आ गले लग जा (1973 फ़िल्म)

1973 की मनमोहन देसाई की फ़िल्म

आ गले लग जा 1973 में बनी हिन्दी भाषा की प्रेमकहानी फ़िल्म है जिसका निर्देशन मनमोहन देसाई ने किया है।[1] इसमें शशि कपूर, शर्मिला टैगोर और शत्रुघ्न सिन्हा हैं। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट बनी थी। फिल्म अपने अद्भुत हिट गानों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें साहिर लुधियानवी के गीतों के साथ आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा संगीत था। इस फिल्म को तेलुगु और तमिल में पुनर्निर्मित किया गया था। 1985 की हिन्दी फिल्म प्यार झुकता नहीं इस फिल्म से प्रेरित थीं।

आ गले लग जा

आ गले लग जा का पोस्टर
निर्देशक मनमोहन देसाई
लेखक के॰ बी॰ पाठक (संवाद)
पटकथा प्रयाग राज
कहानी जीवनप्रभा देसाई
निर्माता ए॰ के॰ नाडियाडवाला
अभिनेता शशि कपूर,
शर्मिला टैगोर,
शत्रुघ्न सिन्हा,
ओम प्रकाश
संगीतकार आर॰ डी॰ बर्मन
प्रदर्शन तिथियाँ
16 नवंबर, 1973
लम्बाई
149 मिनट
देश भारत
भाषा हिन्दी

प्रीति (शर्मिला टैगोर) मुंबई में अपने विधुर पिता हीराचंद (ओम प्रकाश) के साथ रहने वाली युवा चिकित्सक है। शिमला में छुट्टियों पर, वह एक युवा व्यक्ति प्रेम (शशि कपूर), एक शौकिया स्केटर से मिलती है। वह शुरुआत में उसे चिढ़ाता है, लेकिन बाद में उसको पसंद करने लगता है। कुछ लुभाने के बाद, प्रीति भी उसकी भावनाओं को जताती है। पहाड़ियों की यात्रा के दौरान, प्रीति एक दुर्घटना में घायल होती है और अपना चेतना खो देती है। उसे हाइपोथर्मिया से बचाने के लिए, वह उसके साथ घनिष्ठ हो जाता है और वे संभोग करते हैं।

तुरंत बाद, प्रेम उसे बताता है कि वह केवल उसे बचाने के लिये करीब आया और उसे विवाह का प्रस्ताव देता है। वह खुशी से स्वीकार करती है और उसे अपने पिता से मिलने को कहती है। उसके पिता, हीराचंद नहीं चाहते हैं कि उनकी बेटी उससे शादी करे और इसलिये उसे छोड़ने के लिए वो प्रेम को पैसे देने की पेशकश करते हैं। प्रेम सहमत नहीं है और प्रीति के लिए उसके अस्पताल में एक पत्र छोड़ देता है जो उसे सब कुछ समझाएगा है और उसे उसके साथ आने के लिए कहता है। लेकिन हीराचंद पत्र के साथ छेड़खानी कर देता है और इसे फिर से लिखता है जैसे प्रेम उससे शादी करने के लिए पैसे मांग रहा था। प्रीति आश्चर्यचकित हो जाती है और उसे भूलने और बॉम्बे जाने का फैसला करती है।

वहाँ वह डा॰ अमर (शत्रुघ्न सिन्हा), उसके दीर्घकालिक मित्र और प्रशंसकों से सगाई करती है। वह उच्च अध्ययन के लिए जर्मनी चल देता है और फिर प्रीति को उसकी गर्भावस्था के बारे में पता चल जाता है। उसके पिता बच्चे को त्यागना चाहते हैं, लेकिन वह सहमत नहीं है। आखिरकार वे जन्म देने के लिए खंडाला जाने का फैसला करती है। वह वहाँ जाती है और इससे अनजान है कि प्रेम अपनी मां के साथ वहाँ रहता है। प्रीति वहाँ एक स्वस्थ लड़के को जन्म देती है। यह जानकर, प्रेम बच्चे को खुद के लिए लेने का अनुरोध करता है। हीराचंद सहमत होते हैं और उसे बच्चा दे देते हैं। प्रीति को बताया जाता है कि बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ था। वह शोक करती है और बॉम्बे वापस आती है।

प्रेम बॉम्बे अपने बेटे के साथ आता है और आइस स्केटिंग के शिक्षक के रूप में करियर शुरू करता है। उसका बेटा राहुल पोलियो के कारण चल नहीं सकता है। सालों बाद, प्रेम फिर से एक समारोह में प्रीति से मिलता है। वह सोचती है कि प्रेम विवाहित हो गया था और वह उसका बेटा है। उस समारोह में अमर ने घोषणा की कि वह तब तक शादी नहीं करेगा जब तक वह राहुल को नहीं चला देता। वह राहुल का इलाज शुरू करता है और इस बीच प्रीति का राहुल से जुड़ाव हो जाता है बिना यह जाने कि वह उसका बेटा है। वह प्रेम से बात करने की कोशिश करती है, जिसको तब सच पता चलता है कि हीराचंद ने उसका पत्र बदल दिया था। लेकिन वह अमर के लिए चुप रहता है।

अमर प्रीति और प्रेम के बारे में सच्चाई जान जाता है और भावनात्मक रूप से परेशान हो जाता है। हालांकि वह राहुल को चलाने में सफल रहा। गुंडों से टिककी (अमर की बहन) को बचाने के दौरान प्रेम गंभीर रूप से घायल हो जाता है। वह सर्जरी के लिए जाने से पहले राहुल को अपना वॉलेट देता है और कहता है कि उसकी मां की तस्वीर उसमें है। प्रीति इसे देखती है और अपने संतान के बारे में अपने पिता से सवाल करती है। वह स्वीकार करते हैं कि उन्होंने उससे सच छुपाया और राहुल उसका बेटा है। अमर प्रेम को बचाता है और हर किसी की सुलह हो जाती है। प्रीति और प्रेम शादी करते हैं और अपने बेटे के साथ खुशी से रहते हैं।

मुख्य कलाकार

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सभी गीत साहिर लुधियानवी द्वारा लिखित; सारा संगीत आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."तेरा मुझसे है नाता कोई" (डुएट संस्करण)सुषमा श्रेष्ठ, किशोर कुमार4:08
2."ऐ मेरे बेटे सुन"किशोर कुमार, सुषमा श्रेष्ठ4:23
3."ना कोई दिल में समायाँ"किशोर कुमार3:33
4."वादा करो नहीं छोड़ोगी"किशोर कुमार, लता मंगेशकर5:09
5."तेरा मुझसे है नाता कोई" (पुरुष संस्करण)किशोर कुमार5:23
6."ऐ मेरे बेटे सुन" (दुखी संस्करण)किशोर कुमार2:07
  1. "सेट पर दूसरों का खाना खा जाते थे शशि कपूर, इस को-एक्टर ने किया ख़ुलासा". दैनिक जागरण. 6 दिसंबर 2017. मूल से 27 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 नवम्बर 2018.

बाहरी कड़ियाँ

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