ओरोविल

दक्षिण भारत में प्रायोगिक टाउनशिप।

ओरोविल (Auroville) भारत में पुडुचेरी के समीप तमिल नाडु राज्य के विलुप्पुरम ज़िले में स्थित एक प्रायोगिक नगरी है।[1][2][3] इसकी स्थापना 1968 में मीरा रिचर्ड (भारत में निश्चित तौर पर बस जाने के बाद उन्हें "मां" कहा जाने लगा) ने की तथा इसकी रूपरेखा वास्तुकार रोजर ऐंगर ने तैयार की थी। ओरोविल का तात्पर्य एक ऐसी वैश्विक नगरी से है, जहां सभी देशों के स्त्री-पुरुष सभी जातियों, राजनीति तथा सभी राष्ट्रीयता से ऊपर उठकर शांति एवं प्रगतिशील सद्भावना की छांव में रह सकें। ओरोविल का उद्देश्य मानवीय एकता की अनुभूति करना है।[4][5]

ओरोविल
Auroville
ஆரோவில்
नगर सभागृह
नगर सभागृह
ओरोविल is located in तमिलनाडु
ओरोविल
ओरोविल
तमिल नाडु में स्थिति
निर्देशांक: 12°00′25″N 79°48′40″E / 12.007°N 79.811°E / 12.007; 79.811निर्देशांक: 12°00′25″N 79°48′40″E / 12.007°N 79.811°E / 12.007; 79.811
देश भारत
प्रान्ततमिल नाडु
ज़िलाविलुप्पुरम ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल2,814
भाषाएँ
 • प्रचलिततमिल, अंग्रेज़ी, फ्रान्सीसी
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)
पिनकोड605101

ओरोविल की स्थापना श्री ऑरोबिन्दो सोसाइटी की एक परियोजना के रूप में बुधवार 28 फ़रवरी 1968 को "मां" मीरा अल्फासा द्वारा की गयी। वे श्री अरविन्द घोष की बराबर की आध्यात्मिक सहयोगी थी, जिनका मानना था कि "मनुष्य एक परिवर्ती जीव है"। मां की अपेक्षा थी कि यह प्रायोगिक "वैश्विक नगरी सद्भावनापूर्ण और एक बेहतर दुनिया की आकांक्षा वाले लोगों को एकजुट करते हुए शानदार भविष्य की ओर मानवता के विकास" में महत्वपूर्ण योगदान करेगी। मां का यह भी मानना था कि ऐसी एक वैश्विक नगरी भारतीय पुनर्जागरण में निर्णायक योगदान देगी (सन्दर्भ मदर्स एजेंडा, Vol.9, दिनांक-3.02.68)। भारत सरकार ने इस नगरी का समर्थन किया और 1966 में युनेस्को ने भी सदस्य देशों को ओरोविल के विकास में योगदान देने का आह्वान करते हुए इसका समर्थन किया। पिछले 40 वर्षों की अवधि में युनेस्को ने ओरोविल को और चार बार समर्थन दिया।

28 फ़रवरी 1968 को आयोजित उद्घाटन समारोह में, जिसमें 124 राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, मां ने अपने एकीकृत जीवन-दर्शन को स्थापित करते हुए ओरोविल को इसका चार-सूत्रीय घोषणापत्र दिया.

  1. ओरोविल किसी व्यक्ति विशेष का नहीं है। ओरोविल समग्र रूप से पूरी मानवता का है। लेकिन ओरोविल में रहने के लिए व्यक्ति को दिव्य चेतना की सेवा के लिए तत्पर होना चाहिए.
  2. ओरोविल सतत शिक्षा, निरंतर प्रगति और सनातन यौवन का स्थान होगा.
  3. ओरोविल भूत और भविष्य के बीच का पुल बनने का आकांक्षी है। वाह्य और भीतरी सभी प्रकार के आविष्कारों का लाभ उठाते हुए ओरोविल भविष्य की अनुभूतियों की तरफ निर्भीकता से आगे बढ़ेगा.
  4. ओरोविल एक वास्तविक मानवीय एकता के जीवरूप शरीर के लिए भौतिक और अध्यात्मिक अनुसंधान का स्थान होगा.

मां ने बारम्बार ओरोविल के भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन आ जाने के खतरे के बारे में आगाह किया, जो अंततः ओरोविल के निवासियों और श्री ओरोबिन्दो सोसाइटी के बीच लम्बे समय तक चले संघर्ष के उपरान्त कुछ वर्षों बाद उनके देहावसान के उपरान्त सच हुआ।

 
ओरोविल का सौर बॉल एक गतिशील रिसीवर में भोजन पकाने के लिए भाप पैदा करने हेतु सूर्य किरण पर एकाग्र रहता है।

मातृमंदिर

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शहर के केंद्र में एक सुनहरी धातु के क्षेत्र में मातृमंदिर

नगर के बीचोंबीच "मातृमंदिर" अवस्थित है, जिसे "एक उत्कृष्ट एवं मौलिक स्थापत्य उपलब्धि" के रूप में सराहना प्राप्त है। इसकी कल्पना अल्फासा ने "पूर्णता के लिए मानव की प्रेरणा के प्रति दैवी उत्तर के प्रतीक" के रूप में की थी। मातृमंदिर के भीतर क्षेत्र की प्रशांति सुनिश्चित करते हुए मौन रखा जाता है और मातृमंदिर के आसपास का पूरा क्षेत्र "प्रशांत क्षेत्र" कहलाता है। इस प्रशांत क्षेत्र, जिसमें संरचना अवस्थित है, की तीन मुख्य विशेषताएं हैं : बारह बगीचों वाला स्वयं मातृमंदिर, बारह पंखुरियां और भविष्य की झीलें, रंगभूमि और बरगद का पेड़। मातृमंदिर के भीतर एक कुंडलित ढलान ऊपर की ओर एक कान्तिमान श्वेत संगमरमर से बने वातानुकूलित कक्ष "व्यक्ति की चेतना को ढूंढने का स्थान" की ओर जाता है। इसके केंद्र में सूर्य की एकमात्र किरण के साथ स्वर्णिम आभा वाला 70 सेंटीमीटर का एक स्वर्णिम क्रिस्टल बॉल है, जो संरचना के शीर्ष से भूमंडल की ओर निर्देशित होता है। अल्फासा के अनुसार, यह "भविष्य की अनुभूति के प्रतीक" का प्रतिनिधित्व करता है। जब सूर्य नहीं होता या डूब जाता है तो ग्लोब के ऊपर के सूर्य की रश्मि के स्थान पर एक सौर ऊर्जामान प्रकाश की किरण बिखेरी जाती है। मातृमंदिर का अपना एक सौर ऊर्जा संयंत्र है और यह साफ़-सुथरे बागानों से घिरा है। इस केंद्र के आभामंडल में शहर के चार "क्षेत्र" हैं : "आवासीय क्षेत्र", "औद्योगिक क्षेत्र", "सांस्कृतिक (एवं शैक्षणिक) क्षेत्र" तथा "अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र". शहर या नगरी क्षेत्र के आसपास एक हरित पट्टी है जो एक पर्यावरण अनुसंधान तथा संसाधन क्षेत्र है, जिसमें खेत एवं वन, एक वनस्पति उद्यान, बीज बैंक, औषधीय एवं जड़ी बूटी वाले पौधे, जलग्रहण बांध एवं कुछ समुदाय शामिल हैं।

सरकार, विचार व्यवस्था

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ओरोविल भारत के संविधान के एक अधिनियम के माध्यम से ओरोविल फाउन्डेशन द्वारा शासित है। अतः ओरोविल फाउंडेशन के सचिव किसी व्यक्ति विशेष की ओरोविल सदस्यता की पुष्टि या उसे खारिज करने के प्रभारी हैं।[6] मानव संसाधन विकास मंत्रालय शासी बोर्ड की नियुक्ति करता है, जो बदले में निधि एवं संपत्ति प्रबंधन, बजट-समन्वयन, 1'Avenir (नगर-योजना प्राधिकरण) आदि महत्वपूर्ण समितियों का गठन करता है। अतः पूरी तरह से भारत सरकार के नियंत्रणाधीन यह फाउंडेशन वर्त्तमान में नगर के लिए अपेक्षित पूरी ज़मीन के आधे हिस्से का मालिक है। शेष भूमि धन उपलब्ध होने पर ख़रीदी जा रही है।

राजनीति और धर्म का ओरोविल में कोई स्थान नहीं है। यहां के मकानों का मालिक उनमें रहने वाले नहीं बल्कि फाउंडेशन है।[7]

2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ॰ ए.पी.जे. अब्दुल क़लाम ने ओरोविल का दौरा किया तथा ऑरोविले के प्रति अपनी आतंरिक प्रशंसा तथा नैतिक समर्थन अभिव्यक्त किया। जनवरी 2008 में भारत की तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने भी ओरोविल का दौरा किया और ऑरोविले के दर्शन और कार्य के प्रति अपनी गहरी सराहना अभिव्यक्त की. ओरोविल के 40वें सालगिरह के अवसर पर अपने सन्देश में उनके आख़िरी शब्द थे - "मानव जाति के भविष्य के लिए इस कार्य को समर्थन देना भारत की नियति है".

ओरोविल के दृष्टिकोण को अभिव्यक्त करते केन्द्रीय दस्तावेज़ निम्नलिखित हैं :

समाज और जनसंख्या

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1999 से 2009 तक ओरोविल में जनसंख्या की वृद्धि

हालांकि मूल रूप से इसमें 50,000 लोगों को जगह देने की योजना थी, लेकिन आज की तारीख में यहां की वास्तविक जनसंख्या 2,007 है (1,553 वयस्क और 454 अवयस्क), जो 44 राष्ट्रीयता से हैं और इनमें से 836 भारतीय मूल के हैं।[8] इस समुदाय को एस्पिरेशन, आरती, ला फर्मे एवं इसाइमबलम आदि अग्रेज़ी, संस्कृत, फ्रांसीसी तथा तमिल नामों से पड़ोसों में विभाजित किया गया है।[9]

वास्तुशिल्प, प्रौद्योगिकी और शिक्षा

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ओरोविल वेबपेज के अनुसार "एकीकृत विकास के साथ-साथ अनुसंधान और प्रयोगधर्मिता के उन्नयन के उद्देश्य से एक स्वच्छ स्लेट पर भविष्य के लिए एक अभिनव शहर बनाने का सपना 1968 में इसके स्थापना काल से ही दुनिया भर के वास्तुकारों तथा वास्तुकला के विद्यार्थियों का ध्यानाकर्षण करता रहा है। मानव समाज की परम्पराओं से मुक्त होने तथा किसी पूर्व-परिभाषित नियम-कानून में बंधे न होने के कारण ओरोविल के विकास के क्रम में कुछ अभिनव करने की तृष्णा के प्राकृतिक स्वभाव के रूप में बहुसंख्यक अभिव्यक्तियों के प्रदर्शन को मौका मिला है। ओरोविल के एक फ़्रांसिसी वास्तुकार तथा "ओरोविल अर्थ इंस्टिट्यूट" के निदेशक सतप्रेम मैनी "यूनेस्को (UNESCO) चेयर अर्थ आर्किटेक्ट, रचनात्मक संस्कृति एवं सतत विकास" के लिए दक्षिण एशिया एवं भारत के प्रतिनिधि हैं। सतप्रेम एवं अन्य वास्तुकारों ने ओरोविल के भीतर और उसके बाहर अपने कार्यों के लिए बहुतेरे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिताब जीते हैं। कुछ सार्वजनिक पेय फव्वारे "गतिशील" जल दर्शाते हैं, जिसे जल को बाक़ और मोज़ार्ट सुनते हुए "अधिक स्वास्थ्यकर" बनाया गया है।[7] श्री औरोबिन्दो इंटरनैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशनल रिसर्च (SAIIER) की छत्रछाया में ओरोविल अपने भीतर तथा आसपास विभिन्न शैक्षणिक संस्थान चलाता है।

अर्थव्यवस्था

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काग़ज़ के नोटों और सिक्कों के बजाय निवासियों को अपने केन्द्रीय खाते से सम्बन्ध स्थापित करने के लिए एक खाता संख्या दिया जाता है। बहरहाल आगंतुकों को एक अस्थायी खाता खोलने का अनुरोध किया जाता है। वर्तमान में ओरोविल आने वाले सभी नवागंतुकों को निःशुल्क आवास मुहैया करा पाने की स्थिति में नहीं है। नतीजतन, नवागंतुकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे ओरोविल में अपना घर बनाने में आर्थिक सहयोग दें. मकान साधारण एक कमरे वाला अपार्टमेन्ट हो सकता है या, अगर आवश्यक हो तो इसका आकार बड़ा भी हो सकता है। अतः नवागंतुकों के लिए गृह-निर्माण का खर्च सबसे बड़ा खर्च होता है। हालांकि ओरोविल के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रमाणित कर चुके लम्बे समय से ऑरोविले में रहने वाले लोगों को निःशुल्क आवास मुहैया कराने के प्रयास जारी हैं।

ओरोविल के निवासियों से समुदाय में मासिक योगदान देने की अपेक्षा की जाती है। उन्हें यथासंभव तन-मन-धन से समुदाय की सेवा करने को कहा जाता है। ओरोविल के अतिथियों द्वारा प्रदत्त "अतिथि योगदान" या एक दैनिक शुल्क ओरोविल के बजट का एक अंश बनता है। वहां एक "रखरखाव" की व्यवस्था है, जिसके द्वारा ओरोविल के ज़रूरतमंद निवासी अपने जीवन की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए समुदाय से एक मासिक धनराशि प्राप्त कर सकते हैं। बहरहाल भारत सरकार से सेवानिवृत्त हो चुके लोगों के लिए कोई पेंशन नहीं दी जाती है। ओरोविल की अर्थव्यवस्था और इसका समग्र जीवन उभरती प्रकृति के हैं और इसके दर्शन के निकट पहुंचने के प्रयोग निरंतर जारी हैं।

"ओरोविल टुडे" के अनुसार, "काम के अवसर की कमी और 'रखरखाव' का निम्नस्तर, ये दो और बाधाएं हैं। ओरोविल का सिर्फ एक आर्थिक आधार है और नवागंतुक व्यावसायिक इकाइयों या सेवा में अक्सर कोई उचित काम नहीं ढूंढ पाते हैं। अगर वे कर सकते हैं तो 'रखरखाव' की राशि - ओरोविल की सेवा में जो पूरा समय काम करते हैं उन्हें 5,000 रुपये और व्यावसायिक इकाइयों में काम करने वालों को उससे कुछ ज़्यादा - सामान्य जीवन-यापन के लिए तो बिलकुल पर्याप्त है, लेकिन मकान बनाने के लिए या ऋण चुकाने के लिए नहीं.

तथापि भारत सरकार ओरोविल फाउंडेशन का मालिक है और इसका प्रबंधन करता है, पर यह ओरोविल के बजट के बहुत छोटे हिस्से को ही आर्थिक सहायता देता है, जो मुख्यतः ओरोविल की व्यावसायिक इकाइयां, जो अपने लाभ का 33% ऑरोविले की केन्द्रीय निधि को देते हैं और दान द्वारा गठित है। यहां अतिथि निवास, भवन निर्माण इकाइयां, सूचना प्रौद्योगिकी, लघु एवं मध्य स्तरीय व्यवसाय, लेखन सामग्रियों के लिए हस्त निर्मित कागज़ आदि जैसे उत्पादों का निर्माण तथा पुनःविक्रय और साथ ही यहां की प्रसिद्ध अगरबत्तियों का उत्पादन है, जिसे पौण्डिचेरी स्थित ओरोविल के अपने दुकान से खरीदा जा सकता है। ये पूरे भारत वर्ष में और विदेशों में भी उपलब्ध हैं। इनमें से प्रत्येक इकाई अपने लाभ का एक बड़ा हिस्सा नगर में योगदान करती है। 5000 लोगों से अधिक, जिनमें से ज़्यादातर आसपास के इलाकों के होते हैं, ओरोविल के विभिन्न अनुभागों या इकाइयों में नियुक्त हैं।

अन्यान्य गतिविधियों में वनीकरण, जैविक कृषि, बुनियादी शैक्षणिक शोध, स्वास्थ्य परिचर्या, ग्रामीण विकास, उपयुक्त प्रौद्योगिकी, नगर योजना, जल सारणी प्रबंधन, सांस्कृतिक गतिविधियां तथा सामुदायिक सेवायें शामिल हैं।

अवस्थिति

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ओरोविल पौण्डिचेरी से 12किमी दक्षिण की ओर परिसंपत्तियों के समूह का एक संयोजन है। यहां ईस्ट कोस्ट रोड (ECR) होकर आसानी से पहुंचा जा सकता है, जो चेन्नई और पौण्डिचेरी को जोड़ता है। ECR पर संकेतित साइनपोस्ट के सहारे पश्चिम की ओर आठ किलोमीटर जाने पर आगंतुक केंद्र तथा मातृमंदिर तक पहुंचा जा सकता है। पूर्व की ओर घूमने पर कुछ सौ मीटर की दूरी पर सीधे रीपोज़ नामक ओरोविले का निजी समुद्र तट आता है।

ओरोविल विलेज ऐक्शन ग्रुप

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ओरोविल विलेज ऐक्शन ग्रुप (AVAG) की स्थापना 1983 में ओरोविल के निवासियों, ग्रामीणों और समाज सेवकों के एक समूह द्वारा की गयी थी, जो ओरोविल एवं ग्रामों के बीच एक अंतरसामुदायिक सम्बन्ध स्थापित करना चाहते थे। AVAG को स्थानीय समुदाय को संगठित करने हेतु प्रोत्साहित करना था ताकि वे यह समझ सकें कि वे स्वयं ही अपने जीवन, अपने बच्चों की शिक्षा और स्वयं ग्राम को बेहतर बना सकते हैं। महिलाओं और युवाओं की भागीदारी के साथ इस ग्रामीण समूह ने विद्यालयों का पुनर्निर्माण कराया, छोटे बच्चों के लिए सांध्य कक्षाएं चलाईं, सड़कों की मरम्मत की, सड़कों के नल ठीक करवाए और ओरोविल के आसपास के लगभग 50 गावों में सामान्य तौर पर सामूहिक जीवन-यापन के स्तर को उन्नत बनाने में सहायता की. वर्त्तमान में महिला सशक्तिकरण और माइक्रोफाइनैंस प्राथमिक ध्यान के केंद्र में है। 2005 से यह परियोजना विदेश के ऑस्ट्रेलियाई सेवा के सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा समर्थित है।

संचार और मीडिया

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ओरोविल वेबसाईट विभिन्न परियोजनाओं, रुचियों, संगठनों एवं बाहरी पहुंच के लिए खुला और साथ ही प्रतिबंधित मंच उपलब्ध करता है, जो समुदाय के जीवन को बनाता है।[10] आवश्यक नहीं कि इन प्रकाशनों में अभिव्यक्त विचार समुदाय के अपने हों. पत्रकारों और फिल्म/वीडियो निर्माताओं से मिलने के लिए ओरोविल का एक छोटा सा 'आउटरीच मिडिया' दल है। उनका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी पत्रकारों और फिल्म निर्माताओं को आधिकारिक और अद्यतन सूचना तथा विश्वस्त सूत्रों से प्रतिनिधि दृश्यांश प्राप्त हों.

मई 2008 में BBC ने ओरोविल के बारे में 10-मिनट की एक समाचार संध्या फिल्म बनाई, जिसे टीवी पर[11] को प्रसारित किया गया। इसका एक छोटा संस्करण रेडियो4 के 'हमारे अपने संवाददाता की ओर से' में प्रसारित किया गया था। यह BBC के ऑनलाइन में भी दिखा.[12] यह रिपोर्ट इसके संस्थापकों के आदर्शवाद के विपरीत था, जिसमें कुछ लोगों द्वारा यह आरोप लगाया गया था कि यह समुदाय बाल यौन-शोषण करने वाले लोगों को बर्दाश्त करता है। ख़ास तौर पर उस विद्यालय में जिसे ओरोविल ने स्थानीय ग्रामीण बच्चों के लिए स्थापित किया था।

ओरोविल ने BBC से यह शिकायत की कि यह रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण तथा झूठी थी तथा इसे BBC के सम्पादकीय दिशानिर्देशों के अनुसार तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया था। BBC के सम्पादकीय शिकायत इकाई ने इनमें से किसी शिकायत की सुनवाई नहीं की. ओरोविल ने बाद में यौनशोषण जागरूकता पर एक शैक्षणिक कार्यक्रम शुरू किया।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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