कटी पतंग
कटी पतंग 1971 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन और निर्माण शक्ति सामंत ने किया। यह बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी। फिल्म में आशा पारेख एक विधवा होने का नाटक करती है और राजेश खन्ना द्वारा निभाए गया किरदार उनका आकर्षक पड़ोसी होता है।[1] यह फिल्म 1969 और 1971 के बीच राजेश खन्ना की लगातार 17 हिट फिल्मों में से एक है और चार फिल्मों में से दूसरी है जिसमें उनकी आशा के साथ जोड़ी बनाई गई थी।
कटी पतंग | |
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कटी पतंग का पोस्टर | |
निर्देशक | शक्ति सामंत |
लेखक | वृजेन्द्र सिंह (संवाद) |
पटकथा | गुलशन नन्दा |
निर्माता | शक्ति सामंत |
अभिनेता |
आशा पारेख, राजेश खन्ना, प्रेम चोपड़ा, बिन्दू, नासिर हुसैन |
छायाकार | वी॰ गोपी कृष्णा |
संपादक | गोविन्द दलवाड़ी |
संगीतकार | आर॰ डी॰ बर्मन |
वितरक | शक्ति फिल्म्स |
प्रदर्शन तिथि |
1971 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंमाधवी "मधु" (आशा पारेख) अपने मामा के साथ रहने वाली एक अनाथ है, जो किसी ऐसे व्यक्ति के साथ उसकी शादी की व्यवस्था करते हैं जिसे वह नहीं जानती। कैलाश (प्रेम चोपड़ा) के प्यार में अंधी होकर, वह शादी के दिन भाग जाती है। वह शबनम (बिन्दू) की बाहों में कैलाश को पाती है। दिल से पीड़ित, वह अपने मामा के पास लौट आती है, जिन्होंने अपमान से आत्महत्या कर ली। यह महसूस करते हुए कि उसके पास अब कोई नहीं है, माधवी शहर को छोड़ने का फैसला करती है। वह अपने बचपन की दोस्त पूनम से मिलती है, जो उसे एक दुर्घटना में अपने पति के असामयिक निधन के बारे में बताती है। वह अपने ससुराल वालों के साथ रहने के लिए अपने लड़के, मुन्ना के साथ जा रही है। वह उनसे पहले कभी नहीं मिली।
रास्ते में, पूनम और मधु की ट्रेन पटरी से उतर जाती है और दोनों सरकारी अस्पताल में पहुँच जाती हैं। पूनम अपने पैर गंवा चुकी होती है। वह जानती है कि उसका अंत निकट है, इसलिए वह मधु से वादा करवाती है कि वह पूनम की पहचान अपना लेगी, मुन्ना को पालेगी और पूनम के ससुराल में जीवन जारी रखेगी। मधु के पास एक मरती हुई माँ की इच्छा को मानने के सिवा कोई चारा नहीं होता है। रास्ते में उसे कमल (राजेश खन्ना), लूटने के प्रयास से बचाता है और अगले दिन आसमान साफ होने तक उसे आश्रय देता है। वह जल्द ही जान जाती है कि कमल वही आदमी है जिसके साथ उसकी शादी तय हुई थी।
मधु शर्म से कमल का घर छोड़कर पूनम के ससुराल पहुँच जाती है। उसके ससुर दीनानाथ (नासिर हुसैन) और सास (सुलोचना) उसे स्वीकार करते हैं और उसे वहीं रहने देते हैं। कमल घर पर आता-जाता रहता है क्योंकि वह दीनानाथ के सबसे अच्छे दोस्त का बेटा है। जल्द ही, उसे पता चलता है कि उसे पूनम से प्यार हो गया है।
कैलाश, दीनानाथ के घर आ जाता है। वह उनके पैसे के पीछे है और मधु की पहचान का खुलासा करने के बहुत करीब होता है। सफल होने के लिए, वह घर के सभी सदस्यों को प्रभावित करता है, लेकिन पूनम उससे नाराजगी जताती है। दीनानाथ को जल्द ही पूनम की असली पहचान का पता चलता है और वह उससे सच पूछते हैं। जब उन्हें पता चलता है कि वास्तव में मामला क्या है, तो वह माधवी को स्वीकार करते हैं और उसे अपनी संपत्ति का संरक्षक बनाते हैं जो मुन्ना को विरासत में मिलेगी। उस रात, कैलाश द्वारा दीनानाथ को जहर दिया जाता है। श्रीमती दीनानाथ, पूनम पर जो कुछ भी हुआ उसके लिए आरोप लगाती हैं और उसे जेल में डाल दिया जाता है।
अब शबनम दीनानाथों के जीवन में प्रवेश करती है और दावा करती है कि वह असली पूनम है। गुस्से में श्रीमती दीनानाथ उसे वापिस भेज देती है। कमल, मधु की सच्चाई पता लगने पर उसे नापसंद करने लगता है। हालांकि, उसे अंततः सच्चाई का एहसास होता है और शबनम और कैलाश को उनके बुरे इरादों के लिए गिरफ्तार करा देता है और माधवी को मुक्त कर दिया जाता है। जब कमल मधु को खोजता है, तो उसे पता चलता है कि वह बिना किसी को बताये चली गई है। वह कमल के लिए एक पत्र छोड़ जाती है, जिसमें लिखा होता है कि वह उसके जीवन से बाहर जा रही है और इसलिए, उसे खोजने की कोशिश नहीं की जाये। कमल उसे खोजना शुरू करता है और उसे एक चट्टान से कूदने की कोशिश करते हुए पाता है और एक गाना गाकर उसे रोकता है। वे गले लगते।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- आशा पारेख — माधवी "मधु" / पूनम
- राजेश खन्ना — कमल सिन्हा
- प्रेम चोपड़ा — कैलाश
- बिन्दू — शबनम "शब्बो"
- नासिर हुसैन — दीवान दीनानाथ
- सुलोचना लाटकर — श्रीमती दीनानाथ
- मदन पुरी — कमल के पिता
- डेज़ी ईरानी — रमैया
- हनी ईरानी — मनोरमा 'मुन्नी'
- सत्येन कप्पू — डा. काशीनाथ
संगीत
संपादित करेंराजेश खन्ना के लिए किशोर कुमार द्वारा गाए गए गाने फिल्म की सफलता का कारण थे, जबकि मुकेश ने भी उनके लिए एक गीत गाया था - एक दुर्लभ संयोजन।
सभी गीत आनन्द बक्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "प्यार दीवाना होता है" | किशोर कुमार | 4:44 |
2. | "ये शाम मस्तानी" | किशोर कुमार | 4:37 |
3. | "ये जो मोहब्बत है" | किशोर कुमार | 4:08 |
4. | "जिस गली में तेरा घर" | मुकेश | 4:01 |
5. | "आज ना छोड़ेंगे" | किशोर कुमार, लता मंगेश्कर | 5:15 |
6. | "ना कोई उमंग है" | लता मंगेश्कर | 4:21 |
7. | "मेरा नाम है शबनम" | आशा भोंसले, आर॰ डी॰ बर्मन | 3:15 |
नामांकन और पुरस्कार
संपादित करेंप्राप्तकर्ता और नामांकित व्यक्ति | पुरस्कार वितरण समारोह | श्रेणी | परिणाम |
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शक्ति सामंत | फिल्मफेयर पुरस्कार | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार | नामित |
राजेश खन्ना | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार | नामित | |
आशा पारेख[2] | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार | जीत | |
गुलशन नन्दा | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ कथा पुरस्कार | नामित | |
किशोर कुमार ("ये जो मोहब्बत है") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार | नामित | |
आनंद बख्शी ("ना कोई उमंग है") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | नामित |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "100 साल का बॉलीवुड, फिर भी नहीं टूटा राजेश खन्ना का यह रिकॉर्ड". न्यूज़ 18 इंडिया. 17 जुलाई 2017. मूल से 22 फ़रवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 फरवरी 2019.
- ↑ "आशा पारेख का जन्मदिन आज, जानें उनकी जिंदगी से जुड़ी ये खास बातें". प्रभात खबर. 2 अक्टूबर 2018. मूल से 23 फ़रवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 फरवरी 2019.