गंगूबाई काठियावाड़ी
गंगूबाई काठियावाड़ी वर्ष 2022 की हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। इसे संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित किया गया है और इसका निर्माण उन्होंने जयंतीलाल गड़ा के साथ मिलके किया है। फ़िल्म में शांतनु माहेश्वरी, विजय राज़, इंदिरा तिवारी, सीमा पाहवा, वरुण कपूर और जिम सर्भ के साथ शीर्षक भूमिका में आलिया भट्ट हैं।[3] इस फ़िल्म में अजय देवगन कैमियो में दिखाई देते हैं।
गंगूबाई काठियावाड़ी | |
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फ़िल्म का पोस्टर | |
निर्देशक | संजय लीला भंसाली |
पटकथा |
संजय लील भंसाली उत्कर्षिनी वशिष्ठ |
कहानी | हुसैन जैदी |
निर्माता |
जयंतीलाल गड़ा संजय लील भंसाली |
अभिनेता | |
छायाकार | सुदीप चटर्जी |
संपादक | संजय लीला भंसाली |
संगीतकार |
संचित बलहारा अंकित बलहारा |
वितरक | पेन इण्डिया लिमिटेड |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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लम्बाई |
154 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
लागत | ₹100 करोड़ |
कुल कारोबार | अनुमानित ₹209.77 करोड़[2] |
यह फिल्म गंगूबाई कोठेवाली के बारे में है। इसे सिनेमाघरों में 25 फरवरी 2022 को दिखाया गया। गंगूबाई काठियावाड़ी को आलोचनात्मक प्रशंसा मिली। इसने ₹209.77 करोड़ रुपए की कमाई की। 68वें फिल्मफेयर पुरस्कारों में फिल्म को 15 नामांकन प्राप्त हुए और सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री सहित इसने 10 पुरस्कार जीते।[4]
कहानी सारांश
संपादित करें1944 में, काठियावाड़ के एक अमीर गुजराती हिन्दु बैरिस्टर जगजीवनदास काठियावाड़ि की 16 वर्षीय बेटी गंगा अपने प्रेमी रमणीक लाल के साथ घर से भाग गई । बॉलीवुड में अभिनय करने का मौका देने के नाम पर रमणीक ने गंगा को 1000 रुपये में बॉम्बे शहर के कमाठीपुरा नामक रेड लाइट एरिया में स्थित शीला नामक महिला के वेश्यालय में बेच दिया । वहां उसे वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया गया और उसे नया नाम गंगु दिया गया। गंगु ने वेश्याओं के लिए सप्ताह में एक दिन के स्वैच्छिक छुट्टी पालन करने का आह्वान करके वेश्याओं को उनके श्रम अधिकारों के बारे में जानकारी दी। एक दिन शौकत नाम का एक विक्षिप्त स्थानीय गुंडा गंगु को इतनी बुरी तरह पीटता है कि उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है। गंगु न्याय की मांग करने के लिए शौकत के बॉस, दक्षिण बॉम्बे के आदर्शवादी माफिया नेता रहीम लाला के पास जाता है। गंगु के आत्मविश्वास से प्रभावित होकर, रहीम उसे अपनी बनी-बनाइ बहन के रूप में स्वीकार करता है, और जब शौकत फिर से गंगु की तलाश में आता है, तो वह उसे वहा पर ही पीट-पीट कर मार डालता है, जिससे वेश्यालय में अन्य वेश्याओं के बीच गंगू को सम्मान मिलता है। 9 साल की वेश्यावृत्ति के बाद , शीला की मृत्यु के बाद अन्य वेश्याओं ने गंगु को शीला के वेश्यालय का नया मालिक चुना। इसी समय से उन्हें गंगूबाई के नाम से जाना जाने लगा और वे दमदार तरीके के साथ कमाठीपुरा में रहने लगती है।
1956 में, रत्नागिरी की मधु नाम की 14 वर्षीय लड़की को कमाठीपुरा में रश्मीबाई के वेश्यालय में बेच दिया गया था। बहुत उत्पीड़न के बावजूद, मधु को वेश्यावृत्ति में धकेलने असक्षम रश्मीबाई लिए गंगूबाई को बुलाती है। गंगूबाई मधु को वेश्यावृत्ति अपनाने के लिए मनाने की अपनी कहानी सुनाती हैं और यह भी बताती हैं कि जो महिलाएं वेश्यावृत्ति से मुक्त होकर घर लौटती हैं, उन्हें उनके रिश्तेदारों द्वारा परिवार की इज्जत बचाने के नाम पर मार दिया जाता है। इसके बाद भी मधु अपने फैसले पर अड़ी रहती है । तब रश्मिबाई के विरोध के बावजूद, गंगूबाई मधु को वेश्यालय से निकालकर सुरक्षित घर में वापस भेजने की व्यवस्था करती है।
कमाठीपुरा के सभानेत्री चुनाव में उम्मीदवार के रूप गंगुबाई रज़ियाबाई नाम की एक क्रूर हिजड़ा के खिलाफ खड़ी होती है, जो पिछले दो वर्षों से में निर्विरोध जीत रही थी। वह मधु को रश्मीबाई के वेश्यालय से छुड़ाने और उसे वापस भेजने के नेक कार्य का रजियाबाई के खिलाफ चुनाव अभियान के रूप में उपयोग करता है। चुनाव के लिए धन जुटाने और अपने अधीन वेश्याओं के जीवन स्तर में सुधार करने के लिए, गंगुबाई ने रहीम लाला की मदद से अपने वेश्यालय से अवैध रूप से शराब बेचने की व्यवस्था की। इस बारे में जानने के बाद, रजियाबाई पुलिस के हाथो गंगूबाई को गिरफ्तार करवाने की कोशिश करती है, लेकिन गंगुबाई स्थानीय इंस्पेक्टर को रिश्वत देती है और स्थिति को नियंत्रण में लाती है। तब गंगुबाई ने अपने एक ग्राहक की मदद से कमाठीपुरा में मुफ्त में फिल्में प्रसारित करके रज़ियाबाई के समर्थकों को आकर्षित किया। गंगुबाई के प्रयासों का मजाक उड़ाते हुए, रज़ियाबाई कहती हैं कि उसे हराना उतना ही असंभव है जितना कि दूल्हे को वेश्यालय में लाना। तब गंगुबाई बड़े तरीक़े का दहेज देकर अपनी अधीनस्थ कुसुम नामक वेश्या की कुंवारी बेटी रोशनी (जिसे उसकी मां ने अफीम खिलाकर पिंजरे में बंद रखकर अपने ग्राहकों की बुरी नजरों से दूर रखने की कोशिश करती थी) के साथ अफसान रज्जाक नामक दर्जी (जिससे गंगुबाई स्वयं प्यार करती थी) के साथ धूमधाम से शादी की आयोजन की । नतीजा यह हुआ कि गंगुबाई चुनाव जीत गईं । कमाठीपुरा की नई अध्यक्ष के रूप में गंगुबाई ने वेश्याओं के मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाना शुरू किया । इसी समय गंगुबाई को अपने घर फोन करने का मौका मिलता है और पता चलता है कि उसके पिता की मृत्यु हो गई है और 12 साल बाद भी उसकी मां ने उसे घर से भागने के लिए माफ नहीं किया है।
उत्सव के माहौल और गरबा नृत्य के साथ नवरात्रि मनाने और महानवमी के पवित्र दिन पर पूरे वेश्यालय में छुट्टी मनाने के बाद, गंगुबाई रहीम लाला के माध्यम से पता चलता है कि रोमान कैथोलिक चर्च द्वारा संचालित एक स्थानीय लड़कियों के स्कूल के अधिकारियों ने छात्रीयों पर वेश्याओं के बुरे प्रभाव के डर से क्षेत्र से वेश्यालय हटाने की मांग को लेकर एक आंदोलन शुरू कर दिया है और उस अवसर पर, एक स्थानीय निर्माण व्यवसाय रेड लाइट एरिया के सभी वेश्यालयों को ध्वस्त करने और वहां उची इमारतें बनाने की योजना कर रहा है। गंगुबाई ने विरोध करते हुए कहा कि अगर उन्हें उजाड़ दिया गया तो कमाठीपुरा से 4000 वेश्याएं असहाय हो जाएंगी । तब रहीम निर्माण व्यवसाय के एजेंट को धमकाकर भगा देता है । गंगुबाई अपने वेश्यालय से 8 लड़कियों को उक्त गर्ल्स स्कुल में दाखिला दिलाने के लिए ले गईं और उसी दिन 8 लड़कियों के 5 साल की फीस देने को तैयार हो गईं। जब स्कुल अधिकारियों ने घृणापूर्वक लड़कियों को प्रवेश देने से इनकार कर दिया, तो गंगुबाई ने कहा कि वेश्याओं द्वारा पैदा किये गये लड़कियों के लिए शिक्षा का अधिकार लागू करना वेश्यालय को उखाड़ने की तुलना में वेश्यावृत्ति को खत्म करने का अधिक प्रभावी तरीका था। पत्रकार हामिद फ़ैज़ी के सामने लड़कियों को दाखिला दिया गया, लेकिन स्कुल की नन-टीचरों ने उन्हें पीटा और स्कूल से बाहर निकाल दिया । तब फ़ैज़ी ने इस आंदोलन पर गंगुबाई की इंटरव्यू अखबार में छापने की व्यवस्था की । जब अखबार की वो रिपोर्ट लोकप्रिय हो गई, तो फ़ैज़ी ने बॉम्बे के आज़ाद मैदान में आयोजित एक नारीवादी सभा मे गंगुबाई की भाषण देने की व्यवस्था की । भाषण में गंगुबाई ने समाज की वो स्त्री द्वेषी विचारधारा जो वेश्याओं की निंदा करती है लेकिन उनके पुरुष ग्राहकों को कुछ नहीं कहती है, उसके निन्दा करते हुए उन्होंने कहा कि देश के राजनीतिक नेता जाति, धर्म, पैसा और रंग के आधार पर भेदभाव को खत्म करने की बात करते हैं लेकिन जो वास्तविक जीवन में यह आदर्श पालन करते है, उसी वेश्यासमाज को भेदभाव का शिकार किया जाता है और उन्हें समाज के हाशिए पर धकेल दिया जाता है। सभा मे से गंगूबाई ने वेश्याओं के मानवाधिकारों और उनके बच्चों के लिए शिक्षा के अधिकार की मांग उठाती है, जो तुरंत लोगों के बीच फैल गई । इसके बाद फ़ैज़ी ने एक स्थानीय जनप्रतिनिधि के साथ गंगुबाई का साक्षात्कार की आयोजित किया। जब गंगुबाई ने जनप्रतिनिधि से आगामी चुनावों में समर्थन के बदले वेश्यावृत्ति विरोधी आंदोलन को बन्द करने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करने के लिए कहा, तो उन्होंने उन्हें सूचित किया कि स्कुल अधिकारियों ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है , लेकिन वे नई दिल्ली में प्रधानमंत्री के साथ गंगुबाई की बैठक की व्यवस्था कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री के साथ एक साक्षात्कार में, गंगुबाई ने देश में यौनब्यपार को वैध बनाने की अपील की, जिसे प्रधान मंत्री ने शुरू में ही खारिज कर दिया। जब गंगुबाई ने देहब्यापार के लिए तस्करी की गई महिलाओं की दुर्दशा और वेश्यासमाज के खिलाफ भेदभाव का वर्णन किया, तो प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि कमाठीपुरा के रेड लाइट एरिया को बेदखल नहीं किया जाएगा और सरकारी तौर पर समिति स्थापित करके देश में देहब्यापार की स्थिति की समीक्षा करने का वादा किया । गंगुबाई की सामाजिक सक्रियता के कारण, कमाठीपुरा के रेड लाइट एरिया को बेदखली से बचाया गया और उस वर्ष भारत में खुले मे यौनब्यपार-सम्बन्धी सेवाओं को बेचना और महिला-तस्करी को गैरकानूनी घोषित करते हुए देहब्यापार को कानूनी घोषित कर दिया गया।
कलाकार
संपादित करें- आलिया भट्ट — गंगूबाई काठियावाड़ी
- अजय देवगन — रहीम लाला (करीम लाला पर आधारित किरदार)
- शांतनु माहेश्वरी — अफ़सान बद्र-उर-रज़्ज़ाक
- विजय राज़ — रज़ियाबाई
- इंदिरा तिवारी — कमली
- सीमा पाहवा — शीला
- वरुण कपूर — रामणिक लाला
- जिम सर्भ — पत्रकार हामिद फ़ैज़ी
- राहुल वोहरा — प्रधानमन्त्री (जवाहरलाल नेहरू पर आधारित किरदार)
- अनमोल कजानी — बिरजू
- प्रशांत कुमार — बद्री
- रज़ा मुराद — लाला का अतिथि
- छाया कदम — रश्मिबाई
- मिताली जगताप — कुसुम
- हुमा कुरेशी — दिलरुबा, ("शिकायत" गीत में)
संगीत
संपादित करेंसभी संजय लीला भंसाली द्वारा संगीतबद्ध।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायक | अवधि |
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1. | "मेरी जाँ" | कुमार | नीति मोहन | 3:58 |
2. | "ढोलीडा" | कुमार, भोजक अशोक 'अंजाम' | जाह्नवी श्रीमंकर, शैल हडा | 2:59 |
3. | "जब सैयां" | ए. एम. तुराज़ | श्रेया घोषाल | 4:07 |
4. | "शिकायत" | ए. एम. तुराज़ | अर्चना गोड़े | 4:09 |
5. | "मुस्कुराहट" | ए. एम. तुराज़ | अरिजीत सिंह | 4:37 |
6. | "झूमे रे गोरी" | कुमार | अर्चना गोड़े, तरन्नुम जैन, दीप्ती रेगे, अदिति प्रधुदेसाई | 2:50 |
कुल अवधि: | 22:40 |
नामांकन और पुरस्कार
संपादित करेंवर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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2023 | संजय लीला भंसाली | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार | जीत |
संजय लीला भंसाली | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार | जीत | |
आलिया भट्ट[5] | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार | जीत | |
शांतनु माहेश्वरी | फ़िल्मफ़ेयर पुरुष प्रथम अभिनय पुरस्कार | नामित | |
संजय लीला भंसाली | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक पुरस्कार | नामित | |
ए. एम. तुराज़ ("जब सैयां") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | नामित | |
जाह्नवी श्रीमंकर ("ढोलीडा") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार | नामित | |
श्रेया घोषाल ("जब सैयां") | नामित |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "गंगूबाई काठियावाड़ी को पूरा हुआ एक साल, एक्ट्रेस ने संजय लीला भंसाली संग मनाया जश्न". अमर उजाला. अभिगमन तिथि 2 जून 2023.
- ↑ "'द केरला स्टोरी' ही नहीं, बॉक्स ऑफिस पर गर्दा उड़ा चुकी हैं ये वुमन सेंट्रिक फिल्में". एबीपी न्यूज़. 12 मई 2023. अभिगमन तिथि 2 जून 2023.
- ↑ "आलिया को देखकर मैंने बहुत कुछ सीखा है, लेकिन हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त नहीं हैं". अमर उजाला. अभिगमन तिथि 2 जून 2023.
- ↑ "गंगूबाई काठियावाड़ी को सबसे ज्यादा फिल्मफेयर मिलने पर खुशी से झूम उठे संजय लीला भसाली, कहा- यह हमेशा खास..." प्रभात खबर. 29 अप्रैल 2023. अभिगमन तिथि 2 जून 2023.
- ↑ "आलिया भट्ट को मिला बेस्ट एक्टर फीमेल फिल्मफेयर अवार्ड:बोलीं- गंगूबाई काठियावाड़ी की शूटिंग खत्म हुई तो हाथ कांप रहे थे, शेयर किया इमोशनल नोट". दैनिक भास्कर. अभिगमन तिथि 2 जून 2023.