कालिया (1981 फ़िल्म)
कालिया 1981 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। इसका कहानी लेखन और निर्देशन टिन्नू आनन्द द्वारा किया गया। इकबाल सिंह इसके निर्माता है। फिल्म में अमिताभ बच्चन (शीर्षक भूमिका में), परवीन बॉबी, आशा पारेख, कादर ख़ान, प्राण, अमज़द ख़ान और के एन सिंह हैं। संगीत राहुल देव बर्मन का है, जबकि गीत मजरुह सुल्तानपुरी के हैं।
कालिया | |
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कालिया का पोस्टर | |
निर्देशक | टिन्नू आनन्द |
लेखक | इन्दर राज आनन्द (संवाद)[1] |
निर्माता | इकबाल सिंह |
अभिनेता |
अमिताभ बच्चन, आशा पारेख, परवीन बॉबी, अमज़द ख़ान, प्राण |
संगीतकार | राहुल देव बर्मन |
प्रदर्शन तिथियाँ |
25 दिसंबर, 1981 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंकालिया (अमिताभ बच्चन) अपने बड़े भाई शामू (कादर ख़ान), भाभी शांति (आशा पारेख) और उनकी छोटी बेटी मुन्नी के साथ रहता है। वह पड़ोसी के बच्चों के साथ खेलते हुए अपना समय काटता है। उसका बड़ा भाई मिल में काम के दौरान अपनी बाहें खो देता है। वह अपनी नौकरी खो देता है और उसे इलाज के लिए अब पैसे की जरूरत होती है। कालिया अपने भाई के मालिक, सहानी सेठ (अमज़द ख़ान) से भीख माँगता है, लेकिन वह मना कर देता है। कालिया पैसा पाने के लिए सहानी की तिजोरी में घुस जाता है, लेकिन बहुत देर हो चुकी होती है और भाई की मौत हो जाती है। सहानी, कालिया को जेल भेज देता है। वहाँ उसे नौ महीने की सजा होती है। यह वह जगह है जहाँ वह उन आदमियों से मिलता है जो उसे अपराध की दुनिया में ले जाते हैं। रिहाई के बाद, कालिया अब अलग आदमी होता है।
वह और उसके साथी मिल में सोने की चोरी करते हैं जो कि मालिक ने तस्करी के लिये रख रखा था। फिर वह अपने भाई की मृत्यु के बदले के रूप में मिल को जला देता है। वह फिर से जेल भेजा जाता है, इस बार दो साल के लिए। उसके साथी उसकी भाभी को यह बताकर झूठ बोलते हैं कि वह अमेरिका में उसके और उसकी बेटी के लिए बहुत पैसा कमा रहा है। वे गरीब से अमीर हो जाते हैं। जेल में, कालिया जेलर (प्राण) से मिलता है, जिसकी बेटी का एक कैदी ने अपहरण कर लिया था जब वह छोटी थी। कालिया को जेल से रिहा किए जाने के बाद, वह बदला लेने की कोशिश कर रहा होता है और आखिरकार एक महिला (परवीन बॉबी) के साथ मिल जाता है। मिल का मालिक अब कालिया की भतीजी का अपहरण कर लेता है और उसकी माँ को हत्या के मुकदमे में कालिया के खिलाफ गवाही देने के लिए मजबूर करता है। वह हत्या का दोषी पाया जाता है जो उसने नहीं की और अपनी भतीजी को ढूंढने के लिए जेल से भाग जाता है। सबसे पहले, वार्डन उसका पीछा करता है और जब वह उसकी सच्ची कहानी जान जाता है, तो वह उसकी मदद करने का फैसला करता है। वे मिल के मालिक की जगह पर जाते हैं और पाते हैं छोटी लड़की के साथ-साथ भाभी भी मरने वाले होती है।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- अमिताभ बच्चन ― कल्लू / कालिया
- आशा पारेख ― शांति
- परवीन बॉबी ― शालिनी / रानी सिंह
- अमज़द ख़ान ― सहानी सेठ / जसवंत
- प्राण ― जेलर रघवीर सिंह
- कादर ख़ान ― शामू
- के एन सिंह ― कैदी
- मुराद ― आईजीपी अधिकारी
- सुधीर ― रावत
- ब्रह्मचारी ― गोपाल
- राम पी सेठी ― विकलांग कैदी
- ब्रह्म भारद्वाज ― न्यायाधीश
- युनुस परवेज़ ― अब्दुल
- अंजान श्रीवास्तव ― हवलदार
संगीत
संपादित करेंसभी गीत मजरुह सुल्तानपुरी द्वारा लिखित; सारा संगीत राहुल देव बर्मन द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "जहाँ तेरी ये नजर है" | किशोर कुमार | 5:23 |
2. | "जब से तुमको देखा" | आशा भोंसले, किशोर कुमार | 5:44 |
3. | "कौन किसको बाँध सका" | मोहम्मद रफ़ी | 6:15 |
4. | "सनम तुम जहाँ" | आशा भोंसले | 4:50 |
5. | "तुम साथ हो जब अपने" | किशोर कुमार, आशा भोंसले | 4:40 |
6. | "दिल तो देते नहीं" | आशा भोंसले | 5:17 |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "बिग बी के डायलॉग को अखबार ने बताया कादर खान का, महानायक ने ट्वीट कर बताई हकीकत". जनसत्ता. 2 जनवरी 2019. मूल से 3 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मई 2019.