ग़ज़वा ए ज़ी अम्र
ग़ज़वा ए ज़ि अम्र (अंग्रेज़ी:Raid on Dhu Amarr) घाटफान पर छापे के रूप में भी जाना जाता है, इस्लामिक कैलेंडर के वर्ष एएच 3, मार्च 624 में ग़ज़वा ए सवीक के ठीक बाद हुआ। इस अभियान का आदेश मुहम्मद द्वारा दिया गया था जब उन्हें खुफिया सूचना मिली थी कि मदीना के बाहरी इलाके में बनू मुहरिब और बनू तलबाह जनजातियां हमला करने की योजना बना रही हैं। इसलिए, मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने 450 आदमियों के साथ एक पूर्व-खाली धावा अभियान शुरू किया ।
जब दुश्मनों ने मुहम्मद के आसन्न आगमन के बारे में सुना, तो वे तेजी से भाग गए। मुसलमानों ने जब्बार नामी व्यक्ति को भी पकड़ लिया जो बाद में इस्लाम में परिवर्तित हो गया और उनके मार्गदर्शक के रूप में काम किया। इस घटना का उल्लेख इब्न हिशाम की मुहम्मद की जीवनी और अन्य ऐतिहासिक स्रोतों में मिलता है। [1]
सराया और ग़ज़वात
संपादित करेंअरबी शब्द ग़ज़वा [2] इस्लाम के पैग़ंबर के उन अभियानों को कहते हैं जिन मुहिम या लड़ाईयों में उन्होंने शरीक होकर नेतृत्व किया,इसका बहुवचन है गज़वात, जिन मुहिम में किसी सहाबा को ज़िम्मेदार बनाकर भेजा और स्वयं नेतृत्व करते रहे उन अभियानों को सरियाह(सरिय्या) या सिरया कहते हैं, इसका बहुवचन सराया है।[3] [4]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ सफिउर्रहमान मुबारकपुरी, पुस्तक अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ). "ग़ज़वा ए ज़ि अम्र". पृ॰ 484. अभिगमन तिथि 13 दिसम्बर 2022.
- ↑ Ghazwa https://en.wiktionary.org/wiki/ghazwa
- ↑ siryah https://en.wiktionary.org/wiki/siryah#English
- ↑ ग़ज़वात और सराया की तफसील, पुस्तक: मर्दाने अरब, पृष्ट ६२] https://archive.org/details/mardane-arab-hindi-volume-no.-1/page/n32/mode/1up
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ), पैगंबर की जीवनी (प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित पुस्तक), हिंदी (Pdf)