कारलूक लोग
कारलूक या क़ारलूक़ (पुरानी तुर्की: ; अंग्रेजी: Karluk या Qarluq) एक ख़ानाबदोश तुर्की क़बीला था जो मध्य एशिया में अल्ताई पहाड़ों से पश्चिम में कारा-इरतिश और तरबगतई पर्वतों के क्षेत्र में बसा करता था। इन्हें चीनी लोग गेलोलू (葛邏祿, Gelolu) भी बुलाते थे। कारलूक समुदाय जातीयता के नज़रिए से उईग़ुर लोगों से सम्बंधित थे। तुर्की भाषाओं में एक कारलूक शाखा है, जिसका नाम इन्ही कारलूकों पर पड़ा और जिसमें उईग़ुर भाषा, उज़बेक भाषा और इली तुर्की भाषा शामिल हैं।
नाम
संपादित करेंकारलूक कबीले का नाम कैसे पड़ा इसपर विद्वानों में बहस है और अनेक धारणाएँ हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं -
- 'कार' का मतलब तुर्की भाषाओँ में 'बर्फ़' और 'लूक' का मतलब 'वासी' होता है। एक लोक-कहानी के अनुसार तुर्की मिथ्य-कथाओं में तुर्क लोगों के एक प्राचीन नेता, ओग़ुज़ ख़ान, अपने क़बीले के साथ एक ऊँचा पहाड़ पार कर रहे थे जब भारी बर्फ़ गिरने से कुछ परिवार पार नहीं कर पाए। उनसे नाराज़ होकर ओग़ुज़ ख़ान ने उन्हें 'बर्फ़ में रहने वाले' बुलाया और यही उस शाखा का नाम हो गया।[1]
- एक विद्वान के अनुसार यह नाम 'केरलिक' (kerlyk) का बिगड़ा रूप है जिसका अर्थ 'जंगली बाजरा या जुवार' होता है।[2]
- 'कारा' शब्द का मतलब तुर्की भाषाओँ में 'काला' (रंग) होता है और यह भी सम्भव है कि कारलूकों का नाम उनके बालों, कपड़ों या खेमों के रंग से आया हो।[3]
इतिहास
संपादित करेंकारलूक गोएकतुर्क ख़ागानत के अधीन हुआ करते थे। सन् ७४२ ई में वे उइग़ुर और बसमिल क़बीलों के साथ मिलकर गोएकतुर्क ख़ागानत के विरुद्ध बग़ावत में उठे। ७४४ में बसमिलों ने गोएकतुर्क राजधानी ओतुगेन (Ötügen) और राजा ओज़मिश ख़ान (Özmish Khan) पर क़ब्ज़ा कर लिया। लेकिन उसी साल उइग़ुरों और क़ारलूक़ों ने आपसी सांठगांठ कर ली और मिलकर बसमिलों पर हमला कर दिया। बसमिलों के राजा का सिर क़लम कर दिया गया और पूरे क़बीले के लोगों को ग़ुलाम बनाकर या तो अन्य क़बीलों में बाँट दिया गया या चीनियों को बेच दिया गया। उइग़ुर सरदार अब इस नई ख़ागानत का ख़ागान बना और क़ारलूक़ उसके अधीन राज्यपाल बना। एक साल के अन्दर-अन्दर उइग़ुरों और क़ारलूक़ों में झड़पें शुरू हो गई और क़ारलूक़ों को मजबूरन अपनी ज़मीनें छोड़कर पश्चिम की ओर जाना पड़ा।[4]
कारलूकों के पश्चिम जाने से उन्होंने तुर्की भाषाओँ को मध्य एशिया के अधिक विस्तृत हिस्सों में फैलाया। ७५१ ईसवी में मुस्लिम अरब सेना मध्य एशिया में चीन के तंग राजवंश के साथ टकराई। पहले तो कारलूकों ने चीनियों का साथ दिया लेकिन फिर दल बदलकर अरबों के साथ हो गए जिस से चीनियों की हार हुई और मध्य एशिया का एक बड़ा भू-भाग चीनी प्रभाव से बहार हो गया। ७६६ में पूर्वी काज़ाख़स्तान में कारलूक राज्य की स्थापना हुई जिसकी पूर्व में उईग़ुर ख़ागानत से सीमा थी। जब ८४० के बाद उईग़ुर ख़ागानत ख़त्म होने लगी तो कारलूक राज्य पूर्व की और बढ़ा और कारलूकों ने बहुत से उईग़ुरों को साथ मिलकर अपनी नयी काराख़ानी ख़ानत (Kara-Khanid Khanate) स्थापित की। ९४३ में इसके शासक, सातुक बूग़रा ख़ान (उईग़ुर भाषा: سۇتۇق بۇغراخان), ने इस्लाम अपना लिया और उसके बाद यह इस ख़ानत का राजधर्म हो गया। १२वीं सदी के शुरू में सल्जूक तुर्कों ने काराख़ानीयों से आमू-पार क्षेत्र छीन लिए। ११३० में कारा-ख़ितान ख़ानत ने सेल्जूकों और काराख़ानीयों की मिली-जुली फ़ौज को हरा दिया। काराख़ानी फिर-भी किसी तरह अपनी पहचान बनाए रहे लेकिन १२११ में ख़्वारिज़मी राजवंश ने उन्हें हमेशा के लिए हरा दिया और काराख़ानी फिर कभी एक शक्ति के रूप में नहीं उभरे।[3]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Journal of the North-China Branch of the Royal Asiatic Society, Volume 10, pp. 219, Royal Asiatic Society of Great Britain and Ireland (North-China Branch), 1876, ... Owing to a great fall of snow, some families could not follow, and preferred to remain behind. Oghuz khan reprimanded them for their conduct, and henceforth they were derisively called Karluks, — a name meaning in Turkish ' inhabitants of the snow' ...
- ↑ N. Aristov, "Usuns and Kyryzes, or Kara-Kyryzes", Bishkek, 2001, pp. 142, 245.
- ↑ अ आ Encyclopedia of the Peoples of Asia and Oceania Archived 2013-05-28 at the वेबैक मशीन, Barbara A. West, pp. 371, Infobase Publishing, 2010, ISBN 978-1-4381-1913-7, ... The name Karluk may be derived from the Turkic term Kara or Qara, meaning 'black', and the suffix -lik, meaning 'pertaining to' ...
- ↑ The Tibetan Empire in Central Asia: A History of the Struggle for Great Power Among Tibetans, Turks, Arabs, and Chinese During the Early Middle Ages Archived 2016-06-03 at the वेबैक मशीन, Christopher I. Beckwith, Princeton University Press, 1993, ISBN 978-0-691-02469-1, ... The Basmïl qaghan began his regime by decapitating the last qaghan of the Türk dynasty. The situation changed, however, when the Uyghurs and Qarluqs, along with Wang Chung-ssu, the T'ang Military Governor of Shuo-fang, killed the Basmïl qaghan and enslaved his people toward the end of 744. The Uyghurs then made their own leader qaghan over the Eastern Turks, and began oppressing the Qarluqs. As a result, the 'three-surnamed' Qarluq tribes migrated in 745 into the lands of the Western Turks ...