कार्ल एडाल्फ जेलेरप
कार्ल एडॉल्फ जेलेरप [Karl A. Gjellerup] (1857-1919) डेनमार्क के कवि और उपन्यासकार थे। 1917 ई० में हेनरिक पोंटोपिदां के साथ साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता।
कार्ल एडॉल्फ जेलेरप | |
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जन्म | 2 जून, 1857 रोहोल्ट, डेनमार्क |
मौत | 11 अक्टूबर, 1919 ई०[1] |
पेशा | साहित्य |
भाषा | डेनिश |
राष्ट्रीयता | डेनिश |
काल | आधुनिक |
विधा | कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, कला, संगीत |
जीवन-परिचय
संपादित करेंकार्ल जेलेरप का जन्म रोहोल्ट नामक स्थान में 2 जून, 1857 ई० में हुआ था। वे एक पादरी की संतान थे। अपने पिता की रुचि के अनुकूल पहले तो उन्होंने धर्मतत्त्व का अध्ययन किया; परंतु स्वाभाविक रूप से उन्हें पुजारी बनने की इच्छा नहीं थी और आधुनिक सिद्धांतों की ओर उनका झुकाव कहीं अधिक था। उन्होंने डार्विन, ब्रैंडिज और स्पेंसर का अध्ययन किया था और बाद में ऐतिहासिक अध्ययन में लग गये थे। 'इडास' के अध्ययन में उनकी खासी रुचि थी और लेखन के आरंभ में ही साहित्य में उनके अभिरुचि बन गयी थी। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश ड्रेसडन (जर्मनी) में व्यतीत किया, जहाँ वे अपने घर की अपेक्षा अधिक विख्यात हो गये थे।[2]
रचनात्मक परिचय
संपादित करेंकार्ल जेलेरप अनेक विषयों पर कलम चलायी है। कला और संगीत पर उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं। उन्होंने ऐसे नाटक लिखे हैं जिनमें आधुनिक इसाई धर्म के तत्व का सामंजस्य ग्रीक सौंदर्य-प्रेम से किया है। उन्होंने 'इडास' आदि पुराने कवियों की कहानियों का अनुवाद आधुनिक डेनिश भाषा में किया है। उनकी दो पुस्तकें दि पिलग्रिम कामनिता और मीना अंग्रेजी में अनूदित होकर प्रकाशित हुई हैं। उनके उपन्यासों में एक आदर्शवादी और पास्टमान्स ऐसे हैं, जिनमें व्यंग्य और सजीव चित्रण भरे पड़े हैं।
प्रकाशित पुस्तकें
संपादित करें- दि पिलग्रिम कामनिता ('ए लीजेंडरी रोमांस')
- मीना (उपन्यास)
- एक आदर्शवादी (उपन्यास)
- पास्टमान्स (उपन्यास)