कुछ ना कहो

2003 की रोहन सिप्पी की फ़िल्म
(कुछ ना कहो (2003 फ़िल्म) से अनुप्रेषित)

कुछ ना कहो बॉलीवुड की नाट्य रूमानी फ़िल्म है। इस फ़िल्म में ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन हैं।[1] यह रमेश सिप्पी द्वारा निर्मित है जबकि इसके निर्देशक उनके पुत्र रोहन सिप्पी हैं। इसे 5 सितम्बर, 2003 को जारी किया गया था।

कुछ ना कहो

कुछ ना कहो का पोस्टर
निर्देशक रोहन सिप्पी
लेखक संवाद:
नौशाली मेहता
निधि तुली
पटकथा नीरज वोरा
कहानी रोहना गेरा
निर्माता रमेश सिप्पी
अभिनेता अभिषेक बच्चन
ऐश्वर्या राय
अरबाज़ ख़ान
छायाकार वी. मणिकंडन
संपादक राजीव गुप्ता
संगीतकार गीत:
शंकर-एहसान-लॉय
पार्श्व संगीत:
आदेश श्रीवास्तव
वितरक रमेश सिप्पी एंटरटनमेंट
प्रदर्शन तिथियाँ
5 सितम्बर, 2003
लम्बाई
176 मिनट
देश भारत
भाषा हिन्दी

राज (अभिषेक बच्चन) खुशमिजाज अमेरिकी कुँवारा है, जो अपने चचेरे भाई की शादी में भाग लेने के लिए मुम्बई, भारत में अपनी मातृभूमि का दौरा करता है। वहाँ उसके अति उत्साही चाचा (सतीश शाह) उसको शादी करने का दबाव बनाते हैं। उसके चाचा की कर्मचारी, नम्रता (ऐश्वर्या राय) राज को कई लड़कियों से मिलाती है, लेकिन वो जानबूझकर काम बिगाड़ देता है। किसी शादी समारोह के दौरान, राज नम्रता को नाचते हुए देखता है और महसूस करता है कि वह उसकी ओर आकर्षित है और उससे प्यार करता है। आखिरकार वो उसको बताने की हिम्मत जुटाता है, लेकिन उसको आश्चर्य के साथ पता चलता है कि उसका एक 7 साल का बेटा आदित्य है, और वो पहले से ही शादीशुदा है।

राज भ्रमित होता है, लेकिन नम्रता और उसके बेटे के साथ एक मजबूत रिश्ता बनाता है। उसके चाचा उसे बताते हैं नम्रता का पति आदित्य के जन्म से ठीक पहले गायब हो गया था। इससे राज की उम्मीद जग जाती है। राज के द्वारा लिखा प्रेम पत्र पाकर नम्रता यह सोचकर परेशान हो जाती है कि राज ने उसके बेटे को उसके करीब आने के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की है। वह उससे खुद को दूर करने का प्रयास करती है, लेकिन जिद्दी राज आदित्य के बोर्डिंग स्कूल में उसका पीछा करता है। उसने लड़के से उसके पिता के रूप में स्कूल में आने का वादा किया था। जब राज नम्रता को घर छोड़ रहा होता है, वह राज को बताती है कि संजीव उसे गर्भवती होने के दौरान दूसरी महिला के लिए छोड़ गया था। आखिरकार नम्रता पिघल जाती है और वे बंधने लगते हैं।

कुछ महीनों बाद, राज अपनी मां से नम्रता को मिलाने का फैसला करता है, लेकिन उसे पता लगता है कि संजीव (अरबाज़ ख़ान) वापस नम्रता के जीवन में चला आया है। वो वापस वहीं से अपना रिश्ता शुरू करना चाहता है, जहाँ छोड़ गया था और स्वीकार करता है कि वो और उसकी रखैल आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहे हैं। यह सुनकर, नम्रता भौचक्की रह जाती है और यह साफ करती है कि वह उसके साथ किसी भी प्रकार का रिश्ता नहीं चाहती। लेकिन वह उसे छोड़ने के लिए शक्तिहीन होती है, क्योंकि वह इतना जिद्दी बन जाता है और अपने बेटे के साथ रहना चाहता है। वो बच्चे की अभिरक्षा के लिये मुकदमा करने की धमकी भी देता है।

संजीव के साथ मिलने के बाद, राज संजीव को परिवार के साथ रात के खाने के लिए आमंत्रित करता है और आदित्य भी उसके साथ आता है। वो सीधे राज के पास जाता है और उसे "डैड" कहता है। संजीव अपनी अनुपस्थिति में अपने बेटे की देखभाल के लिए राज का शुक्रिया अदा करने के बजाय ईर्ष्यालु और गुस्सा हो जाता है। वो राज और उसके परिवार का अपमान करता है और बखेड़ा खड़ा करता है। यह सब हंगामा नाटक सुनने के बाद, नम्रता अंततः संजीव को सार्वजनिक रूप से यह बताने का साहस जुटाती है कि वह उसका और बच्चे का परित्याग करने, उसका गैरजिम्मेदाराना व्यवहार और अनैतिक कामों को दरकिनार नहीं कर सकती और उसे राज से प्यार हो गया है।

इसके बाद, छह महीने की अवधि के बाद राज और नम्रता की शादी हो जाती है। उनका एक बच्चा होता है और उसके बाद वो खुशी से रहते हैं।

मुख्य कलाकार

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सभी गीत जावेद अख्तर द्वारा लिखित; सारा संगीत शंकर-एहसान-लॉय द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."कुछ ना कहो"साधना सरगम, शान5:19
2."तुम्हें आज मैंने जो देखा"शंकर महादेवन, मधुश्री4:54
3."बात मेरी सुनिये तो ज़रा"शंकर महादेवन, महालक्ष्मी अय्यर5:44
4."कहती है ये हवा"ऋचा शर्मा, शंकर महादेवन4:12
5."ए बी बी जी, टी पी ओ जी"उदित नारायण, महालक्ष्मी अय्यर5:04
6."अच्छी लगती हो"उदित नारायण, कविता कृष्णमूर्ति6:20
कुल अवधि:31:33
  1. "'गुरु' फिल्म की वो नकली अंगूठी जो बाद में अभिषेक बच्चन के बहुत काम आई– News18 हिंदी". न्यूज़ 18 इंडिया. 28 दिसम्बर 2018. मूल से 5 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 जनवरी 2019.

बाहरी कड़ियाँ

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