार्वजनिक स्थलों जैसे रोड़, उद्यान और स्कूलों में करती है। इस वर्ष उसने हरी पृथ्वी का विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें पेड़ों को पौधारोपण के लिए प्रोत्साहित किया। यह पहल संयुक्त राष्ट्र सहस्रादी अभियान, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के सहयोग से हुआ जिसका उद्देश्य कम से कम 10 करोड़ पौधारोपण जुलाई 16.7.2008 से जुलाई 2009 विश्व के विभिन्न हिस्सों में होना है। उसके अभियान के द्वारा रासायनिक रहित कृषि को बढ़ाना और लोकप्रिय करना, द आर्ट ऑफ लिविंग पर्यावरण की निरंतर स्थिरता के लिए प्रकांड/महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, द आर्ट ऑफ लिविंग विश्व को यह बता रहा है कि तकनीकी उन्नति से पर्यावरण के के ही पदार्थों से हानि अनिवार्य नहीं है। उसके सारे पहल पर्यावरण की सुरक्षा को जगह देते हुए निरंतर और स्थिर विकास को साथ में रखा हुआ है।

एक प्रसन्न आनंदमय और स्वस्थ विश्व

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संस्थापक की तत्वज्ञान की हमारी पहली और सर्वोत्तम प्रतिबद्धता है विश्व की सेवा करने से प्रेरित होकर, द आर्ट ऑफ लिविंग अभियान के विभिन्न उद्देश्यों में मानवता को उठाना और जीवन के स्तर में बढ़ोत्तरी करना। इन कार्यक्रमों का केन्द्र बिन्दु है कि विश्व भर में समुदायों को सशक्त बनाते हुए उनकी स्वयं के सम्मान को बढ़ाना और उन्हें निरंतर और स्थिर सामाजिक विकास की प्रक्रिया में भागीदार बनाना। अंतत: इस पहल का उद्देश्य है कि एक आनंदमय और स्वस्थ समाज का निर्माण करना जहाँ पर हिंसा और अज्ञान की कोई जगह नहीं है।

  1. FAQ
  2. "Art of Living Foundation - GuideStar Profile". www.guidestar.org. अभिगमन तिथि 2021-10-28.
  3. "Sri Sri Ravi Shankar". The Indian Express (अंग्रेज़ी में). 2018-11-22. अभिगमन तिथि 2021-10-28.
  4. DelhiMay 13, IndiaToday in New; May 13, 2015UPDATED:; Ist, 2015 12:51. "Sri Sri Ravi Shankar's 59th Birthday: 10 Interesting facts you shouldn't miss about him". India Today (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-10-28.सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link)

बाहरी कड़ियाँ

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