क़व्वाली
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क़व्वाली (उर्दू: قوٌالی,) भारतीय उपमहाद्वीप में सूफ़ीवाद और सूफ़ी परंपरा के अंतर्गत भक्ति संगीत की एक धारा के रूप में उभर कर आई। इसका इतिहास 700 साल से भी ज्यादा पुराना है। वर्तमान में यह भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश सहित बहुत से अन्य देशों में संगीत की एक लोकप्रिय विधा है। क़व्वाली का अंतर्राष्ट्रीय स्वरुप नुसरत फतेह अली खान और के गायन से सामने आया।
इसलामी संस्कृति पर एक शृंखला का भाग |
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उदभव
संपादित करेंपर्शियन सूफ़ी तत्व और परंपरा मे समा या समाख्वानी (سماخوانی) [का रिवाज एक आम बात है। इस समाख्वानी में अक्सर निम्न गीत गाये जाते थे और हैं भी।
- क़सीदा - किसी की तारीफ़ में कहा / लिखा / गाये जाने वाला पद्य रूप
- हम्द - अल्लाह की तारीफ़ या स्रोत में गाये जाने वाले गीत या कविता।
- नात ए शरीफ़ (नात) - हज़रत मुहम्मद की शान में कविता या गाये जाने वाले गीत।
- मन्क़बत (मनक़बत) - वलियों की शान में कविता या गाये जाने वाले गीत।
- मरसिया - शहीदों की शान में गीत, या गाये जाने वाले गीत।
- ग़ज़ल - प्रेम गीत। चाहे आप अपने ईश्वर से बात करो, या प्रकृती से या प्रेमिका से या अपने आप से।
- मुनाजात - यह एक प्रार्थना है, जिस को दुआ या मुनाजात भी कहा जाता है।
कव्वाली की विषय सामग्री
संपादित करेंकव्वाली का स्वरुप
संपादित करेंचिश्तिया समुदाय में गायन क्रम
संपादित करेंपुराने मशहूर कव्वाल
संपादित करेंआज के मशहूर कव्वाल
संपादित करें- बद्र अली खान (उर्फ़ बद्र मियाँ)
- छोटे अज़ीज़ नाजां
- फ़रीद अय्याज़
- मेहर अली शेर अली
- राहत नुसरत फतह अली खान
- रिज़वान मुअज़्ज़म
- अमजद साबरी
- चांद कादरी अफजल चिश्ती
- अजीम नाज़ा
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- कव्वाली का उदभव और विकास, ऐडम नैय्यर, लोक विरसा शोध संस्थान, इस्लामाबाद. 1988. [मृत कड़ियाँ]
- वृत्तचित्र: म्यूज़िक ऑफ पाकिस्तान (52 मिनट)
- BBC Radio 3 Audio (45 minutes): The Nizamuddin shrine in Delhi. Accessed November 25, 2010.
- BBC Radio 3 Audio (45 minutes): A mahfil Sufi gathering in Karachi. Accessed November 25, 2010.
- Origin and History of the Qawwali, Adam Nayyar, Lok Virsa Research Centre, Islamabad. 1988.
- QAWWALI PAGE Islamic Devotional Music by David Courtney, Ph.D.