कन्या पूजनकन्या भोजकुमारी पूजा एक हिन्दू पवित्र अनुष्ठान है, जिसे नवरात्रि पर्व के आठवें और नौवें दिन किया जाता है।[1] इसमें मुख्य रूप से नौ बाल कन्याओं की पूजा की जाती है, जो देवी दुर्गा (नवदुर्गा) के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं।[2] हिंदू दर्शन के अनुसार, इन कन्याओं को सृजन की प्राकृतिक शक्ति की अभिव्यक्ति माना जाता है। किंवदंती है कि नवरात्रि के नौवें दिन शक्ति ने देवी दुर्गा का रूप धारण किया था, देवों के अनुरोध पर राक्षस कलसुरा का वध करने के लिए।

कन्या पूजन
अनुयायी हिन्दू धर्म
प्रकार हिन्दू त्यौहार
उत्सव 1 दिन
तिथि नवरात्री के आठवें और नौवें दिन
 
महा अष्टमी कुमारी पूजा

यह देवी के सम्मान के रूप में इन नौ बाल कन्याओं के पैरों को धोने की एक प्रथा है और फिर भक्त द्वारा उपहार के रूप में इन्हें नए कपड़े प्रदान किये जाते हैं। देवी पूजा के एक भाग के रूप में कन्या पूजा, कन्याओं में निहित स्त्री शक्ति को पहचानने के लिए किया जाता है।

यदि उपासक ज्ञान प्राप्त करने के लिए इच्छुक है तो उसे ब्राह्मण कन्या की पूजा करनी चाहिए। यदि वह शक्ति प्राप्त करने के इच्छुक हैं, तो उन्हें एक क्षत्रिय-बालिका की पूजा करनी चाहिए। इसी प्रकार, यदि वह धन और समृद्धि प्राप्त करने के इच्छुक हैं, तो वैश्य परिवार की एक बालिका की पूजा उनके द्वारा की जानी चाहिए। यदि किसी को अपने पिछले पापों को धोने की आवश्यकता है, तो शूद्र के चरणों की पूजा करनी चाहिए। इस अनुष्ठान में शुद्धि और मंत्रों का जप भी है। कन्याओं को एक विशेष आसन पर बैठाया जाता है। 'अक्षत' ( चावल के दाने) चढ़ाकर और अगरबत्ती जलाकर उनकी पूजा की जाती है। 'स्त्रीया: समस्तास्तव देवि भेदा:' के दर्शन के अनुसार, महिलाएँ महामाया (देवी दुर्गा) का प्रतीक हैं। इन सबके बीच भी एक बालिका उसकी भोलेेेपन और बालपन के कारण से सबसे शुद्ध माना जाता है।

  1. "नवरात्र में कन्या पूजन". पत्रिका समाचार (hindi में). अभिगमन तिथि 5 दिसम्बर 2020.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  2. "Navratri 2019 : Shardiya Navratri 2019, Chaitra Navratri". www.durga-puja.org.