गर्भाशयग्रीवा कैन्सर

गर्भाशयग्रीवा कैंसर, गर्भाशयग्रीवा या गर्भाशय ग्रीवा क्षेत्र का घातक कैन्सर है। यह योनि रक्त-स्राव के साथ मौजूद हो सकती है, लेकिन इसके लक्षण, कैंसर के उन्नत चरण पर होने तक अनुपस्थित हो सकते हैं।[1] इसके उपचार में शामिल हैं, प्रारंभिक चरण में शल्य-चिकित्सा (स्थानीय उच्छेदन सहित) तथा रसायन-चिकित्सा व रोग के उन्नत चरणों में विकिरण चिकित्सा.

Cervical cancer
वर्गीकरण व बाहरी संसाधन
Histopathologic image (H&E stain) of carcinoma in situ, stage 0.
आईसीडी-१० C53
आईसीडी- 180
ओ.एम.आई.एम 603956
रोग डाटाबेस 2278
मेडलाइन+ 000893
ई-मेडिसिन med/324  radio/140
एमईएसएच D002583
इस बड़े घातक नासूर ने (चित्र का निचला भाग) ग्रीवा को काट दिया है और निचले गर्भाशय खंड में घुस गया है। गर्भाशय में ऊपर एक गोल आरेखीपेशी-अर्बुद भी है।

पैप स्मीयर परीक्षण से संभावित कैंसर-पूर्व परिवर्तनों की पहचान की जा सकती है। उच्च कोटि के परिवर्तनों का उपचार, कैंसर के विकास को रोक सकता है। विकसित देशों में, गर्भाशय-ग्रीवा परीक्षणों के व्यापक उपयोग के कारण 50% या अधिक मात्रा में आक्रामक गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के मामलों में कमी आई है।[उद्धरण चाहिए]

गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के लगभग सभी मामलों के विकास में मानव अंकुरार्बुद-विषाणु (HPV) संक्रमण एक आवश्यक कारक रहा है।[1][2] अधिकांश गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के कारक HPV के दो उपभेदों के प्रति प्रभावी HPV टीका, अमेरिका और यूरोपीय संघ में लाइसेंस प्राप्त कर चुका है। इस समय, लगभग 70%[3][4] सभी गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के लिए, एक साथ ये दो HPV उपभेद जिम्मेदार हैं। चूंकि टीका केवल कुछ उच्च-जोखिम प्रकार से बचाव करता है, महिलाओं द्वारा टीकाकरण के बाद भी नियमित पैप स्मीयर परीक्षण करवाना चाहिए। [5]

वर्गीकरण

संपादित करें

20वीं सदी में गर्भाशय-ग्रीवा नासूर पूर्वगामी घावों का नामकरण और वर्गीकरण कई बार बदला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन वर्गीकरण[6][7] प्रणाली में घावों का विवरणात्मक ढंग से हल्का, मध्यम या गंभीर दुर्विकसन या स्वस्थानी नासूर (CIS) नामकरण किया गया है। गर्भाशय-ग्रीवा अंतःउपकला रसौली (CIN) शब्द का विकास, इन घावों में असामान्यता की श्रृंखला पर जोर देने और उपचार के मानकीकरण में मदद के लिए किया गया।[7] यह हल्के दुर्विकास को CIN1, मध्यम दुर्विकास को CIN2 और गंभीर दुर्विकास और CIS को CIN3 के रूप में वर्गीकृत करता है। सबसे हाल ही का वर्गीकरण बेथेस्डा प्रणाली है, जो सभी गर्भाशय-ग्रीवा उपकला पूर्वगामी घावों को 2 समूहों में बांटता है: निम्न कोटि का घातक अंतःउपकला घाव (LSIL) और उच्च कोटि का घातक अंतःउपकला घाव (HSIL). LSIL, CIN1 के अनुरूप है और HSIL में CIN2 और CIN3 शामिल हैं।[7] हाल ही में, CIN2 और CIN3 को CIN2/3 में सम्मिलित किया गया है।

संकेत और लक्षण

संपादित करें

गर्भाशय-ग्रीवा के कैंसर की प्रारंभिक अवस्था पूरी तरह अलाक्षणिक हो सकती है।[1][8] योनि रक्त-स्राव, संपर्क रक्त-स्राव या (असाधारण तौर पर) योनि पुंज, संघातकता की उपस्थिति का संकेत दे सकता है। साथ ही, संभोग और योनि-स्राव के दौरान मामूली दर्द गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का लक्षण है। उन्नत बीमारी में रोग-व्याप्ति, उदर, फेफड़े या और कहीं भी हो सकती है।

उन्नत गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के लक्षणों में शामिल हैं: भूख में कमी, वज़न में कमी, थकान, श्रोणि में दर्द, पीठ दर्द, पैर दर्द, एक पैर में सूजन, योनि से भारी रक्त-स्राव, योनि से मूत्र या मल का रिसाव,[9] और हड्डी टूटना.

मानव अंकुरार्बुद-विषाणु संक्रमण

संपादित करें

गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के विकास में सबसे अधिक महत्वपूर्ण जोखिम कारक, मानव अंकुरार्बुद-विषाणु के उच्च जोखिम वाले उपभेद का संक्रमण है। विषाणु कैंसर संबंध, गर्भाशय-ग्रीवा की कोशिकाओं में परिवर्तनों से शुरू होता है, जो गर्भाशय-ग्रीवा अंतःउपकला रसौली में परिणत हो सकता है, जो आगे कैंसर को जन्म दे सकता है।

ऐसी महिलाओं को ज़्यादा ख़तरा है, जिनके कई यौन साथी हैं (या जो ऐसे पुरुष या महिला के साथ संभोग करते हैं, जिनका कई अन्य साथियों के साथ यौन संबंध रहा हो).[10][11]

150 से भी अधिक HPV प्रकार के अस्तित्व को स्वीकार किया गया है (कुछ सूत्रों के अनुसार 200 से अधिक उप-प्रकार हैं).[12][13] इनमें से, 15 उच्च-जोखिम प्रकार (16, 18, 31, 33, 35, 39, 45, 51, 52, 56, 58, 59, 68, 73 और 82), 3 को संभाव्य उच्च-जोखिम (26, 53 और 66) और 12 को कम-जोखिम (6, 11, 40, 42, 43, 44, 54, 61, 70, 72, 81 और CP6108) के तौर पर वर्गीकृत किया गया है,[14] लेकिन वे भी कैंसर पैदा कर सकते हैं। आम तौर पर 16 और 18 प्रकार को गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के 70% मामलों के कारक के तौर पर स्वीकार किया गया है। प्रकार-31 के साथ मिल कर, वे गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के लिए प्रमुख जोखिम कारक हैं।[15]

जननांग मस्से HPV के विभिन्न प्रकारों की वजह से होते हैं, जो आम तौर पर गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से संबंधित नहीं हैं।

चिकित्सकीय तौर पर स्वीकृत, अमेरिकन कैंसर सोसायटी तथा अन्य संगठनों द्वारा आधिकारिक तौर पर समर्थित प्रतिमान यह है कि गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के विकास के लिए एक मरीज़ का HPV से संक्रमित होना ज़रूरी है और इसलिए इसे एक यौन संचारित रोग के रूप में देखा गया है, लेकिन उच्च-जोखिम वाले HPV से संक्रमित अधिकांश महिलाओं में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का विकास नहीं होता है।[16] कंडोम का उपयोग संचरण को कम कर सकता है, पर हमेशा उसे नहीं रोकता. इसी तरह, संक्रमित क्षेत्रों के साथ त्वचा का त्वचा से संपर्क के माध्यम से HPV का संचारण हो सकता है। पुरुषों में, माना जाता है कि HPV अधिमानतः मुंड लिंग की उपकला में बढ़ता है और इस जगह की सफ़ाई रोग-निवारक हो सकती है।

अमेरिकन कैंसर सोसायटी, गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के जोखिम कारकों की निम्नलिखित सूची प्रदान करती है: मानव अंकुरार्बुद-विषाणु (HPV) संक्रमण, धूम्रपान, HIV संक्रमण, क्लामाइडिया संक्रमण, आहार तत्व, हार्मोन गर्भनिरोधक, एकाधिक गर्भधारण, हार्मोनल दवा डाइइथैलस्टिलबेस्ट्रॉल (DES) और गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का पारिवारिक इतिवृत्त.[10] HLA-B7 के साथ संभाव्य आनुवंशिक-जोखिम जुड़ा हुआ है।[उद्धरण चाहिए]

HPV टीके के विकास के बावजूद, कुछ शोधकर्ताओं का यह तर्क है कि नियमित नवजात पुरुष खतना, भावी महिला यौन साथी में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के जोखिम को कम करने का स्वीकार्य तरीक़ा है। अन्य लोगों का मानना है कि जोखिमों की तुलना में लाभ अधिक नहीं है और/या बच्चों से स्वस्थ जननांग के ऊतकों को हटाने का विचार अनैतिक है, क्योंकि यह मान लेना उचित नहीं लगता कि पुरुष खतना करवाना पसंद ही करेंगे। इस दावे का कोई निश्चित प्रमाण नहीं है कि पुरुष खतना, गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का बचाव करता है, यद्यपि कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि महामारी-विज्ञान के पुख्ता सबूत हैं कि जिन पुरुषों का खतना किया गया है, उनके HPV से संक्रमित होने की संभावना कम है।[17] बहरहाल, कम-जोखिम यौन व्यवहार वाले पुरुष और एकपतित्व महिला साथियों में, गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के जोखिम के प्रति खतना से कोई फ़र्क नहीं पड़ता.[18]

बायोप्सी प्रक्रिया

संपादित करें

हालांकि पैप स्मीयर (ग्रीवा आलेप) एक कारगर छान-बीन परीक्षण है, गर्भाशय-ग्रीवा कर्कट या कर्कट-पूर्व निदान की पुष्टि के लिए गर्भाशय-ग्रीवा की ऊतक परीक्षा (बायोप्सी) आवश्यक है। यह अक्सर योनिभित्ति दर्शन के ज़रिए, जहां तनू शुक्ताम्ल (एसिटिक अम्ल) (उदा. सिरका) की सहायता से गर्भाशय-ग्रीवा के आवर्धित दृश्य निरीक्षण के माध्यम से गर्भाशय ग्रीवा की सतह पर असमान्य कोशिकाओं पर प्रकाश डाल कर किया जाता है।[1]

इसके अतिरिक्त निदान प्रक्रियाएं हैं, लूप विद्युत उच्छेदन प्रक्रिया (LEEP) और शंकु-उच्छेदन, जिसमें गर्भाशय ग्रीवा की अंदरूनी परत को रोगात्मक परीक्षण के लिए हटाया जाता है। यदि बायोप्सी में गंभीर ग्रीवा अंतःउपकला रसौली की पुष्टि होती है, तो ये प्रक्रियाएं की जाती हैं।

रोगात्मक प्रकार

संपादित करें

ग्रीवा अंतःउपकला रसौली, जो गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का प्रारंभिक रूप है, अक्सर रोगविज्ञानी द्वारा गर्भाशय-ग्रीवा बायोप्सी की जांच पर पता चल जाता है। आक्रामक गर्भाशय-ग्रीवा नासूर के ऊतकजनक उपभेदों में निम्नलिखित शामिल हैं:[19][20] हालांकि सबसे अधिक मामलों सहित गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर, घातक कोशिका नासूर है, पर हाल के दशकों में गर्भाशय-ग्रीवा के ग्रंथि-नासूर की घटनाएं अधिक हो रही हैं।[1]

ग़ैर-नासूर दुर्दम्यताओं में, जो गर्भाशय-ग्रीवा में विरले ही होती हैं, निम्न शामिल हैं

नोट करें कि अन्य कई कैंसरों के लिए TNM अवस्था के विपरीत FIGO अवस्था लसीका ग्रंथि आवेष्टन को शामिल नहीं करता है।

शल्य-चिकित्सा द्वारा उपचार के मामलों में, रोगविज्ञानी से प्राप्त जानकारी का उपयोग एक अलग रोगात्मक चरण के लिए निर्दिष्ट किया जा सकता है, लेकिन यह मूल नैदानिक चरण की जगह लेने के लिए नहीं है।

दुर्दम्यपूर्व दुर्विकसन परिवर्तनों के लिए, CIN (ग्रीवा अंतःउपकला नासूर) श्रेणीकरण किया जाता है।

गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर को अंतर्राष्ट्रीय स्त्रीरोग-विज्ञान और प्रसूति-विज्ञान संघ (FIGO) चरण-प्रणाली द्वारा चरणबद्ध किया जाता है, जो नैदानिक परीक्षा पर आधारित है, ना कि शल्य-चिकित्सा निष्कर्षों पर. चरणों के निर्धारण में उपयोगार्थ, यह केवल निम्नलिखित नैदानिक परीक्षणों की अनुमति देता है: स्पर्श-परीक्षा, निरीक्षण, योनिभित्तिदर्शन, अंतर्गर्भाशय-ग्रीवा खुरचन, गर्भाशयदर्शन, मूत्राशयदर्शन, मलाशयदर्शन, शिराभ्यंतर मूत्रपथदर्शन और फेफड़े और कंकाल का एक्स-किरण परीक्षण, तथा गर्भाशय-ग्रीवा शंकु-उच्छेदन.

गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के लिए TNM चरणबद्ध प्रणाली FIGO चरण के अनुरूप है।

  • चरण 0 - पीठिका (स्वस्थानीय नासूर) में बिना घुसे उपकला का पूर्ण-सघन आवेष्टन
  • चरण I - गर्भाशय-ग्रीवा तक सीमित
    • IA - केवल सूक्ष्मदर्शी से निदान, कोई दृश्य घाव नहीं
      • IA1 - 3 मि.मी. से कम गहराई और 7 मि.मी. या न्यूनतम क्षैतिज विस्तार वाले पीठिकी घुसपैठ
      • IA2 - 7 मि.मी. या उससे कम के क्षैतिज विस्तार के साथ 3 और 5 मि.मी. के बीच पीठिकी घुसपैठ
    • IB - 5 मि.मी. से अधिक गहराई या 7 मि.मी. से अधिक क्षैतिज विस्तार के साथ दृश्य घाव या सू्क्ष्म घाव
      • IB1 - 4 से.मी. या बड़े आयाम में कम दृश्य घाव
      • IB2 - 4 से.मी. से अधिक दृश्य घाव
  • चरण II - गर्भाशय-ग्रीवा से परे घुसपैठ
    • IIA - परागर्भाशयसंयोजी ऊतक घुसपैठ के बिना, लेकिन योनि का ऊपरी 2/3 शामिल
    • IIB - परागर्भाशयसंयोजी ऊतक घुसपैठ सहित
  • चरण III - श्रोणि दीवार या योनि की निचली तिहाई तक फैली
    • IIIA - योनि का निचला तीसरा हिस्सा शामिल
    • IIIB - श्रोणि दीवार तक विस्तृत और/या जलवृक्कता या गुर्दे की निष्क्रियता का कारक
  • IVA - मूत्राशय या मलाशय की श्लैष्मिक झिल्ली में घुसपैठ और/या सही श्रोणि के परे विस्तृत
  • IVB - दूरस्थ रोगव्याप्ति

सूक्ष्म-आक्रामक कैंसर (चरण IA) का आम तौर पर इलाज गर्भाशय-उच्छेदन (योनि के हिस्से सहित पूरे गर्भाशय के हटाना) द्वारा किया जाता है। चरण IA2 के लिए, लसीका ग्रंथियों को भी हटा दिया जाता है। रोगी, जो जननक्षम रहना चाहते हैं, उनके लिए लूप विद्युतीय उच्छेदन प्रक्रिया (LEEP) या शंकु-बायोप्सी जैसी स्थानीय शल्य-चिकित्सा प्रक्रिया एक विकल्प है।[21]

यदि शंकु-बायोप्सी से स्पष्ट लाभ नहीं मिल सकता है,[22] तो जननक्षम बने रहना चाहने वाले मरीज़ों के लिए एक और संभाव्य वैकल्पिक उपचार गर्भाशय-ग्रीवा उच्छेदन है।[23] इसमें गर्भाशय-उच्छेदन से अधिक संरक्षी ऑपरेशन द्वारा, अंडाशय और गर्भाशय का संरक्षण करते हुए शल्य-चिकित्सा द्वारा कैंसर को हटाने का प्रयास किया जाता है। यह गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के पहले चरण में रहने वाले व्यक्तियों के लिए एक व्यवहार्य विकल्प है, जहां वह व्याप्त नहीं हुआ है; तथापि, अभी तक इसे मानक देख-रेख नहीं माना गया है,[24] क्योंकि बहुत ही कम डॉक्टरों को इस प्रक्रिया में कुशलता प्राप्त है। यहां तक कि बहुत अनुभवी सर्जन भी शल्य-क्रियात्मक सूक्ष्म-परीक्षण के बाद तक यह वादा नहीं कर सकते हैं कि गर्भाशय-ग्रीवा उच्छेदन किया जा सकता है, क्योंकि कैंसर के विस्तार की सीमा अज्ञात है। यदि सर्जन, ऑपरेशन कक्ष में मरीज़ की सामान्य संज्ञाहीनता पर सूक्ष्मदर्शी से ग्रीवा ऊतक के स्पष्ट मात्रा की पुष्टि नहीं कर पाते हैं, तब भी गर्भाशय उच्छेदन की ज़रूरत हो सकती है। यह उसी ऑपरेशन के दौरान किया जा सकता है, बशर्ते कि मरीज़ ने पहले ही सहमति दी हो। चरण 1b और कुछ 1a चरण के कैंसरों में लसीका ग्रंथि में कैंसर के फैलने के संभाव्य जोखिम के लिए, सर्जन को रोगात्मक मूल्यांकन के लिए गर्भाशय के आस-पास से कुछ लसीका ग्रंथियों को हटाने की जरूरत पड़ सकती है।

मूलभूत गर्भाशय-ग्रीवा उच्छेदन को उदर[25] या योनि[26] से किया जा सकता है और इन दोनों में कौन-सा बेहतर तरीक़ा है, इस बारे में परस्पर विरोधी विचार हैं।[27] लसीकापर्वोच्छेदन के साथ मूल उदरीय गर्भाशय-ग्रीवा उच्छेदन में सामान्यतः केवल दो से तीन दिनों तक ही अस्पताल में रहने की ज़रूरत होगी और अधिकांश महिलाएं जल्द ही (लगभग छह सप्ताहों में) ठीक हो जाती हैं। जटिलताएं असामान्य हैं, हालांकि शल्य-चिकित्सा के बाद जो महिलाएं गर्भ धारण कर पाती हैं, उनके लिए समय-पूर्व प्रसव और विलंबित गर्भपात की गुंजाइश रहती है।[28] सामान्यतः, शल्य-चिकित्सा के बाद गर्भवती होने का प्रयास करने से पूर्व, कम से कम एक वर्ष तक प्रतीक्षा की सिफ़ारिश की जाती है।[29] यदि गर्भाशय-ग्रीवा उच्छेदन से कैंसर को हटा दिया गया हो, तो अवशिष्ट गर्भाशय-ग्रीवा में आवृत्ति बहुत ही विरल है।[24] फिर भी, रोगियों के लिए यह सिफ़ारिश की जाती है कि वे निवारक सतर्कता और अनुवर्ती देख-रेख का पालन करें, जिसमें पैप परीक्षण/योनिभित्तिदर्शन, पुनरावृत्ति की निगरानी के लिए आवश्यकतानुसार (कम से कम 5 साल के लिए हर महीने 3-4 बार) शेष निचले गर्भाशय खंड की बायोप्सी, साथ ही सक्रिय रूप से गर्भ-धारण के प्रयास जारी रहने तक सुरक्षित यौन व्यवहारों के माध्यम से HPV के प्रति कोई नई जोखिम को कम करना शामिल है।

प्रारंभिक अवस्था (4 से.मी. से कम IB1 और IIA) का इलाज लसीका ग्रंथियों को हटाते हुए मूल गर्भाशय उच्छेदन या विकिरण उपचार द्वारा किया जा सकता है। विकिरण चिकित्सा, श्रोणि की बाह्य किरणपुंज विकिरण चिकित्सा और ब्रैकीथेरेपी (आंतरिक विकिरण) के रूप में की जाती है। रोगात्मक परीक्षण में उच्च जोखिम पाए जाने वाले जिन रोगियों का इलाज शल्य-चिकित्सा द्वारा किया गया है, उनमें जोखिम के पुनरावर्तन को कम करने के उद्देश्य से रसायन-चिकित्सा के साथ या उसके बिना, विकिरण उपचार दिया जाता है।

प्रारंभिक चरण के बड़े ट्यूमर (IB2 तथा 4 से.मी. से बड़े IIA) को विकिरण चिकित्सा और सिसप्लाटिन-आधारित रसायन-चिकित्सा, गर्भाशय-उच्छेदन (जिसमें आम तौर पर सहायक विकिरण उपचार अपेक्षित है), या सिसप्लाटिन रसायन-चिकित्सा और बाद में गर्भाशय-उच्छेदन के साथ इलाज किया जा सकता है।

उन्नत चरण के ट्यूमरों (IIB-IVA) का उपचार विकिरण-चिकित्सा और सिसप्लाटिन-आधारित रसायन-चिकित्सा के साथ किया जाता है।

15 जून 2006 को अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने महिलाओं के विलंबित-चरण (IVB) वाले गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के इलाज के लिए दो रसायन-चिकित्सा की दवाइयां, हाइकैमटिन और सिस्प्लाटिन के संयोजन के उपयोग को अनुमोदित किया है।[30] संयोजन उपचार में उदासीनरागी-कोशिकाल्पता, अरक्तता और बिंबाणु-अल्पता के अनुषंगी प्रभाव महत्वपूर्ण जोखिम है। हाइकैमटिन ग्लाक्सोस्मिथक्लिन द्वारा निर्मित है।

जागरूकता

संपादित करें

अमेरिकी राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के 2005 स्वास्थ्य सूचना राष्ट्रीय प्रवृत्ति सर्वेक्षण के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल केवल 40% अमेरिकी महिलाओं ने मानव अंकुरार्बुद-विषाणु (HPV) संक्रमण के बारे में और केवल 20% महिलाओं ने गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से उसके संबंध के बारे में सुना था।[31] अनुमान है कि 2008 में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से अमेरिका में मरने वाली महिलाओं की संख्या 3,870 होगी और लगभग 11,000 नए मामलों के निदान की उम्मीद है।[32]

गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर की जांच के लिए पैपेनिकोलाउ परीक्षण, या पैप स्मीयर के व्यापक प्रवर्तन को, विकसित देशों में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर की घटनाओं और मृत्यु-दर में प्रभावशाली तरीक़े से कमी का श्रेय दिया जाता है।[8] असामान्य पैप स्मीयर परिणाम, कैंसर के विकास से पूर्व परीक्षण और संभाव्य निवारक उपचार अनुमत करते हुए, गर्भाशय-ग्रीवा अंतःउपकला रसौली (संभावित गर्भाशय-ग्रीवा पूर्वसंघातक बदलाव) का सुझाव दे सकते हैं। पैप स्मीयर कराए जाने की आवधिकता के संबंध में, वर्ष में एक बार से पांच साल में एक बार कराने की विविध अनुशंसाएं है।ACS की सिफ़ारिश है कि गर्भाशय-ग्रीवा का परीक्षण, योनि संभोग की शुरूआत के तीन साल बाद और/या इक्कीस साल की उम्र से पहले शुरू करना चाहिए। [33] परीक्षण जारी रखने की अवधि संबंधी दिशा-निर्देशों में अंतर है, लेकिन अच्छी तरह से परीक्षित महिलाएं, जिनके स्मीयर असामान्य नहीं हैं, 65 (USPSTF) से 70 (ACS) वर्ष की आयु में परीक्षण रोक सकते हैं। यदि पूर्वसंघातक रोग या गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का जल्दी पता चल जाता है, तो उस पर निगरानी रखी जा सकती है या अपेक्षाकृत अवेध्य तरीक़े से और बिना प्रजनन को क्षति पहुंचाए, इलाज किया जा सकता है।

हाल तक, गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर की रोकथाम के लिए पैप स्मीयर एक प्रमुख तकनीक बनी हुई थी। लेकिन, NICE द्वारा मूलतः अधिकृत[34], प्रकाशित साहित्य की तेजी से समीक्षा के बाद, UK राष्ट्रीय परीक्षण कार्यक्रम में तरल आधारित कोशिका-विज्ञान को शामिल किया गया है। हालांकि संभवतः इससे पैप परीक्षण की सटीकता को बेहतर बनाने का इरादा था, पर उसका मुख्य लाभ लगभग 9% से लगभग 1% तक अपर्याप्त स्मीयरों की संख्या को घटाना रहा है।[35] यह महिलाओं को अतिरिक्त स्मीयर के लिए दुबारा बुलाने की आवश्यकता को कम करता है।

आम तौर पर कोशिका-शिल्प वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे स्मीयरों के निर्वचन में सुधार लाने के उद्देश्य से स्वचालित तकनीकों को विकसित किया गया। दुर्भाग्य से ये पूर्णतया कम उपयोगी साबित हुए हैं; हालांकि हाल ही की समीक्षाओं ने सुझाया है कि वे आम तौर पर मानवीय निर्वचन के समान ही बदतर हो सकती हैं।[36]

HPV परीक्षण, गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर चिकीत्सकीय छंटाई की नई तकनीक है, जो गर्भाशय-ग्रीवा में मानव अंकुरार्बुद-विषाणु संक्रमण की उपस्थिति का पता लगाता है। यह पैप स्मीयर से अधिक संवेदनशील है (ग़लत नकारात्मक परिणाम देने की कम संभावना), पर कम विशिष्ट (ग़लत सकारात्मक परिणामों की ज़्यादा संभावना) और नियमित परीक्षण में उसकी भूमिका अभी भी विकसित हो रही है। चूंकि विश्व भर में 99% से ज़्यादा आक्रामक गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर में HPV होते हैं, कुछ शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि नियमित गर्भाशय-ग्रीवा परीक्षण के साथ HPV परीक्षण भी किया जाए.[15] लेकिन, HPV के प्रचलन (लैंगिक रूप से सक्रिय जनसंख्या के लगभग 80% में संक्रमण इतिवृत्त) की स्थिति में अन्य लोगों का सुझाव है कि नियमित HPV परीक्षण, वाहकों में अनुचित भय जगाएगा.

HPV परीक्षण द्वारा 2 या 3 दर्जे की गर्भाशय-ग्रीवा अंतःउपकला रसौली या नियंत्रित यादृच्छिक प्रतिचयन परीक्षण के अनुसार 32-38 साल की महिलाओं के बीच परवर्ती परीक्षणों में पता चलने वाले गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर की घटनाओं को कम कर सकता है।[37] संबंधित जोखिम में कमी 41.3% थी। इस अध्ययन में शामिल लोगों के समान जोखिम वाले रोगियों के लिए (63.0% को 2-3 CIN या कैंसर था), इससे 26% तक पूर्ण जोखिम में कमी हो जाती है। एक रोगी के लाभार्थ 3.8 रोगियों के (उपचार के लिए अपेक्षित संख्या = 3.8) इलाज की ज़रूरत है। 2-3 CIN के अधिक या कम जोखिम वाले रोगियों हेतु इन परिणामों को समायोजित करने के लिए यहां क्लिक करें Archived 2011-07-20 at the वेबैक मशीन.

निवारक टीकाकरण

संपादित करें

गार्दासिल, मर्क एंड कंपनी द्वारा लाइसेंसकृत और निर्मित HPV प्रकार 6, 11, 16 और 18 के विरुद्ध एक टीका है। गार्दासिल 98% तक प्रभावी है।[38] 8 जून 2006 को अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद अब यह बाजार में उपलब्ध है।[3] गार्दासिल को यूरोपीय संघ (EU) ने भी मंजूरी दी है।[39]

ग्लाक्सोस्मिथक्लिन ने सर्वारिक्स नामक एक टीके का विकास किया है, जिसे HPV 16 और 18 उपभेदों को रोकने में 92% प्रभावी माना गया है और इसका प्रभाव चार से अधिक वर्षों के लिए रहता है।[40] सर्वारिक्स को कुछ स्थानों में मंजूरी दी गई है तथा कई और स्थानों में यह अनुमोदन प्रक्रियाधीन है।[41]

न तो मर्क एंड कंपनी ने और ना ही ग्लाक्सोस्मिथक्लिन ने इस टीके का आविष्कार किया। टीके के प्रमुख विकासात्मक चरणों का दावा अमेरिका में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान, न्यूयॉर्क में रोचेस्टर विश्वविद्यालय, वाशिंगटन, DC में जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय, NH हनोवर में डार्टमाउथ कॉलेज, तथा ब्रिस्बेन, ऑस्ट्रेलिया में क्वींसलैंड विश्वविद्यालय ने किया है। दोनों, मर्क एंड कंपनी और ग्लैक्सोस्मिथक्लिन, ने इन सभी दलों के पेटेंट लाइसेंस प्राप्त किए हैं।[42]

साथ में, 16 और 18 प्रकार के HPV, इस समय 70% गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के मामलों के कारक हैं। लगभग 90% जननांग मस्सों के मामले में 6 और 11 प्रकार के HPV कारक रहे हैं।

HPV टीके, 9 से 26 साल की लड़कियों और महिलाओं के प्रति लक्षित हैं, क्योंकि टीका तभी काम करता है, जब वह संक्रमण से पहले दिया जाता है; अतः सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता, यौन में भाग लेने से पूर्व की लड़कियों को लक्षित कर रहे हैं। पुरुषों में, जननांग मस्से को रोकने और महिलाओं में संचरण को बाधित करने के लिए किए जाने वाले इस टीके के प्रयोग को शुरूआत में केवल द्वितीयक बाज़ार माना गया है।

इस टीके की उच्च लागत, चिंता का विषय रही है। कई देश HPV टीकाकरण के लिए वित्तपोषण कर रहे हैं या उसके लिए कार्यक्रमों पर विचार कर रहे हैं।

कंडोम, गर्भाशय-ग्रीवा में संभाव्य कैंसर-पूर्व परिवर्तनों के उपचार में भी उपयोगी हो सकता है। वीर्य के प्रति अरक्षितता की वजह से कैंसर-पूर्व परिवर्तनों (CIN 3) के जोखिम में वृद्धि नज़र आती है और कंडोम के उपयोग से इन परिवर्तनों में ह्रास तथा HPV को ख़त्म करने में मदद मिलती है।[43] एक अध्ययन से पता चलता है कि वीर्य में प्रोस्टाग्लैंडीन, गर्भाशय-ग्रीवा तथा गर्भाशय ट्यूमर के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं और प्रभावित महिला कंडोम के प्रयोग से लाभान्वित हो सकती है।[44][45]

पोषकाहार

संपादित करें

फल और सब्जियां

संपादित करें

सब्जी की खपत के उच्च स्तर, HPV अवस्थिति के जोखिम को 54% तक कम करने से जुड़े हैं।[46] सप्ताह में कम से कम एक बार पपीते की खपत, HPV संक्रमण से प्रतिलोमतः जुड़ी है।[47]

यह सुझाव देने वाला कमज़ोर सबूत उपलब्ध है कि रेटिनॉल की महत्वपूर्ण कमी, HPV संक्रमण से अलग, स्वतंत्र रूप से गर्भाशय-ग्रीवा के दुर्विकसन की संभावना को बढ़ाती है। एक संकीर्ण जातीय समूह (न्यू मेक्सिको के देशी अमेरिकी) के छोटे-से (n ~ = 500) रोग-नियंत्रण अध्ययन ने सीरम सूक्ष्म-पोषक तत्वों को गर्भाशय-ग्रीवा दुर्विकसन के जोखिम कारक के रूप में मूल्यांकन किया। अत्यधिक चतुर्थक वाली महिलाओं की तुलना में, सबसे कम सीरम रेटिनॉल चतुर्थक वाले मरीज़, CIN I के प्रति अधिक जोखिम में थे।[48]

तथापि, कमी का आभास कराते हुए, इस अध्ययन में शामिल लोगों का समग्र सीरम रेटिनॉल कम था। सुपोषित आबादी में एक सीरम रेटिनॉल अध्ययन से पता चलता है कि निचले 20% में सीरम रेटिनॉल, न्यू मेक्सिको उप-आबादी के सर्वोच्च स्तरों के क़रीब था।[49]

निम्नतम चतुर्थक में विटामिन C की खपत रिपोर्ट करने वालों की तुलना में उच्चतम चतुर्थक की खपत को रिपोर्ट करने वाली महिलाओं में विशिष्ट-प्रकार के स्थाई HPV संक्रमण का जोखिम कम था।[47]

टोकोफ़ेरॉल के न्यूनतम सीरम स्तरों के साथ तुलना करने पर उच्चतम दर्शाने वाली महिलाओं में HPV मुक्त समय विशेषतः कम था, लेकिन इन संबंधों में महत्वपूर्ण प्रवृत्तियां </=120 दिनों तक जारी रहने वाले संक्रमणों तक ही सीमित थीं। स्थाई HPV संक्रमण (>120 दिनों तक चलने वाले) से मुक्ति, टोपोफ़ेरॉल के परिसंचारी स्तरों से विशिष्टतः जुड़े नहीं थे। इस अन्वेषण के परिणाम, गर्भाशय-ग्रीवा के कैंसरजनक HPV संक्रमण की घटना को तेजी से हटाने में सूक्ष्म-पोषकतत्वों से संबंध का समर्थन करते हैं।[50]

गर्भाशय-ग्रीवा अंतःउपकला रसौली के HPV-प्रभावयुक्त मरीज़ों के रक्त सीरम में, सांख्यिकीय तौर पर विशिष्ट अल्फ़ा-टोकोफ़ेरॉल के निम्न स्तर पाए गए। अल्फ़ा टोपोफ़ेरॉल स्तर <7.95 mumol/l के लिए, दुर्विकसन जोखिम चार गुणा ज़्यादा था।[51]

फ़ॉलिक एसिड

संपादित करें

उच्च फ़ोलेट स्थिति प्रतिलोमतः HPV परीक्षण के सकारात्मक बनने से जुड़ी थी। उच्च फ़ोलेट स्थिति वाली महिलाओं के लगातार HPV परीक्षण सकारात्मक होने की विशिष्टतः कम संभावना और परीक्षण के नकारात्मक होने की अधिक संभावना रहती है। अध्ययनों से पता चला है कि फ़ॉलिक एसिड के निम्न स्तर के साथ ऑक्सीकरणरोधी के साथ सह-अस्तित्व, CIN विकास के जोखिम को बढ़ाता है। उच्च जोखिम वाले HPV से संक्रमित होने की जोखिम वाले या पहले से ही संक्रमित मरीज़ों में फ़ोलेट की स्थिति में सुधार से गर्भाशय- ग्रीवा कैंसर की रोकथाम में लाभदायक प्रभाव पड़ सकता है।[52][53]

बहरहाल, एक अन्य अध्ययन ने फ़ोलेट स्थिति और गर्भाशय-ग्रीवा दुर्विकसन के बीच कोई संबंध नहीं दर्शाया.[48]

पर्णपीतकाभ

संपादित करें

पर्णपीतकाभ के उच्च संचलन स्तर, विशिष्ट-प्रकार के HPV संक्रमण को हटाने के समय में एक महत्वपूर्ण कमी से जुड़े थे, विशेषतः संक्रमण के प्रारंभिक दौर में (</=120 दिन). स्थाई HPV संक्रमण (>120 दिनों तक चलने वाले) से मुक्ति, पर्णपीतकाभों के संचरण स्तरों से विशिष्टतः नहीं जुड़ी थी।[50]

लाइकोपीन के बढ़ते स्तरों के साथ कैंसरजनक HPV संक्रमण को हटाने की संभावना काफ़ी अधिक है।[54] न्यूनतम प्लाज़मा लाइकोपीन सांद्रता वाली महिलाओं की तुलना में उच्चतम प्लाज़्मा [लाइकोपीन] सांद्रता वाली महिलाओं में HPV के सतत जोखिम में 56% कटौती परिलक्षित हुई। इन आंकड़ों से पता चलता है कि सब्जी की खपत और परिसंचारी लाइकोपीन, HPV अवस्थिति के प्रति रक्षात्मक हो सकते हैं।[46][47][55]

स्वस्थ महिलाओं की तुलना में, CIN या गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से ग्रस्त महिलाओं के रक्त और गर्भाशय-ग्रीवा कोशिकाओं में उल्लेखनीय तौर पर CoQ10 के निम्न स्तर पाए गए।[उद्धरण चाहिए]

मछली का तेल

संपादित करें

1999 के एक अध्ययन में, डोकोसाहेक्सेनोइक अम्ल ने HPV16 अमर कोशिकाओं के विकास को बाधित किया।[56]

रोग का पूर्वानुमान

संपादित करें

पूर्वानुमान, कैंसर के स्तर पर निर्भर करता है। उपचार के साथ, आक्रामक गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के प्रारंभिक चरण के लिए 5-वर्षीय आनुपातिक उत्तरजीविता दर 92% है और समग्र (सभी चरण संयुक्त) 5-वर्षीय उत्तरजीविता दर 72% है। जब नए रोग-निरूपित महिलाओं पर लागू किए जाएं, तो इन आंकड़ों में सुधार हो सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि ये परिणाम, आंशिक तौर पर पांच वर्ष पूर्व की उपचार दशा पर आधारित होंगे, जब अध्ययनाधीन महिलाओं का पहला निदान किया गया था।[32]

उपचार से, पहले चरण के कैंसर से ग्रस्त 80-90% महिलाएं और द्वितीय चरण के कैंसर से ग्रस्त 50-65% महिलाएं, निदान के 5 वर्ष बाद भी जीवित हैं। तृतीय चरण के कैंसर से ग्रस्त केवल 25 से 35% महिलाएं और चतुर्थ चरण के कैंसर से ग्रस्त 15% या उससे कम महिलाएं 5 वर्ष बाद भी जीवित हैं।[57]

अंतर्राष्ट्रीय स्त्रीरोग-विज्ञान और प्रसूति-विज्ञान के अनुसार, जब विकिरण-चिकित्सा को सिस्प्लाटिन-आधारित रसायन-चिकित्सा के साथ किया जाता है, तो उत्तरजीविता में सुधार हो सकता है।[58]

जैसे ही शरीर के अन्य अंगों में कैंसर का विक्षेपण होता है, नाटकीय ढंग से पूर्वानुमान में गिरावट आती है, क्योंकि आम तौर पर स्थानीय घावों का उपचार, पूरे शरीर के उपचार से ज़्यादा प्रभावी होता है, जैसे रसायन-चिकित्सा.

उपचार के बाद, मरीज़ का आंतरिक मूल्यांकन ज़रूरी है। प्रारंभिक चरणों में पता चल चुके आवर्ती गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का शल्य-चिकित्सा, विकिरण-प्रसारण, रसायन-चिकित्सा, या इन तीनों के संयोजन से सफलतापूर्वक उपचार किया जा सकता है। इलाज के बाद, आक्रामक गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर वाले पैंतीस प्रतिशत रोगियों में यह स्थाई या आवर्ती रोग बना रहा है।[59]

गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से संभावित जीवन के खोए औसत वर्ष 25.3 रहे हैं (SEER कैंसर सांख्यिकी समीक्षा 1975-2000, राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (NCI)). अमेरिका में 2001 के दौरान, लगभग 4,600 महिलाओं को गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर (DSTD) से मरने का प्रक्षेपण किया गया और अमेरिका में 2002 के दौरान SEER की गणना के अनुसार वार्षिक घटना 13,000 थी। इस प्रकार घटनाओं और मौतों का अनुपात लगभग 35.4% है।

नियमित रूप से जांच का मतलब है कि कैंसर-पूर्व परिवर्तन और प्रारंभिक चरण के गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का जल्द पता लगाया और इलाज किया गया है। आंकड़े बताते हैं कि गर्भाशय-ग्रीवा परीक्षण से गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर की रोकथाम द्वारा, प्रति वर्ष ब्रिटेन में 5,000 जीवन बचाए जा रहे हैं।[60] ब्रिटेन में प्रति वर्ष लगभग 1000 महिलाएं गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से मरती हैं।

नियमित दो वर्षीय पैप परीक्षण द्वारा ऑस्ट्रेलिया में 90% तक के गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर की घटनाओं को कम किया जा सकता है और प्रति वर्ष इस रोग से मरने वाली 1,200 ऑस्ट्रेलियाई महिलाओं को बचाया जा सकता है।[61]

महामारी-विज्ञान

संपादित करें

दुनिया भर में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर, महिलाओं में पांचवां सबसे खतरनाक कैंसर है।[62] यह प्रति वर्ष 16 प्रति 100,000 महिलाओं को प्रभावित करता है और प्रति वर्ष 9 प्रति 100,000 महिलाओं को मारता है।[63]

अमेरिका में यह महिलाओं का केवल 8वां सबसे सामान्य कैंसर है। 1998 में, अमेरिका में लगभग 12,800 महिलाओं का निदान किया गया और लगभग 4,800 की मौत हो गई।[8] स्त्रीरोगीय कैंसरों में इसका दर्जा अंतर्गर्भाशयकला संबंधी कैंसर और अंडाशयी कैंसर के बाद है। अमेरिका का घटना और मृत्यु-दर, बाक़ी दुनिया का आधा ही है, जिसका आंशिक कारण पैप स्मीयर परीक्षण की सफलता है।[8] 2004 के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के नए मामलों की घटना, 7 प्रति 100,000 महिलाएं रही थी।[64]

शेष उत्तरी यूरोप के समान ही, यूनाइटेड किंगडम में घटना 9.1/100,000 प्रति वर्ष (2005) रही है और मृत्यु-दर 3.1/100,000 प्रति वर्ष (2006) रही है (UK के लिए कैंसर रिसर्च UK गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के आंकड़े).[65] 1988-1997 से 42% कमी के साथ, NHS द्वारा कार्यान्वित परीक्षण कार्यक्रम बेहद सफल रहा है, जिसमें प्रति 3 वर्ष, उच्चतम जोखिम आयु-वर्ग (25-49 वर्ष) और प्रति 5 वर्ष, 50-64 की उम्र वालों का परीक्षण किया गया।

2008 के दौरान कनाडा में 1,300 महिलाओं को गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से ग्रसित होने का अनुमान है और जिनमें 380 की मौत होगी। [66]

ऑस्ट्रेलिया में, गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के 734 मामले थे (2005).1991 (1991-2005) में सुव्यवस्थित परीक्षण की शुरूआत के साथ, गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का निदान की गई महिलाओं की संख्या में औसतन प्रति वर्ष 4.5% कमी आई है।[67]

अनुमान है कि दुनिया भर में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के 473,000 मामले हैं और प्रति वर्ष 253,500 लोगों की मृत्यु हो सकती है।[68]

  • 400 BCE - हिप्पोक्रेट्स: गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर लाइलाज
  • 1925 - हैंस हिन्सेलमैन: कॉल्पोस्कोप का आविष्कार किया
  • 1928 - पापानिकोलउ: पैप तकनीक विकसित किया
  • 1941 - पापानिकोलउ और ट्राउट: पैप छान-बीन
  • 1946 - एयर: गर्भाशय-ग्रीवा खुरचने के लिए स्पैचुला
  • 1976 - ज़ूर हाउसेन और जियास्म: गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर में HPV DNA और मस्सों को पाया
  • 1988 - पैप परिणामों के लिए बेथेस्डा प्रणाली विकसित

20वीं सदी में काम कर रहे महामारी-वैज्ञानिकों ने कहा कि:

  1. गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर सेक्स वर्कर महिलाओं में आम था।
  2. यह नन में दुर्लभ था, सिवाय उनके मामलों में जो कॉन्वेंट में प्रवेश से पहले यौन में सक्रिय रहे थे। (1841 में रिगोनी)
  3. सामान्यतः यह उन पुरुषों की दूसरी पत्नियों में प्रचलित था, जिनकी पहली पत्नी की गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से मृत्यु हुई थी।
  4. यह यहूदी महिलाओं में दुर्लभ था।[69]
  5. 1935 में, साइवरटन और बेर्री ने खरगोश में RPV (खरगोश अंकुरार्बुद-विषाणु) तथा त्वचा कैंसर के बीच संबंध की खोज की। (HPV प्रजाति-विशिष्ट है और इसलिए खरगोशों में संचरित नहीं किया जा सकता है)

इससे यह निष्कर्ष निकला कि गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर यौन संचरित एजेंट की वजह से हो सकता है। 1950 और 1960 दशक के प्रारंभिक अनुसंधान ने शिश्नमल (जैसे हेइन्स इत्यादि 1958) पर दोष लगाया,[70] लेकिन 1970 दशक तक मानव अंकुरार्बुद-विषाणु (HPV) की पहचान नहीं की जा सकी थी। इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी द्वारा एक विवरण 1949 में दिया गया था और 1963 में HPV-DNA की पहचान की गई थी। तब से यह सिद्ध किया गया है कि HPV लगभग सभी गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर में लिप्त है।[4] आलिप्त विशिष्ट विषाणु उप-भेद हैं HPV 16, 18, 31, 45 और अन्य.

सन्दर्भ और नोट

संपादित करें
  1. Kumar, Vinay; Abbas, Abul K.; Fausto, Nelson; & Mitchell, Richard N. (2007). Robbins Basic Pathology ((8th ed.) संस्करण). Saunders Elsevier. पपृ॰ 718–721. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4160-2973-1.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  2. Walboomers JM, Jacobs MV, Manos MM; एवं अन्य (1999). "Human papillomavirus is a necessary cause of invasive cervical cancer worldwide". J. Pathol. 189 (1): 12–9. PMID 10451482. डीओआइ:10.1002/(SICI)1096-9896(199909)189:1<12::AID-PATH431>3.0.CO;2-F. Explicit use of et al. in: |author= (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  3. "FDA Licenses New Vaccine for Prevention of Cervical Cancer". U.S. Food and Drug Administration. 2006-06-08. मूल से 12 मई 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-02.
  4. Lowy DR, Schiller JT (2006). "Prophylactic human papillomavirus vaccines". J. Clin. Invest. 116 (5): 1167–73. PMID 16670757. डीओआइ:10.1172/JCI28607. मूल से 29 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-01.
  5. "Human Papillomavirus (HPV) Vaccines: Q & A - National Cancer Institute". मूल से 21 जून 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-07-18.
  6. "Cancer Research UK website". मूल से 16 जनवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-01-03.
  7. DeMay, M (2007). Practical principles of cytopathology. Revised edition. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-89189-549-7.
  8. Canavan TP, Doshi NR (2000). "Cervical cancer". Am Fam Physician. 61 (5): 1369–76. PMID 10735343. मूल से 6 फ़रवरी 2005 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-01.
  9. Nanda, Rita (2006-06-09). "Cervical cancer". MedlinePlus Medical Encyclopedia. National Institutes of Health. मूल से 30 दिसंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-02.
  10. "What Causes Cancer of the Cervix?". American Cancer Society. 2006-11-30. मूल से 13 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-02.
  11. Marrazzo JM, Koutsky LA, Kiviat NB, Kuypers JM, Stine K (2001). "Papanicolaou test screening and prevalence of genital human papillomavirus among women who have sex with women". Am J Public Health. 91 (6): 947–52. PMID 11392939. अभिगमन तिथि 2007-12-30.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  12. "HPV Type-Detect". Medical Diagnostic Laboratories. 2007-10-30. मूल से 27 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-02.
  13. Gottlieb, Nicole (2002-04-24). "A Primer on HPV". Benchmarks. National Cancer Institute. मूल से 26 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-02.
  14. Muñoz N, Bosch FX, de Sanjosé S, Herrero R, Castellsagué X, Shah KV, Snijders PJ, Meijer CJ (2003). "Epidemiologic classification of human papillomavirus types associated with cervical cancer". N. Engl. J. Med. 348 (6): 518–27. PMID 12571259. डीओआइ:10.1056/NEJMoa021641. अभिगमन तिथि 2007-12-01.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  15. Walboomers JM, Jacobs MV, Manos MM, Bosch FX, Kummer JA, Shah KV, Snijders PJ, Peto J, Meijer CJ, Muñoz N (1999). "Human papillomavirus is a necessary cause of invasive cervical cancer worldwide". J. Pathol. 189 (1): 12–9. PMID 10451482. डीओआइ:10.1002/(SICI)1096-9896(199909)189:1<12::AID-PATH431>3.0.CO;2-F. अभिगमन तिथि 2007-12-01.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  16. Snijders PJ, Steenbergen RD, Heideman DA, Meijer CJ (2006). "HPV-mediated cervical carcinogenesis: concepts and clinical implications". J. Pathol. 208 (2): 152–64. PMID 16362994. डीओआइ:10.1002/path.1866. अभिगमन तिथि 2007-12-01.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  17. Nader, Carol (2005-02-16). "Expert says circumcision makes sex safer". The Age. Fairfax Media. मूल से 16 दिसंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-02.
  18. Rivet C (2003). "Circumcision and cervical cancer. Is there a link?". Can Fam Physician. 49: 1096–7. PMID 14526861. मूल से 26 अगस्त 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-01.
  19. Garcia, Agustin; Omid Hamid, Anthony El-Khoueiry (2006-07-06). "Cervical Cancer". eMedicine. WebMD. मूल से 9 दिसंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-02.
  20. Dolinsky, Christopher (2006-07-17). "Cervical Cancer: The Basics". OncoLink. Abramson Cancer Center of the University of Pennsylvania. मूल से 18 जनवरी 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-02.
  21. Erstad, Shannon (2007-01-12). "Cone biopsy (conization) for abnormal cervical cell changes". WebMD. मूल से 19 नवंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-02.
  22. Jones WB, Mercer GO, Lewis JL, Rubin SC, Hoskins WJ (1993). "Early invasive carcinoma of the cervix". Gynecol. Oncol. 51 (1): 26–32. PMID 8244170. डीओआइ:10.1006/gyno.1993.1241. अभिगमन तिथि 2007-12-01.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  23. Dolson, Laura (2001). "Trachelectomy". मूल से 23 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-02.
  24. Burnett AF (2006). "Radical trachelectomy with laparoscopic lymphadenectomy: review of oncologic and obstetrical outcomes". Curr. Opin. Obstet. Gynecol. 18 (1): 8–13. PMID 16493253. डीओआइ:10.1097/01.gco.0000192968.75190.dc. मूल से 21 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-01.
  25. Cibula D, Ungár L, Svárovský J, Zivný J, Freitag P (2005). "[Abdominal radical trachelectomy--technique and experience]". Ceska Gynekol (चेक में). 70 (2): 117–22. PMID 15918265. |access-date= दिए जाने पर |url= भी दिया जाना चाहिए (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  26. Plante M, Renaud MC, Hoskins IA, Roy M (2005). "Vaginal radical trachelectomy: a valuable fertility-preserving option in the management of early-stage cervical cancer. A series of 50 pregnancies and review of the literature". Gynecol. Oncol. 98 (1): 3–10. PMID 15936061. डीओआइ:10.1016/j.ygyno.2005.04.014. अभिगमन तिथि 2007-12-01.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  27. Roy M, Plante M, Renaud MC, Têtu B (1996). "Vaginal radical hysterectomy versus abdominal radical hysterectomy in the treatment of early-stage cervical cancer". Gynecol. Oncol. 62 (3): 336–9. PMID 8812529. डीओआइ:10.1006/gyno.1996.0245. अभिगमन तिथि 2007-12-01.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  28. Dargent D, Martin X, Sacchetoni A, Mathevet P (2000). "Laparoscopic vaginal radical trachelectomy: a treatment to preserve the fertility of cervical carcinoma patients". Cancer. 88 (8): 1877–82. PMID 10760765. डीओआइ:10.1002/(SICI)1097-0142(20000415)88:8<1877::AID-CNCR17>3.0.CO;2-W. |access-date= दिए जाने पर |url= भी दिया जाना चाहिए (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  29. Schlaerth JB, Spirtos NM, Schlaerth AC (2003). "Radical trachelectomy and pelvic lymphadenectomy with uterine preservation in the treatment of cervical cancer". Am. J. Obstet. Gynecol. 188 (1): 29–34. PMID 12548192. डीओआइ:10.1067/mob.2003.124. अभिगमन तिथि 2007-12-01.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  30. "FDA Approves First Drug Treatment for Late-Stage Cervical Cancer". U.S. Food and Drug Administration. 2006-06-15. मूल से 10 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-02.
  31. Tiro JA, Meissner HI, Kobrin S, Chollette V (2007). "What do women in the U.S. know about human papillomavirus and cervical cancer?". Cancer Epidemiol. Biomarkers Prev. 16 (2): 288–94. PMID 17267388. डीओआइ:10.1158/1055-9965.EPI-06-0756. अभिगमन तिथि 2007-12-01.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  32. "What Are the Key Statistics About Cervical Cancer?". American Cancer Society. 2008-03-26. मूल से 30 अप्रैल 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-08-19. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "ACS Key Stats" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  33. Saslow D, Runowicz CD, Solomon D; एवं अन्य (2002). "American Cancer Society guideline for the early detection of cervical neoplasia and cancer". CA: a cancer journal for clinicians. 52 (6): 342–62. PMID 12469763. Explicit use of et al. in: |author= (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  34. Payne N, Chilcott J, McGoogan E (2000). "Liquid-based cytology in cervical screening: a rapid and systematic review". Health technology assessment (Winchester, England). 4 (18): 1–73. PMID 10932023. मूल से 11 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 दिसंबर 2009.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  35. "http://www.cancerscreening.nhs.uk/cervical/lbc.html". मूल से 31 अगस्त 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 दिसंबर 2009. |title= में बाहरी कड़ी (मदद)
  36. Willis BH, Barton P, Pearmain P, Bryan S, Hyde C (2005). "Cervical screening programmes: can automation help? Evidence from systematic reviews, an economic analysis and a simulation modelling exercise applied to the UK". Health technology assessment (Winchester, England). 9 (13): 1–207, iii. PMID 15774236. मूल से 11 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 दिसंबर 2009. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  37. Naucler P, Ryd W, Törnberg S; एवं अन्य (2007). "Human papillomavirus and Papanicolaou tests to screen for cervical cancer". N. Engl. J. Med. 357 (16): 1589–97. PMID 17942872. डीओआइ:10.1056/NEJMoa073204. Explicit use of et al. in: |author= (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  38. http://www.thelancet.com/journals/lancet/article/PIIS0140-6736 Archived 2009-08-07 at the वेबैक मशीन (09) 61248-4/fulltext
  39. "EU approves cervical cancer jab". बीबीसी. 2006-09-22. मूल से 7 जून 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-02.
  40. "GSK's HPV Vaccine 100% Effective For Four Years, Data Show". Medical News Today. MediLexicon International Ltd. 2006-02-27. मूल से 8 जनवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-02.
  41. "Cancer jab 'stops 75% of deaths'". बीबीसी. 2006-09-04. मूल से 3 अक्तूबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-02.
  42. McNeil C (2006). "Who invented the VLP cervical cancer vaccines?". J. Natl. Cancer Inst. 98 (7): 433. PMID 16595773. डीओआइ:10.1093/jnci/djj144. अभिगमन तिथि 2007-12-01.
  43. Cornelis J.A. Hogewoning, Maaike C.G. Bleeker; एवं अन्य (2003). "Condom use Promotes the Regression of Cervical Intraepithelial Neoplasia and Clearance of HPV: Randomized Clinical Trial". International Journal of Cancer. 107: 811–816. PMID 14566832. डीओआइ:10.1002/ijc.11474. Explicit use of et al. in: |author= (मदद)
  44. "Semen 'may fuel cervical cancer'". बीबीसी. 2006-08-31. मूल से 27 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-02.
  45. "Semen can worsen cervical cancer". Medical Research Council (UK). मूल से 4 अगस्त 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-02.
  46. Sedjo RL, Roe DJ, Abrahamsen M; एवं अन्य (2002). "Vitamin A, carotenoids, and risk of persistent oncogenic human papillomavirus infection". Cancer Epidemiol. Biomarkers Prev. 11 (9): 876–84. PMID 12223432. Explicit use of et al. in: |author= (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  47. Giuliano AR, Siegel EM, Roe DJ; एवं अन्य (2003). "Dietary intake and risk of persistent human papillomavirus (HPV) infection: the Ludwig-McGill HPV Natural History Study". J. Infect. Dis. 188 (10): 1508–16. PMID 14624376. डीओआइ:10.1086/379197. Explicit use of et al. in: |author= (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  48. Yeo AS, Schiff MA, Montoya G, Masuk M, van Asselt-King L, Becker TM (2000). "Serum micronutrients and cervical dysplasia in Southwestern American Indian women". Nutrition and cancer. 38 (2): 141–50. PMID 11525590. डीओआइ:10.1207/S15327914NC382_1.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  49. Michaëlsson K, Lithell H, Vessby B, Melhus H. (2003). "Serum Retinol Levels and the Risk of Fracture". NEJM. 348 (4): 287–294. PMID 12540641. डीओआइ:10.1056/NEJMoa021171.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  50. Goodman MT, Shvetsov YB, McDuffie K; एवं अन्य (2007). "Hawaii cohort study of serum micronutrient concentrations and clearance of incident oncogenic human papillomavirus infection of the cervix". Cancer Res. 67 (12): 5987–96. PMID 17553901. डीओआइ:10.1158/0008-5472.CAN-07-0313. मूल से 23 दिसंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 दिसंबर 2009. Explicit use of et al. in: |author= (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  51. Kwaśniewska A, Tukendorf A, Semczuk M (1997). "Content of alpha-tocopherol in blood serum of human Papillomavirus-infected women with cervical dysplasias". Nutrition and cancer. 28 (3): 248–51. PMID 9343832.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  52. Piyathilake CJ, Henao OL, Macaluso M; एवं अन्य (2004). "Folate is associated with the natural history of high-risk human papillomaviruses". Cancer Res. 64 (23): 8788–93. PMID 15574793. डीओआइ:10.1158/0008-5472.CAN-04-2402. मूल से 19 नवंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 दिसंबर 2009. Explicit use of et al. in: |author= (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  53. Kwaśniewska A, Tukendorf A, Goździcka-Józefiak A, Semczuk-Sikora A, Korobowicz E (2002). "Content of folic acid and free homocysteine in blood serum of human papillomavirus-infected women with cervical dysplasia". Eur. J. Gynaecol. Oncol. 23 (4): 311–6. PMID 12214730.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  54. Sedjo RL, Papenfuss MR, Craft NE, Giuliano AR (2003). "Effect of plasma micronutrients on clearance of oncogenic human papillomavirus (HPV) infection (United States)". Cancer Causes Control. 14 (4): 319–26. PMID 12846362. डीओआइ:10.1023/A:1023981505268.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  55. Giuliano AR, Papenfuss M, Nour M, Canfield LM, Schneider A, Hatch K (1997). "Antioxidant nutrients: associations with persistent human papillomavirus infection". Cancer Epidemiol. Biomarkers Prev. 6 (11): 917–23. PMID 9367065.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  56. Chen D, Auborn K (1999). "Fish oil constituent docosahexa-enoic acid selectively inhibits growth of human papillomavirus immortalized keratinocytes". Carcinogenesis. 20 (2): 249–54. PMID 10069461. डीओआइ:10.1093/carcin/20.2.249.
  57. "Cervical Cancer". Cervical Cancer: Cancers of the Female Reproductive System: Merck Manual Home Edition. Merck Manual Home Edition. मूल से 16 दिसंबर 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-03-24.
  58. Committee on Practice Bulletins-Gynecology (2002). "ACOG practice bulletin. Diagnosis and treatment of cervical carcinomas, number 35, May 2002". Obstetrics and gynecology. 99 (5 Pt 1): 855–67. PMID 11978302.
  59. "Cervical Cancer". Cervical Cancer: Pathology, Symptoms and Signs, Diagnosis, Prognosis and Treatment. Armenian Health Network, Health.am. मूल से 7 फ़रवरी 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 दिसंबर 2009.
  60. "Cervical cancer statistics and prognosis". Cancer Research UK. मूल से 20 मई 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-03-24.
  61. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 मार्च 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 दिसंबर 2009.
  62. World Health Organization (2006). "Fact sheet No. 297: Cancer". मूल से 13 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-01. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  63. "GLOBOCAN 2002 database: summary table by cancer". मूल से 16 जून 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-10-26.
  64. [151] ^ SEER cancer statistics Archived 2017-02-03 at the वेबैक मशीन
  65. "संग्रहीत प्रति". मूल से 26 मार्च 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 दिसंबर 2009.
  66. Noni MacDonald, Matthew B. Stanbrook, and Paul C. Hébert (September 9, 2008). "Human papillomavirus vaccine risk and reality". CMAJ. 179 (6). डीओआइ:10.1503/cmaj.081238. मूल से 11 फ़रवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-11-17.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  67. "संग्रहीत प्रति". मूल से 12 सितंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 दिसंबर 2009.
  68. "NCCC National Cervical Cancer Coalition". मूल से 22 अगस्त 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-07-01.
  69. Menczer J (2003). "The low incidence of cervical cancer in Jewish women: has the puzzle finally been solved?" (PDF). Isr. Med. Assoc. J. 5 (2): 120–3. PMID 12674663. मूल (PDF) से 21 अगस्त 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-01.
  70. Heins Jr, HC; EJ Dennis, HR Pratt-Thomas (1958-10-01). "The possible role of smegma in carcinoma of the cervix". American Journal of Obstetrics & Gynecology. 76 (4): 726–33. PMID 13583012. अभिगमन तिथि 2007-11-23.

इन्हें भी देखें

संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें