कोस मीनार का प्रयोग शेर शाह सूरी के जमाने में सड़कों को नियमित अंतराल पर चिन्हित करने के लिए किया जाता था।[1]ग्रैंड ट्रंक रोड के किनारे हर कोस पर मीनारें बनवाई गई थीं। अधिकतर इन्हें १५५६-१७०७ के बीच बनाया गया था। कई मीनारें आज भी सुरक्षित हैं तथा इन्हें दिल्ली-अंबाला राजमार्ग[2] पर देखा जा सकता है। पुरातत्व विभाग के अनुसार भारत के हरियाणा राज्य में कुल ४९ कोस मीनारे है जिनमें फरीदाबाद में १७, सोनीपत में ७, पानीपत में ५, करनाल में १०, कुरुक्षेत्र और अम्बाला में ९ एवं रोहतक में १ मीनार हैं। आजकल इन्हें सुरक्षित स्मारक घोषित किया गया है तथा पुरातत्व विभाग इनकी देखरेख करता है।

  1. "Caravanserias along the grand trunk road in Pakistan" (PDF). युनेस्को. मूल से 24 दिसंबर 2014 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि २४ दिसम्बर २०१४.
  2. "कोस मीनार इतिहास, सोनीपत". Society for development and Beautification of Sonepat Town (regd.). मूल से 24 दिसंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २४ दिसम्बर २०१४.