किच्छा (Kichchha) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल के उधमसिंहनगर ज़िले में स्थित एक नगर और नगर पालिका परिषद है। यह उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मण्डल का चौथा तथा उत्तराखंड का नवाँ सबसे बड़ा नगर है। किच्छा उत्तराखण्ड की एक पुरानी तहसील है, जिसकी स्थापना अंग्रेजी शासन काल में हुई थी। सिडकुल की स्थापना के पश्चात इस नगर में विकास बहुत तेजी से हुआ है।[1][2]

किच्छा
Kichha
किच्छा में इंदिरा गाँधी क्रीडास्थल
किच्छा में इंदिरा गाँधी क्रीडास्थल
किच्छा is located in उत्तराखंड
किच्छा
किच्छा
उत्तराखण्ड में स्थिति
निर्देशांक: 28°54′32″N 79°31′01″E / 28.909°N 79.517°E / 28.909; 79.517निर्देशांक: 28°54′32″N 79°31′01″E / 28.909°N 79.517°E / 28.909; 79.517
देश भारत
प्रान्तउत्तराखण्ड
ज़िलाउधमसिंहनगर ज़िला
ऊँचाई293 मी (961 फीट)
भाषा
 • प्रचलितहिन्दी, कुमाऊँनी, पंजाबी
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)
पिनकोड263148
वाहन पंजीकरणUK-06

उन्नीसवीं सदी के अन्त तक किच्छा से लेकर बनबसा तक थारुओं की बस्ती थीं और इस क्षेत्र को बिलारी कहा जाता था। अंग्रेजों के आगमन के उपरान्त बरेली-काठगोदाम रेल-लाइन और बरेली-नैनीताल सड़क मार्ग के निर्माण के कारण किच्छा एक प्रमुख व्यापारिक स्थान के रुप में उभरने लगा। चीनी मिल व धान मिलें भी इस शहर के आस-पास स्थापित हुई। किच्छा से चारों दिशाओं की ओर राजमार्गों का जाल बिछा है। बरेली-हल्द्वानी वहीं बरेली-काशीपुर रेलमार्ग पर किच्छा महत्वपूर्ण रेल स्टेशन है। दिनांक १४ अक्टूबर १९७१ के द्वारा किच्छा को टाउन एरिया घोषित किया था। ८ अक्टूबर १९८५ के द्वारा टाउन एरिया कमेटी किच्छा का चतुर्थ श्रेणी की नगरपालिका का स्तर प्रदान किया गया।

भौगोलिक दृष्टि से किच्छा तराई क्षेत्र में स्थित है तथा जलवायु शीतोष्ण प्रकार की है किच्छा के पूर्व में गोला नदी स्थित है तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश से सीमा बनाता है तथा उत्तर में नैनीताल जिले से सीमा बनाता है एंड वेस्ट इन उधम सिंह नगर का रुद्रपुर सिटी है

जनसांख्यिकी

संपादित करें

उत्तराखंड राज्य में किच्छा तहसील है, 2023 में किच्छा तहसील की जनसंख्या 515,943 है। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, कुल किच्छा जनसंख्या 390,866 लोग इस तहसील में रह रहे हैं, जिनमें से 205,764 पुरुष और 185,102 महिलाएं हैं। 2022 में किच्छा की आबादी 500,308 होने का अनुमान है। साक्षर लोग 140,041 में से 241,522 पुरुष हैं और 101,481 महिलाएं हैं। कुल श्रमिक 130,425 बहु कौशल पर निर्भर हैं जिनमें से 104,778 पुरुष और 25,647 महिलाएं हैं। कुल 8,554 किसान कृषि खेती पर निर्भर हैं, जिनमें से 7,632 पुरुषों द्वारा खेती की जाती है और 922 महिलाएं हैं। किच्छा में 16,939 लोग कृषि भूमि में श्रमिक के रूप में काम करते हैं, पुरुष 13,730 और 3,209 महिलाएं हैं।

सामाजिक दृष्टि से किच्छा में सभी प्रकार के धर्मों के व्यक्तियों का निवास है तथा सभी धर्मों के लोग मिल जुल कर रहना पसंद करते हैं

यहां पर शिक्षा के क्षेत्र में कई संस्थान कार्यरत हैं इनमें प्राथमिक स्तर पर सेंट पीटर स्कूल तथा हिमालया प्रोग्रेसिव स्कूल नालंदा स्कूल बीर शिवा स्कूल लिटिल एंगल स्कूल गुरुकुल स्कूल जनता इंटर कॉलेज कन्या इंटर कॉलेज प्रमुख है। तथा सीनियर स्तर पर सूरजमल स्नातकोत्तर महाविद्यालय सूरज मल इंजीनियरिंग कॉलेज देवभूमि कॉलेज उपलब्ध है तथा सूरजमल इंजीनियरिंग कॉलेज जो महिला पुरुष दोनों के लिए उपलब्ध है। इसके अलावा महिलाओं के लिए गन्ना कृषक कन्या महाविद्यालय जो कि गन्ना समिति बण्डिया किच्छा में है तथा इसमें प्रशक्षित महिला शिक्षाकाओं द्वारा शिक्षा प्रदान की जाती है। आसपास के क्षेत्र के लोग जो अपनी पुत्रियों के लिए शिक्षा हेतु बाहर नहीं भेजते हैं उनकी शिक्षा हेतु यह महाविद्‍यालय अति उत्तम है।

अर्थव्यस्था

संपादित करें

किच्छा की अर्थव्यवस्था काफी हद तक कृषि आधारित है। धान और गेहूं यहां की दो प्रमुख फसलें हैं। अच्छी कृषि योग्य भूमि की उपलब्धता और यहाँ के किसानों के अथक परिश्रम करने की वजह से उनमें में से अधिकांश अमीर और समृद्ध हैं। यहाँ के आसपास के क्षेत्र में 30 से अधिक चावल मिलें हैं। सिडकुल की स्थापना के बाद भारत के सभी भागों से लोग रोजगार के लिए यहां आ रहे हैं।

राजनीति के क्षेत्र में किच्छा एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है किच्छा की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां से भूतपूर्व मुख्यमंत्री भी विधानसभा चुनाव में उतर चुके हैं.

सड़क मार्ग से किच्छा राष्ट्रीय राजमार्ग ९ (पुराना राष्ट्रीय राजमार्ग ७४) और उत्तर प्रदेश राज्य राजमार्ग ३७ द्वारा जुड़ा है। बरेली और सितारगंज तथा काशीपुर तक फोरलेन कि सुविधा भी उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त यह बरेली-काठगोदाम रेलवे लाइन पर स्थित है। यहां से सूरत अहमदाबाद मुंबई हावड़ा पटना बनारस लख़नऊ कानपुर बरेली आगरा मथुरा काशीपुर रामनगर के लिए सीधी रेल सेवा उपलब्ध है। यहां से १० किलोमीटर दूर पंतनगर एयरपोर्ट है। जहां से दिल्ली और देहरादून के लिए नियमित सेवा उपलब्ध है।

इन्हें भी देखें

संपादित करें
  1. "Uttarakhand: Land and People," Sharad Singh Negi, MD Publications, 1995
  2. "Development of Uttarakhand: Issues and Perspectives," GS Mehta, APH Publishing, 1999, ISBN 9788176480994